- मुख्य सचिव एसएस संधू ने आदेश की नाफरमानी करने वाले अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए
- डिप्टी कलेक्टर स्मृता परमार, गोपाल चौहान,अजयवीर सिंह और सुन्दर सिंह को चार्जशीट
- तीन दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा गया
देहरादून: मुख्यमंत्री बनते ही पुष्कर सिंह धामी ने अफसरोें को तबादलोें को मानने और जोड़-जुगाड़ के लिए राजनीतिक या अन्य तरीके से दबाव न डालने की नसीहत जरूर दी थी। इसके लिए मुख्यमंत्री ने कार्मिक सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी से IAS अफ़सरों को आचरण नियमावली का पाठ पढ़ाने को बाक़ायदा एक पत्र भी पूरी नौकरशाही तक भिजवाया। लेकिन असर कैसा हुआ वह तो उसी वक़्त पता चल गया था जब कई IAS अफ़सरों ने हफ़्तेभर ज्वाइनिंग न लेकर सीएम धामी और सीएस संधु को ठेंगा दिखा दिया। ख़ैर जैसे-तैसे जुलाई में इन हेकड़ीबाज अफ़सरों को मान-मनौव्वल कर ज्वाइन कराकर मामला रफ़ा-दफ़ा कराया गया। लेकिन अफ़सरशाही धामी सरकार को किस क़दर चार माह की चुनावी सरकार भर मानकर चल रही इसकी बानगी सितंबर के शुरू में हुए तबादलों से दिख गई है।
दरअसल, उत्तराखंड शासन ने चार सितंबर को 20 IPS और 64 IAS व PCS अफ़सरों के तबादले किए थे। सचिवालय से लेकर पुलिस मुख्यालय और जिलों में तैनात अफ़सरों को इधर-उधर पटका को हेडलाइन मैनेजमेंट यही हुआ कि युवा सीएम धामी ने प्रदेश की नौकरशाही को नकेल डालकर ठीक कर दिया है पर हुआ इसके ठीक उलट! कई अफ़सरों ने धामी सरकार के तबादला आदेश को ठेंगा दिखाते हुए या तो पूर्व तैनाती वाली कुर्सी छोड़ी नहीं या बहाना बनाकर नई ज्वाइनिंग अब तक ली ही नहीं।
अब दस दिन से अधिक समय बीत गया और सरकार से पूरी तरह बेख़ौफ़ अफ़सरों की हिमाक़त पर थक-हारकर सरकार ने अनुशासनात्मक कार्रवाई का दम भरा है। अब मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु ने कार्मिक विभाग को दस दिन बाद भी ज्वाइनिंग न लेने वाले अफ़सरों पर अनुशासनहीनता व आचरण नियमावली, जिसका चिट्ठी लिखाकर सीएम धामी ने पाठ भा पढ़ाया था, का उल्लंघन करने पर विभागीय एक्शन के आदेश दिए हैं। अब सरकारी तबादला आदेश को ठेंगा दिखाने वाले अफ़सरों के मेडिकल प्रमाणपत्र जाँचे जाएँगे और इस काम में चिकित्सा बोर्ड की सहायता ली जा रही है। अब इस परीक्षण और सत्यापन में अगर किसी अफ़सर का फ़र्ज़ी मेडिकल सर्टिफ़िकेट पाया जाता है तो CS संधु ने अफ़सरों के साथ साथ ऐसे डॉक्टरों पर भी अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कहा है।
कल्पना करिए जब प्रदेश की नौकरशाही में यह मैसेज घर कर जाए कि ‘चार माह की सरकार फिर चुनाव’ तो धरातल पर विकास कार्य कितने हो पाएँगे और हेडलाइन मैनेजमेंट करके ही काम चलाने को मजबूर होना पड़ेगा।