देहरादून: अपनी सरकार के सौ दिन का रिपोर्ट कार्ड दिखाने निकले मुख्यमंत्री तीरथ रावत का ज़ायक़ा हरिद्वार महाकुंभ में हुए फ़र्ज़ी कोविड टेस्टिंग कांड से बिगड़ गया है। विपक्ष आक्रामक होकर सरकार पर हाईकोर्ट की निगरानी में जांच की मांग को लेकर हल्लाबोल रहा, तो सरकार फ़र्ज़ीवड़े की जांच कराकर दोषियों को नहीं बख़्शने का दम भर रही है। लगातार फेक कोविड टेस्टिंग कांड पर तेज होते हमलों के बीच आज मुख्यमंत्री ने चुप्पी तोड़ी है और पहली बार इस घोटाले पर बयान दिया है।
सीएम तीरथ रावत ने दो टूक कह दिया कि वे मार्च में आए हैं और वो मामला पुराना है लेकिन जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। सीएम ने कहा कि जांच बिठा दी गई और जिसने भी ये गड़बड़ी की है उसे बख़्शा नही जाएगा। साफ है मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने हरिद्वार महाकुंभ के दौरान फ़र्ज़ी कोविड गड़बड़झाले से अपना पल्ला झाड़ लिया है और आरोपों की तोप का मुँह पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर मोड़ दिया है।
सवाल है कि अगर मुख्यमंत्री ने शपथ लेते ही जैसे ही घोटाले की जानकारी मिली और जांच बिठा दी थी तो फिर इसका पर्दाफ़ाश अभी तक क्यों नहीं हो पाया? और सौ दिन में जांच कहां तक पहुँची? सच तो ये है कि जांच चंद दिन पहले बिठाई गई जब आईसीएमआर की तरफ से कहा गया। ये सही है कि निजी लैब एजेंसी से करार त्रिवेंद्र सरकार में हुआ लेकिन ये फर्जीवाड़ा भी क्या 10 मार्च से पहले का ही है? जाहिर है सवाल बहुत हैं जिनका जवाब सीएम तीरथ को भी देना है लेकिन अब जब खुद मुख्यमंत्री ने त्रिवेंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है तब देखना होगा टीएसआर एक की चुप्पी कब टूटती है!