देहरादून: चुनाव के चार महीने बजे हैं लेकिन धामी सरकार कर्मचारियों के ज़ख़्मों पर मरहम लगाने में नाकाम साबित हो रही है। नतीजा यह है कि एक के बाद कर्मचारी संगठन आंदोलन की राह पकड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कैबिनेट सब-कमेटी से लेकर हाई पॉवर कमेटी दांव असंतुष्ट कर्मचारी तबके के गले नहीं उतर रहा है। एक तरफ प्रदेशभर में उपनल संविदा कर्मचारियों ने आज यानी सोमवार से दो दिवसीय कार्यबहिष्कार कर रखा है। अब उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने भी अपनी 18 सूत्री माँगों के समर्थन में सोमवार से चरणबद्ध आंदोलन का आह्वान कर दिया है।
पहले चरण में प्रदेश स्तर पर सभी जिलों में गेट मीटिंग की जा रही है। इसी कड़ी में देहरादून में यमुना भवन के बाहर गेट मीटिंग की गई। छह सितंबर से शुरू हुआ गेट मीटिंग अभियान 19 सितंबर तक तमाम जिलों में चलेगा और इस दौरान जनजागरण अभियान भी चलाया जाएगा। दरअसल सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षक तबका काफी समय से अपनी मांगों पर अमल का इंतजार कर रहा था लेकिन अब अपने हक के लिए प्रदेशव्यापी आंदोलन का आगाज कर दिया गया है।
चरणबद्ध आंदोलन
उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का कहना है कि चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलेगा जिसके तहत 19 सितंबर तक गेट मीटिंग और जनजागरण किया जाएगा। उसके बाद 20 सितंबर को प्रदेश के तमाम जिला मुख्यालयों में एक दिनी धरना-प्रदर्शन कर सोई सरकार को जगाने का काम किया जाएगा। 27 सितंबर को देहरादून के सहस्त्रधारा रोड स्थित एकता विहार में धरना स्थल पर एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। उसके बाद भी धामी सरकार और शासन की नींद नहीं टूटी तो 5 अक्तूबर को देहरादून में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली आयोजित होगी और इसी रैली में अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान कर दिया जाएगा।
उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के बैनर चले शुरू हुए प्रदेशव्यापी आंदोलन के ज़रिए कार्मिक वर्ग ग्रेड पे। एसीपी, पदोन्नति, पुरानी पेंशन बहाली, गोल्डन कार्ड विसंगति जैसी अपनी 18 सूत्री माँगों पर पीठ फेरे बैठी सरकार का ध्यान आकर्षित कर माँगें मनवाना चाहता है।
जान लीजिए कौनसी माँगों को लेकर कर्मचारी तबका धामी सरकार से ख़फ़ा है और आंदोलन के रास्ते पर आ खड़ा हुआ है?
- प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों, शिक्षकों, निगम, निकाय, पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16 व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान दिया जाए।
- राज्य कार्मिकों के लिए निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों को दूर करते हुए केंद्रीय कर्मचारियों की भांति सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएचएस) की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाए। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्च कोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाए और सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50% कटौती कम की जाए।
- पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल कीजाए।
केंद्र सरकार की भांति प्रदेश के कार्मिकों के लिए 11 फीसदी महंगाई भत्ते की घोषणा का जीओ जल्द जारी किया जाए।
प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए। - मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए। एक वर्षीय कंप्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाए।
- वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैटर्न के तहत ग्रेड वेतन 4800 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
- राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन 2400 नजरअंदाज करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के तहत ग्रेड 4800 दिया जाए।
- चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन 4200 दिया जाए।
- सभी इंजीनियरिंग विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता(प्राविधिक), संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाए।
- सिंचाई विभाग को गैर तकनीकी विभागों (शहरी विकास विभाग, पर्यटन विभाग, परिवहन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग आदि) के निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में स्थाई रूप से अधिकृत कर दिया जाए।
- राज्य सरकार की ओर से लागू एसीपी, एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुए पदोन्नति हेतु निर्धारित मापदंडों के मुताबिक सभी स्तर के कार्मिकों के लिए 10 वर्ष के स्थान पर पांच वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा अतिउत्तम के स्थान पर उत्तम की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाए।
- जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए।
- 31 दिसंबर और 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को छह माह की अवधि पूर्ण मानते हुए एक वेतन वृद्धि दी जाए। इसके तहत ही उन्हें सेवानिवृत्ति का लाभ दिया जाए।
- स्थानान्तरण अधिनियम 2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाए।
- राज्य कार्मिकों की भांति निगम, निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किए जाएं।
- तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितीकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुए वेतन, सेलेक्शन ग्रेड, एसीपी, पेंशन आदि सभी लाभ दिए जाएं।
- समन्वय समिति से संबद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन पर हुई बैठकों में किए गए समझौते और निर्णयों के हिसाब से जल्द शासनादेश जारी किए जाएं।
रविवार को चतुर्थ वर्गीय राज्य कर्मचारी महासंघ ने भी पूर्ण सहभागिता के साथ आंदोलन में कूदने का ऐलान कर दिया था। The News Adda से बातचीत में कर्मचारी नेता अरुण पांडेय ने कहा कि उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की ओर से राज्य सरकार और शासन को 18 सूत्री मांग पत्र भेजा गयी था लेकिन इस पर कोई कार्रवाई न होने के चलते छह सितंबर से चरणबद्ध आंदोलन शुरू किया गया है जिसके तहत आज से लेकर गेट मीटिंग अभियान 19 सितंबर तक चलेगा।