न्यूज़ 360

काम वीर vs घोषणा वीर! घोषणाओं-कमेटियों की सरकार चला रहे CM धामी ने अपने से पहले के मुख्यमंत्रियों को कहा घोषणा वीर, विपक्षी मुख्यमंत्री तो ठीक पर क्या त्रिवेंद्र-तीरथ से लेकर कोश्यारी, खंडूरी और निशंक भी घोषणा वीर ठहरे!

Share now

देहरादून: चार जुलाई से लेकर खबर लिखे जाने तक हर पेचीदा मुद्दे पर कमेटियों का गठन और सिर्फ घोषणाओं के विज्ञापन और पत्थर लगाते फिर रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व के तमाम मुख्यमंत्रियों को घोषणा वीर करार दिया है। रविवार को तीलू रौतेली पुरस्कार कार्यक्रम में सीएम धामी ने दावा किया कि 2017 और उससे पहले की सरकारें दिन में आसमान के तारे दिखाने, देहरादून को न्यूयॉर्क, वॉशिंगटन और लंदन बना देने के दावे करते थे। इतनी बातें इतनी घोषणाएँ कि घोषणाओं का अता-पता नहीं रहता था। लेकिन हमारा सरकार ने उस पैटर्न को बदला है, हम बातें कम काम ज्यादा कर रहे हैं।

YouTube player

अब इस बयान को कांग्रेस ने लपक लिया है और मुख्यमंत्री के वायरल बयान को जायज ठहराते कांग्रेस चुटकी ले रही है कि पुष्कर सिंह धामी ने अपने पूर्व के दोनों मुख्यमंत्रियों पर ठीक ही कहा वे सिर्फ घोषणाएं ही करते थे जिनका अता-पता नहीं रहता था।
वैसे यह तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ही जानते हैं कि वह अपने से पहले के कितने मुख्यमंत्रियों को घोषणा वीर मानते हैं क्योंकि अकेले बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्रियों की ही लंबी फ़ेहरिस्त है जो नित्यानंद स्वामी से शुरू होकर भगत सिंह कोश्यारी, जनरल बीसी खंडूरी, निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत तक है। अब चूँकि पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी बीजेपी में हैं तो उनकी घोषणाएँ भी पार्टी के खाते में मुख्यमंत्री धामी गिन सकते हैं। फिर कांग्रेस के हिस्से में दो पूर्व मुख्यमंत्री ही बचते हैं एक एनडी तिवारी और दूसरे हरीश रावत। उम्मीद है अगली बार मुख्यमंत्री धामी खुलकर बताएँगे कि कौन कौन पूर्व सीएम बयान वीर घोषणा वीर ठहरे।
वैसे मुख्यमंत्री धामी ने शपथ लेने के बाद तीर्थ पुरोहितों को देवस्थानम बोर्ड पर हाई पॉवर कमेटी देने की घोषणा, वेतन विसंगति पर कार्मिकों को इंदु कुमार पांडे कमेटी( जो हाथ खड़े कर चुके), पुलिस ग्रेड पे पर सब-कमेटी से लेकर घोषणाएँ और कमेटियाँ ही तो सौगात में दी हैं।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!