Exclusive देहरादून (पंकज कुशवाल): उत्तराखंड सरकार में सब कुछ सही चल रहा है, ऐसा मौका शायद ही अपवाद स्वरूप राज्य गठन के बाद आया हो। सरकार के मुखिया और मंत्रियों-विधायकों के बीच हर सरकार में तलवारें खींची रही हैं। 2017 में प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भाजपा में नए नवेले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के शुरूआती महीनों में ही उनके और मंत्रियों-विधायकों के बीच तलवारें खिंचनी शुरू हो गई थी। बाद में मौके-बेमौके विधायकों, मंत्रियों की दिल्ली दौड़ ने इस बात की तस्दीक भी कर दी कि राज्य में मुखिया और विधायकों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा।
खैर, चार सालों तक हाईकमान ने भी अंसतोष को दबाए रखा लेकिन आखिरकार त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल के चार साल पूरे होने से सप्ताह भर पहले ही अजीबोगरीब घटनाक्रम में हाईकमान ने विधायकों-मंत्रियों की नाराजगी की दुहाई देते हुए टीएसआर से इस्तीफा ले लिया। उनकी जगह सांसद तीरथ सिंह रावत को राज्य की कमान सौंप दी। चार महीने का कार्यकाल पूरा करने से कुछ दिन पहले ही तीरथ सिंह रावत की भी नाटकीय ढंग से विदाई करवाकर खटीमा से युवा विधायक पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री की कुर्सी हाईकमान ने सौंप दी।
पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री पद के लिए नाम की घोषणा होते ही कई वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और मंत्रियों ने नाक भौं सिकोड़नी शुरू कर दी और दिल्ली तक की दौड़ लगा दी। दिल्ली से महत्वपूर्ण विभाग और खुली छूट का आश्वासन मिला तो मंत्रियों की कई वरिष्ठ मंत्रियों की नाराजगी फुर्र से दूर भी हो गई। युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दो मुख्यमंत्रियों के पास रहे कई महत्वपूर्ण विभाग अपने रुठे मंत्रियों को बांट दिए और राज्य मंत्रियों को प्रमोशन भी दे दिया। बताया जा रहा है कि मंत्रियों को कामकाज करने की खुली छूट भी दी गई जैसा कि हाईकमान का आदेश था। लेकिन, इसके बावजूद भी मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच सब कुछ सही चल रहा है। यह पक्के तौर पर कहा नहीं जा सकता है।
फिलहाल, ताजा प्रकरण उठाकर देखेंगे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हर दिन राज्य में प्रकाशित होने वाले प्रमुख दैनिक अखबारों के पहले पन्ने की शोभा बढ़ा रहे हैं। विज्ञापन के रूप में पहले पन्ने पर प्रकाशित विज्ञापनों में विभागीय मंत्रियों के चेहरे को जगह नहीं दी जा रही है। बस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी तस्वीर और उसके आधे कद की मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की तस्वीर ही प्रकाशित की जा रही है।
चाहे वन विभाग से जुड़े कार्यक्रमों के विज्ञापन हो या फिर महिला एवं बाल विकास, सिंचाई, स्वास्थ्य विभाग से जुड़े विज्ञापन हो। मंत्रियों के चेहरों को इन पहले पन्ने के विज्ञापनों में जगह नहीं दी जा रही है। आज यानी सोमवार को महिला एवं बाल विकास की महत्वपूर्ण योजना मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का शुभारंभ होना है। कोविड काल में अपने अभिभावकों को गंवाने वाले बच्चों को आर्थिक मदद देने की इस योजना का ताल्लुक मंत्री रेखा आर्य के विभाग से है। लेकिन, बीते दिनों से विभागीय मंत्रियों के तस्वीरों को विज्ञापनों में जगह न मिलने से खार खाई रेखा आर्य ने रविवार को इस योजना के उद्घाटन का विज्ञापन अलग से जारी करवाया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नक्शे कदम पर चलते हुए मंत्री रेखा आर्य ने भी पूरे विज्ञापन में सिर्फ अपनी तस्वीर छपवाई जबकि कार्यक्रम मुख्यमंत्री द्वारा आयोजित होना था और मुख्यमंत्री आवास में ही आयोजन होना है।
लेकिन, रेखा आर्य ने पूरे विज्ञापन में मुख्यमंत्री की तस्वीर को जगह नहीं दी। तो आज यानी सोमवार को सूचना एवं लोक संपर्क विभाग की ओर से इस योजना के उद्घाटन के संबंध में पहले पन्ने का पूरा विज्ञापन जारी किया गया जिसमें पूर्व की तरह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तस्वीर के सिवाय न विभागीय मंत्री रेखा आर्य की तस्वीर जगह पा सकी और ना कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले मंत्री गणेश जोशी की तस्वीर छापी गई। अब चुनावी साल है लेकिन विज्ञापनों से मंत्रियों के चेहरे गायब कर दिए जाएंगे तो इससे मंत्रियों के अंह को चोट पहुंचनी भी लाजमी है। फिर मंत्रियों ने भी इसका तोड़ निकाल दिया है अपने विभाग के विज्ञापनों से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की फोटो गायब कर!
(लेखक स्वत्रंत पत्रकार हैं)