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अड्डा In-Depth त्रिवेंद्र की तर्ज पर धामी ने भी अफसरोें को बिठाया सिर पर! मंत्री कैबिनेट में मांग रहे सब-कमेटी रिपोर्ट फाइल दबाए घूम रहे नौकरशाह, तीसरे मुख्यमंत्री आ चुके पर नौकरशाही का कामकाज का ढर्रा ‘ढाक के तीन पात’ वाला ही

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देहरादून: ‘नौकरशाही सरकार पर हावी है’, ‘नौकरशाही के हाथों में खेल रहे मुख्यमंत्री’ और ‘नौकरशाही के आगे नतमस्तक सरकार’! दरअसल ये कुछ ऐसे वाक्यांश हैं जो पिछले 20 सालोें के उत्तराखंड गवर्नेंस मॉडल का कड़वा सच है। लेकिन सबसे दुखद तथ्य यह है कि गुज़रे पौने पाँच सालों में अब तक की राज्य की सबसे बड़े बहुमत की सरकार होने के बावजूद ‘सरकार पर सवार नौकरशाही’ का मुहावरा कमजोर पड़ने की बजाय मजबूत ही हुआ। ऐसा लगता है कि बीजेपी की तरफ से तीसरे सीएम बनाए गए पुष्कर सिंह धामी भी ‘नौकरशाही के आगे नतमस्तक’ होते नजर आ रहे हैं। ताजा मामला अधिकारियों द्वारा कैबिनेट सब-कमेटी की रिपोर्ट तीन कैबिनेट बैठकें होने के बावजूद मंत्रिमंडल के सामने न रखने से जुड़ा है।


दरअसल, लंबे आंदोलन के बाद अपने मानदेय सहित कई माँगों को लेकर आंदोलन कर रहे उपनल कर्मचारी वार्ता की मेज़ पर लौटे थे जिसके बाद इस पर कैबिनेट की सब-कमेटी बनाई गई कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की अगुआई वाली सब-कमेटी अपनी रिपोर्ट काफी पहले दे चुकी और उसके बाद तीन कैबिनेट बैठकें भी हो चुकी लेकिन फ़ाइल दबाकर बैठने के चैंपियन नौकरशाह उस रिपोर्ट पर कुंडली मारकर बैठे हैं। पिछली कैबिनेट में हरक सिंह रावत और गणेश जोशी ने अफसरों के इस रवैये पर एतराज भी जताया। शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने कहा है कि कैबिनेट ने इसका संज्ञान लेते हुए सख्त लहजे में नौकरशाही के जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अब चंद महीने बाद चुनाव हैं और 22 हजार उपनल कर्मियों के मसले पर नौकरशाही का यह रुख है तब सहज अंदाज़ लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री धामी के नौकरशाही पर नकेल के दावे कैसे धराशायी हो रहे।
चिन्ताजनक यह है कि यह कोई इकलौता मामला नहीं है जब नौकरशाही ने अपनी लेटलतीफ़ी या कामकाज को लेकर सरकार के आदेशों को ठेंगा दिखाया हो।

15 अगस्त तक प्रमोशन की डेडलाइन अफसर पीठ फेरे रहे सीएम के आदेश से


मुख्यमंत्री के निर्देश पर शासन की तरफ से सभी सचिवों और विभागाध्यक्षों को 15 अगस्त तक लंबित प्रमोशंस के मामले निपटाने को कहा गया था लेकिन विभागीय सचिवों-विभागाध्यक्षों की आदतन हीलाहवाली से तमाम प्रमोशंस लटका कर रख दिए हैं। अब मजबूरन कार्मिक विभाग दोबारा निर्देश जारी करेगा लेकिन क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऐसे लेटलतीफ़ अफसरों की जवाबदेही तय नहीं करना चाहेंगे?
आदतन लापरवाही और फाइलों को दबाकर बैठे रहने की नौकरशाही के मौजूदा हालात पर उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि मुख्यमंत्री और शासन के आदेशों का पालन कई विभागों के बॉस नहीं कर रहे, जानबूझकर पदोन्नतियां लटका रहे यह बेहद गंभीर मसला है और ऐसे रोड़ेबाज अफसरोें की पहचान कर उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।
इसके अलावा भी खुद शासकीय प्रवक्ता ने माना है कि कई सब कमेटियों की रिपोर्ट पेंडिंग है कैबिनेट तक नहीं पहुंच पाई है। पुलिस ग्रेड पे पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में बनी कैबिनेट सब कमेटी की रिपोर्ट कब कैबिनेट तक पहुँचती है इसका भी इंतजार करना होगा। इससे पहले कार्मिक विभाग से मनमाफिक ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए लॉबिंगबाजी कर रहे आईएएस अफसरोें को आचरण नियमावली समझाते हुए मुख्यमंत्री धामी द्वारा जारी कराया गया पत्र भी उनकी कमजोरी उजागर कर चुका है। आखिर इस पत्र के द्वारा ताक़ीद कराने का असर कैसा रहा था वो तो आईएएस दीपक रावत के एक हफ्ते तक ऊर्जा निगमों के एमडी पद पर चार्ज न लेकर और रही सही कसर पॉवरफुल आईएएस कपल पूरी कर चुका।


टीएसआर राज में भी जब मुख्यमंत्री अधिकारियों के कंधे पर हाथ रखकर विधायकों-मंत्रियों के बीच कहते फिरते थे, ’मेरे अधिकारी’ तब चुने हुए प्रतिनिधियों की हालत देखते बनती थी। आज भी अगर कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को झुँझलाकर कहना पड़ रहा कि जब सब कमेटी रिपोर्ट टाइम पर कैबिनेट के समक्ष आनी ही नहीं तो फिर ऐसी कमेटियाँ बनाने का औचित्य ही क्या है! यानी कल भी नौकरशाही सरकार पर हावी थी और आज भी सरकार में बैठे मंत्री अधिकारियोें के रुख के आगे बेबस ही नजर आ रहे।

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