Dehradun – Uttarakhand Governor Baby Rani Maurya Resigns from the post: उत्तराखंड की आज की सबसे बड़ी खबर यह है कि राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा भेज दिया है। महज दो हफ्ते पहले अपने तीन वर्ष के कार्यकाल की अनेकों उपलब्धियाँ गिना रही बेबी रानी मौर्य को मिड टर्म इस्तीफा क्यों देना पड़ा यह अपने आप में पॉवर कॉरिडोर्स में सबसे बड़ी चर्चा का विषय बन चुका है।
हर कोई कह रहा है कि ‘उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से अचानक क्यों माँगा गया इस्तीफा?
आखिर वो कौनसी वजहें थी जिसके चलते महज तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के एक पखवाड़े बाद ही इस्तीफा देना पड़ा गया। कहने हो इस सवाल का आसान जवाब यह भी है कि यूपी चुनाव के ज़रिए बेबी रानी मौर्य को फिर से सक्रिय राजनीति में उतारा जा रहा हो! लेकिन क्या सिर्फ विधानसभा चुनाव लड़ने भर के लिए एक राज्य के राज्यपाल को मिड टर्म बुला लिया जाएगा? यह दावा कहीं से कहीं तक हज़म नहीं होता दिख रहा। वैसे भी खबर है कि आगरा की एतमादपुर सीट से बेबी रानी मौर्य के बेटे बीजेपी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
फिर आखिर क्यों इस्तीफा दे दिया बेबी रानी मौर्य ने? क्या उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी की भर्ती में धाँधली के आरोपों ने इस्तीफे की पटकथा लिख डाली? यह थ्योरी भी गले नहीं उतरती पूरी तरह से। आगरा से लेकर राजभवन के कुछ जानकार सूत्र इशारा किसी तीसरी दिशा की ओर कर रहे हैं। आखिर बेबी रानी मौर्य के राजभवन में रहते किस-किस की दख़लंदाज़ी हावी हो रही थी जिसकी भनक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक पहुंच गई और गाज गिर गई, यह चर्चा दिल्ली से उठ रही है। लेकिन अभी मुक़ाम तक नहीं पहुंच पा रही कि आखिर वो कौनसे किरदार थे जिन्होंने अति मचाना शुरू कर दी थी और प्रधानमंत्री कार्यकाल की नजर तमाम गतिविधियों पर पड़ी औपचारिक पटाक्षेप हो गया इस्तीफे के रूप में!
वरना भला ऐसा कहां होता है कि किसी राज्यपाल को मिड टर्म घर भेज दिया जाए! मामला ज्यादा गंभीर न हो तो अन्य राज्य में तबादले से हालात संभाले जा सकते हैं लेकिन यहां तो इस्तीफा हुआ है जो कई तरह को सवालों को जन्म दे गया है। आखिर एक राज्यपाल से इस्तीफा कराकर चुनावी राजनीति में वापस भी लाना हो तो सीएम फेस से नीचे कहां चीज़ें टिकती हैं और यूपी में फिलहाल ऐसा कुछ दिख नहीं रहा।