Uttarakhand News: उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य की आमदनी किस तरह बढ़े इसको लेकर महामंथन में जुटी हुई है।मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए हैं कि खनन, फॉरेस्ट और ऊर्जा जैसे सेक्टर्स से कैसे राजस्व बढ़े इसके लिए बेस्ट प्रैक्टिस और मॉडर्न टेक्नोलॉजी अपनाई जाए। आज सीएम धामी ने टीम 11 को राजस्व बढ़ाने को लेकर सख्त संदेश दिया है।
दरअसल, उत्तराखंड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार दावा कर रहे कि 2025 में जब उत्तराखंड अपनी रजत जयंती मना रहा होगा तब यह देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों की कतार में सबसे आगे खड़ा होगा। जाहिर है युवा राज्य के युवा मुख्यमंत्री को ऐसा सोचना भी चाहिए किंकी यह नवोदित राज्य टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी से लेकर ऊर्जा, सौर ऊर्जा और एजुकेशन हब के तौर पर उत्तर भारत में न केवल अपनी एक अलग पहचान बना सकता है बल्कि अपनी आर्थिकी को भी मजबूत करके विकसित राज्यों के शुमार कर सकता है। लेकिन क्या जिस सहज अंदाज में मुख्यमंत्री दम भर रहे उतना आसान होगा उत्तराखंड के लिए स्टेट नंबर 1 बनना ?
दरअसल, देश में उत्तराखंड के स्टेट नंबर 1 बनने के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है राज्य पर बढ़ता कर्ज का बोझ ! उत्तराखंड पर आज के दिन कितना कर्जा होगा इसकी तस्वीर जल्द आने वाले बजट में दिखेगी लेकिन अगर पिछले साल आए आंकड़ों पर नजर डालें तो 2016-17 के 44,583 करोड़ रु से बढ़कर 2021 में 73,751 करोड़ रु कर्ज का बोझ हो गया था।
एक अनुमान है कि जब उत्तराखंड अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा होगा तब कहीं कर्ज का बोझ एक लाख करोड़ रु के आसपास न पहुंच जाए। चिंताजनक यह है कि एक तो राज्य के आय के संसाधन बढ़ नहीं रहे हैं। आज हालात ये हैं कि राज्य के बजट का आधे से ज्यादा हिस्सा सेलरी और पेंशन पर खर्च हो रहा है और चिंताजनक ये कि इसमें लगातार इजाफा हो रहा है। यही वजह है कि धामी सरकार पर भारी दबाव है कि वह अपनी आय के संसाधन बढ़ाए। इसी दिशा में सीएम के निर्देश के बाद आज टीम 11 ने महामंथन किया है।
अब तो आलम यह है कि राज्य को पहले से लिए कर्ज का ब्याज चुकाने को भी कर्ज लेना पड़ता है। सहज अंदाजा लगा सकते हैं कर्ज के बोझ से राज्य के हालात कैसे बद से बदतर होते जा रहे हैं। कैग अपनी रिपोर्ट में लगातार राज्य सरकार को आगाह कर रहा है कि राज्य के आर्थिक हालात कतई ठीक नहीं हैं।
सीएम ने कहा है कि विभागों द्वारा लक्ष्य के सापेक्ष अधिक से अधिक राजस्व प्राप्ति के प्रयास किये जाएं। विभिन्न विभागों एवं राजस्व बढ़ाने के लिए अन्य राज्यों की बेस्ट प्रैक्टिस का भी गहनता से अध्ययन किया जाए। जिन विभागों का लक्ष्य के हिसाब से राजस्व प्राप्ति कम है, इसके कारणों का गहनता से अध्ययन किया जाए, जहां पॉलिसी में सुधार की आवश्यकता है, वो करवाई जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में राजस्व प्राप्ति की स्थिति की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को और भी कई जरूरी निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए अप्रैल में राजस्व लक्ष्य प्राप्ति के संबंध में बैठक की जायेगी। जिसमें सभी विभाग लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपनी पूरी योजना बतायेंगे। जिन विभागों की अभी लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति कम है, मुख्यमंत्री ने उन विभागों के सचिवों को निर्देश दिये कि इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक इसको अधिक से अधिक बढ़ाने के प्रयास किये जाएं।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि ऊर्जा, खनन एवं वन विभाग में राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिए विभागों को विशेष प्रयासों की जरूरत है। विभागीय सचिव राजस्व बढ़ाने के लिए इसकी नियमित समीक्षा करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व प्राप्ति बढ़ाने के लिए विभागों को ऑनलाईन सिस्टम पर अधिक ध्यान देना होगा। ऑनलाईन व्यवस्थाओं से जहां सबको कार्य करने में सुविधा होती है, वहीं सिस्टम पारदर्शी भी होता है। आधुनिक तकनीक के प्रयोग पर अधिक ध्यान दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति में कठिनाई आ रही है, इन समस्याओं के समाधान के लिए विभागीय सचिवों को ही रास्ता निकालना है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए जब पूरा विश्लेषण होता है तो उसका समाधान अवश्य निकलता है।
बैठक में जानकारी दी गई कि राजस्व प्राप्ति के मुख्य स्रोत में एसजीएसटी, नॉन-जीएसटी , स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन फीस,परिवहन, स्टेट एक्साइज ड्यूटी में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति की स्थिति अच्छी है। ऊर्जा, वन एवं खनन में लक्ष्य के सापेक्ष राजस्व प्राप्ति में और प्रयासों की जरूरत है।
बैठक में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर के. सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, दिलीप जावलकर, अरविन्द सिंह ह्यांकी, सचिन कुर्वे, डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, एच.सी. सेमवाल, बृजेश कुमार संत, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल, अपर सचिव एवं विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।