Ajay Tamta in Modi 3.0:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली एनडीए सरकार में उत्तराखंड से अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा को मंत्री बनाया जा रहा है। अजय टम्टा ने इस बार जीत की हैट्रिक लगाते हुए कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को लगभग दोगुना वोट लेकर हराया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शाम सवा सात बजे के शपथ ग्रहण समारोह से पहले अपने संभावित मंत्रिमंडल के साथ साढ़े 11बजे चाय पर चर्चा की जिसमें अजय टम्टा भी पहुंचे। मीडिया से बातचीत करते हुए अजय टम्टा ने मोदी मंत्रिमंडल में दोबारा जगह मिलने कर खुद को सौभाग्यशाली बताया है।
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में अजय टम्टा को कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया था लेकिन 2019 में दूसरी बार सरकार बनी तो अजय टम्टा को ड्रॉप कर हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को शिक्षा मंत्रालय जैसा भरी भरकम विभाग देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। हालांकि बाद में मंत्रिमंडल फेरबदल हुआ तो निशंक को ड्रॉप कर नैनीताल-उधमसिंहनगर से सांसद अजय भट्ट को रक्षा और पर्यटन राज्य मंत्री बनाया गया। लेकिन तीसरी बार बन रही मोदी सरकार में अजय भट्ट भी जगह पाने से चूक गए।
सबसे बड़ा झटका मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे समझे जा रहे गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद चुने गए अनिल बलूनी को लगा है। अनिल बलूनी बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख हैं और उनको मोदी-शाह के करीबियों में गिना जाता है। खास बात यह है कि चुनाव प्रचार के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गौचर में इशारों इशारों में यहां तक कह दिया था कि गढ़वाल लोकसभा सीट का वोटर बलूनी के रूप में सिर्फ सांसद ही नहीं उससे कहीं ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी के लिए चुन रहे हैं। यानी मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाने का संकेत की हुए वोट मांगे थे। उससे कहीं अधिक गृह मंत्री अमित शाह ने अनिल बलूनी को जिताने की अपील करते हुए गढ़वाल क्षेत्र के विकास का जिम्मा अपने कंधों पर लेने का भरोसा दिया था। लेकिन जिस तरह का मैंडेट आया और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आंध्र प्रदेश के सीएम बनने जा रहे चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और बिहार सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू सहित कई दलों को अहमियत देनी पड़ी है,उसने बलूनी ही नहीं बल्कि मंत्रीपद की रेस के अन्य दावेदारों, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अजय भट्ट का खेल भी बिगाड़ दिया।
त्रिवेन्द्र सिंह रावत हरिद्वार से सांसद चुने गए हैं और पूर्व मुख्यमंत्री के नाते शिवराज सिंह चौहान और मनोहर लाल खट्टर की तर्ज पर उनको भी मंत्री पद की दौड़ में गिना जा रहा था। लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्षी इंडिया गठबंधन और सबसे ज्यादा जिस अंदाज में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान और आरक्षण के मुद्दे पर एंटी बीजेपी नैरेटिव बनाया उसके चलते मजबूरन अब प्रधानमंत्री मोदी अधिक से अधिक दलित और पिछड़े चेहरे मंत्रिमंडल में लेकर उसका काउंटर तैयार करते दिखाई दे रहे हैं।
उत्तराखंड में भी नतीजों में दिखा है कि जीत के बावजूद बीजेपी का वोट प्रतिशत गिरा है और इसमें दलित वोटर्स की संख्या अच्छी खासी मानी जा रही है। दूसरा कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा दलित नेता यशपाल आर्य को दिया गया है तथा चुनावी हार के बाद अब कांग्रेस नेतृत्व नया प्रदेश अध्यक्ष बनाएगा उसमें भी गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह के अलावा यशपाल आर्य के नाम पर विचार होना संभव है।
जाहिर है अजय टम्टा के जरिए बीजेपी ने सामाजिक समीकरण साधने को दिशा में फिर से बढ़ने के संकेत दिए हैं। दूसरा, जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कर सबसे कम उम्र के जिला पंचायत अध्यक्ष बनने वाले अजय टम्टा के आरएसएस नेताओं के साथ बेहतर रिश्ते होना भी उनके लिए दोबारा मददगार साबित हुआ है।
यह भी काबिल ए गौर है कि अजय टम्टा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी करीबी समझा जाता है और त्रिवेंद्र-बलूनी की बजाय मोदी मंत्रिमंडल में अजय टम्टा को जगह मिलने से मुख्यमंत्री के दिल्ली में नंबर पूरे होने का संकेत भी साफ मिल जाता है।
हालांकि पेंच सिर्फ एक यही है कि मुख्यमंत्री के साथ केंद्र सरकार में मंत्री पद भी पिछली बार की तरह फिर कुमाऊं को चला गया है। ऐसे में महेंद्र भट्ट को जगह प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष किसे बनाया जाता है यह देखना दिलचस्प होगा।
वैसे दोनों पद कुमाऊं में फिर गए हों इसकी काट में यह भी कहा जा सकता है कि एक जमाने में विपक्ष में रहते अध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष यानी दोनों पद अजय भट्ट ही संभाल रहे थे। उसके बाद एक समय निशंक केंद्र में भारी भरकम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनाए गए तब राज्य सरकार की कमान त्रिवेंद्र सिंह रावत संभाल रहे थे।