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जनता दरबार ज़ख़्मों पर मरहम या नमक छिड़काव! सीएम धामी ने लगाया जनता दरबार, कांग्रेस का कटाक्ष, कहा- बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते, मुख्यमंत्री मात्र एक चौथाई फरयादियों से मिले बाकी बैरंग लौटे

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ये कैसा जनता दरबार-गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून: शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम हाउस के जनता दर्शन हॉल में जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएँ सुनी। इस दौरान लोगों को न काला मास्क और न ही काला गमछा पहने लोगों को अंदर जाने दिया गया। उधर कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार के दो माह पूरे होने पर हुए जनता दरबार पर कटाक्ष किया है।


उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसौनी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जनता दरबार पर सवाल उठाए हैं। दसौनी ने कहा कि एक तो बड़ी देर कर दी मेहरबां आते-आते, साढ़े 4 साल बीत गए प्रदेश के मुख्यमंत्री का मात्र एक जनता दरबार देखने को मिला जिसमें शिक्षिका का घोर अपमान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा किया गया था। कांग्रेस की गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी ने कहा कि दूसरा जनता दरबार कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का था जिसमें हल्द्वानी के व्यापारी ने ज़हर खाकर आत्महत्या कर ली थी।उसके बाद तो जैसे जनता दरबार को समूची भाजपा ने ठंडे बस्ते में डालने का काम कर दिया।

गरिमा मेहरा दसौनी, मीडिया प्रभारी, गढ़वाल मंडल, कांग्रेस


दसौनी ने आरोप लगाया कि आज जब एक अरसे के बाद पुष्कर सिंह धामी के द्वारा दोबारा जनता दरबार लगाया गया तो जनता को घोर अपमान सहना पड़ा। उन्होंने कहा कि जनता दरबार के दौरान पहुंचे लोगों से मुख्यमंत्री ने मिलना तक गंवारा नहीं समझा। दसौनी ने कहा कि इसे दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि मात्र एक से डेढ़ घंटे चले इस जनता दरबार में एक चौथाई जनता से ही मुख्यमंत्री मिल पाए और बाकी लोगों बिना सीएम से मुलाकात के बैरंग लौटा दिया गया।


कांग्रेस नेता ने कहा कि सालों बाद होने वाले इस जनता दरबार से लोगों को बहुत अपेक्षाएं/ आकांक्षाएं थी। लोगों ने सोचा कि अपने कष्ट और परेशानियां जब वे सरकार के मुखिया के सामने रखेंगे तो शायद वे दूर हो जाएंगी। लेकिन ‘बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले’ वाली कहावत आज जनता दरबार में चरितार्थ होते हुए दिखी।


दसौनी ने कहा कि जनता दरबार से मीडिया को दूर रखा जाना भी समझ से परे है।दसौनी ने कहा कि सूत्रों से पता चला है कि इस जनता दरबार का कोई आमंत्रण मीडिया बंधुओं को नहीं भेजा गया था। और तो और जब स्वतः संज्ञान लेकर मीडिया बंधु जनता दरबार में पहुंचे तो उन्हें वहां से बैरंग लौटा दिया गया और एंट्री ना देकर अपमानित भी किया गया।


दसौनी ने कहा कि राज्य सरकार शायद भूल रही है कि यह लोकतंत्र है और लोकतंत्र में चौथे स्तंभ की बहुत बड़ी जिम्मेदारी और भूमिका होती है। ऐसे में जनता दरबार को भी पारदर्शी ही रखा जाना चाहिए था।.आखिर जनता दरबार में ऐसा क्या हो रहा जो मीडिया बंधुओं के साथ साझा नहीं किया जा सकता था? क्या कारण है कि सादर आमंत्रण जनता को दिए जाने के बावजूद मुख्यमंत्री ने जनता की इस कदर बेकद्री की। दसौनी ने कहा कि इस तरह का तानाशाही रवैया डबल इंजन वालों को भविष्य में बहुत महंगा पड़ेगा।

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