दिल्ली/देहरादून: आमतौर पर चुनावी हार के बाद दलों के पदाधिकारी नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए अपने वर्तमान पदों से इस्तीफा दे देते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी की अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को चुनावी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों से इस्तीफे माँगने को मजबूर होना पड़ा है। उत्तराखंड चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गणेश गोदियाल ने हार की नैतिक ज़िम्मेदारी तो जरूर ली लेकिन पीसीसी चीफ के पद से इस्तीफा देने में हीलाहवाली करते नजर आए। या कहिए कि इंतजार कर रहे थे कब इस्तीफे के लिए आदेश आता है।
अब गणेश गोदियाल ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन इससे पहले पूर्व सीएम हरीश रावत कैंप और प्रीतम सिंह कैंप में ज़बरदस्त जुबानी जंग छिड़ चुकी है। प्रीतम ने हरदा के रामनगर से टिकट लेने से लेकर मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे मुद्दों को हार की वजह करार दिया तो हरदा ने जवाब देते अपनी सफाई पेश की। लेकिन असल बवाल पार्टी नेता रणजीत रावत के हरीश रावत पर टिकट बेचने से लेकर कई संगीन आरोप लगाने के बाद मच गया। अब गोदियाल का इस्तीफा हो गया है लिहाजा आगे चलकर इस पर पीसीसी प्रेजीडेंट पद को लेकर नए सिरे से दांव-पेंच चलेंगे।
फिलहाल हरदा वर्सेस प्रीतम कैंप में जंग का नया मोर्चा नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर खुल चुका है। चौथी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश के निधन के बाद अध्यक्ष पद छोड़कर प्रीतम सिंह बने थे। अब सरकार का गठन हुआ नहीं है लेकिन धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने नेता प्रतिपक्ष पद पर दावा ठोक दिया है। धामी ने बाकायदा ट्विटर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, हरीश रावत और मुकुल वासनिक को टैग करते ट्विट किया है कि बहुत हो गया अब। कांग्रेस आलाकमान को भाजपा की तर्ज पर युवा नेतृत्व को आगे करते हुए उनको नेता प्रतिपक्ष के लिए मौका देना चाहिए।
दरअसल नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष पद को लेकर हरीश रावत कैंप से हरीश धामी ने दावा ठोक फिलहाल नेता प्रतिपक्ष का दायित्व संभाले प्रीतम सिंह के सामने चुनौती पेश कर दी है। जाहिर है हरीश धामी ने हरदा के इशारे पर ही नेता प्रतिपक्ष पद पर खुलकर सार्वजनिक तौर पर दावा पेश किया है। इसे हरदा पर पहले प्रीतम के इशारों में अटैक और फिर रणजीत रावत के खुले हमले का जवाब भी माना जा रहा है।
यह भी साफ है कि इस बार सदन में हरदा समर्थक विधायकों की संख्या कम ही नजर आ रही है। कुमाऊं से बात करें तो गोविंद सिंह कुंजवाल की हार के बाद अब हरदा कैंप की तरफ से मोर्चा संभालने का दारोमदार हरीश धामी के कंधों पर ही रहने वाला है। नेता प्रतिपक्ष को लेकर भले हरीश धामी ने युवा नेतृत्व को आगे करने का हवाला देकर दावा पेश कर दिया हो लेकिन जब सदन में प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य से लेकर ममता राकेश सहित कई विधायक मौजूद रहेंगे तब क्या धामी की डिमांड को तवज्जो मिलेगी?
माना जा रहा है कि अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर कांग्रेस नेतृत्व क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरण साधने की कोशिश करेगा। सिटिंग सीएम पुष्कर सिंह धामी को करारी शिकस्त देकर कार्यकारी अध्यक्ष भुवन चन्द्र कापड़ी का युवा नेतृत्व के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष पद पर क्लेम बन सकता है। कापड़ी यूथ काग्रेस को स्टेट में लीड कर चुके हैं और राहुल गांधी धामी को हराने के इनाम के तौर पर कापड़ी के संगठन की कमान देकर हरीश धामी के युवा नेतृत्व को आगे करने की मांग को शांत कर सकते हैं।
अगर किसी युवा नेता को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जाता है तो नेता प्रतिपक्ष का पद तालमेल बिठाते किसी अनुभवी को दिया जा सकता है। इस लिहाज से गढ़वाल से प्रीतम सिंह का दावा मजबूत हो सकता है। हालाँकि अनुभवी और प्रदेश के बड़े दलित चेहरे यशपाल आर्य को भी हरदा कैंप आगे करने का दांव खेल सकता है। यानी अगर अगले मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा में दिल्ली दौड़ छिड़ी है और हर दिन नए नए नाम उछाले जा रहे, उसी तर्ज पर विपक्षी कांग्रेस में भी संगठन से लेकर सदन में पार्टी की अगुआई को लेकर जंग तेज हो गई है।