न्यूज़ 360

स्पीकर ऋतु की घेराबंदी! बैकडोर भर्ती भ्रष्टाचार में अवैध नौकरी पाए स्पीकर द्वारा बर्खास्त 228 कर्मचारियों की फील्डिंग में उतरे स्वामी, धामी को फिर लिखा लेटर

Share now

Uttarakhand Assembly Backdoor Recruitment Scam, Swami again writes letter to CM Dhami: उत्तराखंड विधानसभा में बैकडोर से चले भर्ती भ्रष्टाचार पर पहली बार किसी विधानसभा अध्यक्ष ने एक्शन लिया लेकिन अब लग रहा है कि ऋतु खंडूरी भूषण दोतरफा घिरती जा रही हैं। आप कहेंगे भला कैसे? तो अब आगे यह पढ़ लीजिए और पूरा माजरा आ जाएगा।

एक तरफ कांग्रेस डेलिगेशन जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से लेकर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा तक स्पीकर से मिलकर 228 बर्खास्त कर्मचारियों की बहाली का रास्ता निकालने की मांग कर चुके हैं। दूसरी तरफ, सत्ताधारी बीजेपी के भीतर भी ऋतु खंडूरी भूषण के फैसले को गलत ठहराने का अभियान अंदरूनी तौर पर जारी है।

यह भी क्या अजब संयोग नहीं है कि जहां एक तरफ बेरोजगार युवाओं को मसूरी शहीद स्मारक से लेकर अन्य जगह इकट्ठा होने की अनुमति नहीं मिल पा रही है और वहीं विधानसभा में अवैध रूप से तदर्थ नियुक्ति पाए कर्मचारियों को स्पीकर ने द्वारा बर्खास्त किया गया तो वे विधानसभा के बाहर ही धरना प्रदर्शन के लिए बैठ गए, जो बकौल बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के दो माह से लगातार जारी है।

अब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दोबारा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर स्पीकर द्वारा बर्खास्त 228 तदर्थ कर्मचारियों को बहाल करने की मांग की है। स्वामी ने कहा है कि इन कर्मचारियों को हटाया जाना असंवैधानिक ही नहीं बल्कि आर्टिकल 14 का खुला उल्लंघन है। स्वामी ने कहा है कि इन नियुक्तियों के लिए ये कार्मिक दोषी नहीं हैं।


हालांकि स्वामी ने अपने पत्र में इन नियुक्तियों के लिए दोषी कौन है ये तो नहीं बताया लेकिन यह जरूर कहा है कि वे इस मामले में और तथ्य जुटा रहे हैं। स्वामी ने इन बर्खास्त कर्मचारियों के पक्ष ने यह दूसरा पत्र 24 फरवरी को लिखा है।

ज्ञात हो कि विधानसभा स्पीकर ऋतु खंडूरी भूषण ने पिछले साल कोटिया एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के बाद बर्खास्त कर दिया था। स्पीकर के एक्शन से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उन्हें पत्र लिखकर सख्त कदम उठाए जाने का आग्रह किया था।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!