दिल्ली: सीबीएसई की 12वीं बोर्ड परीक्षा कराने के पक्ष में ज़्यादातर राज्यों ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय को सिफ़ारिश भेजी हैं। देश के 32 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने परीक्षा लेने के पक्ष में सहमति दी है जबकि चार राज्यों दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा और अंडमान-निकोबार ने परीक्षा न कराने का तर्क दिया है। अब ज़्यादातर राज्यों के परीक्षा के पक्ष में दिखने का अर्थ ये होगा कि केन्द्र परीक्षा कराने के विकल्पों पर विचार कर निर्णय लेगा। एक विकल्प ये है कि छात्रों को अपने स्कूल में ओएमआर शीट के ज़रिए डेढ़-डेढ़ घंटे के केवल चार पेपर देने को कहा जाए। जबकि दूसरा विकल्प पुराने फ़ॉर्मेट में तीन घंटे की परीक्षा लेने का है। माना जा रहा है कि नई डेटशीट एक जून तक जारी हो सकती है।
दरअसल, परीक्षा पर सहमत राज्यों में से भी 3 राज्यों राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा ने परीक्षा केंद्रों पर ही पारंपरिक तरीके से 3 घंटे की लिखित परीक्षा का पक्ष लिया है। इन राज्यों ने कहा है कि आख़िरी समय में परीक्षा फॉर्मेट बदलना सही नहीं होगा। जबकि 29 राज्यों ने दूसरे विकल्प का समर्थन करते हुए कहा है कि परीक्षा केंद्र के बजाय छात्रों को अपने स्कूल में ओएमआर शीट फॉर्मेट में डेढ़-डेढ़ घंटे के चार पेपर हल करने को दिए जाएं। इनमें एक लैंग्वेज और तीन इलेक्टिव पेपर हों। हालांकि, सहमति देने वाले छह राज्यों-केरल, असम, पंजाब, झारखंड, सिक्किम और दमन-दीव ने कहा है कि परीक्षा लेने से पहले छात्रों को एंटी कोविड वैक्सीन दी जाए।
कब से कब तक हो सकती है बारहवीं की बोर्ड परीक्षा?
परीक्षा के लिए दो टाइम स्लॉट का प्रस्ताव दिया गया है।
एक- 15 जुलाई से 1 अगस्त के मध्य हो परीक्षा।
दूसरा- 8 अगस्त से 26 अगस्त के मध्य कराई जाए।
ये तय है कि जब सीबीएसई 12वीं की परीक्षा का फ़ॉर्मेट और डेटशीट तय कर देगा उसके बाद ही राज्यों में स्टेट बोर्ड अपना कार्यक्रम तय करेंगे। वैसे केंद्र स्पष्ट कर चुका है कि राज्य अपनी परिस्थितियों के मुताबिक निर्णय ले सकते हैं। फिर भी राज्यों का प्रयास रहेगा कि सीबीएसई के पैटर्न को ही फ़ॉलो किया जाए।