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पर उपदेश कुशल बहुतेरे: जब मौका था तब UKSSSC,राजू-बडोनी की तारीफों के कशीदे पढ़ते रहे अब भ्रष्टाचार के ‘हाकमों’ पर धामी का डंडा चला तो आयोग भंग करने का ज्ञान बांट रहे TSR, आहत हरदा ने किया प्रहार

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  • CM रहते त्रिवेंद्र ने UKSSSC की तारीफ में पढ़े कशीदे अब जब धामी भ्रष्टाचार के ‘हाकमों’ का कचरा साफ कर रहे तब आयोग भंग करने पर प्रवचन करते घूम रहे TSR

Uttarakhand News: वैसे सियासत में मौका देखकर रंग बदलना कोई नई बात नहीं लेकिन जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसा तथाकथित कड़क मिजाज नेता भी पॉलिटिकल पॉइंट स्कोर करने को पलटीबाज निकल जाए तो क्या कहा जाए! आजकल उत्तराखंड में UKSSSC के पेपर लीक कांड के बाद इसी पर बहस छिड़ी है कि क्या शुरू से विवादों में रहे इस आयोग से अब जब अधिकतर भर्तियां लेकर राज्य लोक सेवा आयोग को देनी पड़ी हैं तब इसकी उपयोगिता बची भी है या नहीं?

अब मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाकर सियासत में समझदारी का नया ककहरा सीख रहे TSR यानी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मानो राज्य की हर समस्या का समाधान खोज लिया है और फॉर्मूला जेब में लेकर घूम रहे हैं जैसे ही मीडिया समस्या उठाकर सवाल दागता है वे समाधान की जुबानी पर्ची बांचना शुरू कर देते हैं। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी UKSSSC को लेकर भी उनके पास समाधान का फॉर्मूला है। वो यह कि इस आयोग को जितना जल्दी हो सके भंग कर दिया जाए क्योंकि जब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 17 सितम्बर 2014 को आयोग का गठन कर रहे थे तब इसके पीछे मंशा ही गलत थी।
TSR ने अपने ट्वीटर अकाउंट से ज़ी मीडिया को दिए बयान का वीडियो शेयर किया है जिसमें वे कहते सुने जा सकते हैं,

“मैने शुरू में ही कहा था कि ये जो UKSSSC है इसको बनाने के पीछे नियत ही खराब है, इंटेंशन ही सही नहीं है। इसलिए मैंने कहा था, मुझे अच्छी तरह याद है 27 जुलाई को कहा था कि इस संस्था को भंग कर देना चाहिए। ऐसी संस्थाओं की कोई आवश्यकता नहीं है जो राज्य की साख को गिराने का काम करे, राज्य की प्रतिष्ठा को समाप्त करने का काम करे।

अब लगे हाथ उनका जुलाई में दिया वह बयान भी सुन लीजिए जिसके बारे में वे बाकायदा तारीख बताकर अहसान जता रहे कि देखिए मैने तो 27 जुलाई को ही कह दिया था कि इस आयोग को भंग कर दो क्योंकि इससे राज्य की बड़ी बदनामी हो रही है। सुनिए आखिर 27 जुलाई को तिरदा ने कहा क्या था:

सुना आपने पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत 27 जुलाई को दिए अपने बयान में कहते सुने जा सकते हैं,

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” चिंता का विषय है कि हमारे सुयोग्य बच्चे हैं.., कुछ शॉर्ट कट पर चलने वाले लोग कुछ रिश्वतखोर लोग हमारी उस एजेंसी को कहीं न कहीं प्रभावित करने का काम कर रहे हैं। उसके बारे में विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि पिछला जो रेजीम था कांग्रेस का,उसके बाद जब मैं सीएम बना तो इस तरह का घोटाला पकड़ में आया था, अब फिर इस तरह का घोटाला सामने आया है। और मुझे ध्यान है कि बहुत समय पहले उत्तर प्रदेश में भी एक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग बना था और इन्हीं कारणों से फिर उसे भंग करना पड़ा था। तो इस तरह से अगर अत्याचार होता है नई जेनरेशन के साथ तो सरकार को चाहिए कि इसे भंग करने पर भी विचार करे।”

अब जरा TSR साहब की कथनी और करनी का भेद भी देख लीजिए। जुलाई में कहा आयोग भंग करो और अक्टूबर में भी फिर दोहरा रहे कि आयोग भंग करो क्योंकि इसका गठन करते हुए मंशा गलत रही थी और इस आयोग ने राज्य की बड़ी बदनामी करा डाली है। लेकिन यही TSR जब मुख्यमंत्री थे जब भी इस आयोग की भर्तियों में नकल माफिया की दखल और धांधली के आरोपों की आग ठंडी नहीं पड़ती थी लेकिन सात अगस्त 2020 को जब UKSSSC के नए भवन का उद्घाटन का मौका था तब यही TSR मुख्यमंत्री के रूप में आयोग और उसके कर्ता धर्ता अध्यक्ष एस राजू और सचिव संतोष बडोनी की तारीफ में ऐसी कशीदाकारी कर रहे थे कि उस वक्त ये आयोग उनको देशभर और खासकर यूपी के आयोग से कहीं ज्यादा बेहतर नजर आ रहा था। आप खुद सुनिए अब ज़ी मीडिया को दिया ताजा बयान और सात अगस्त 2020 को आयोग की खूबियां गिनाने का अंतहीन किस्सा!

यानी 2020 के अगस्त में यही आयोग त्रिवेंद्र रावत को अल्पकाल में ही चमत्कारिक कार्य करता दिख रहा था और अब आयोग गठन की मंशा पर ही सवाल! सुना आपने TSR ने तब तारीफों के पुल बांधते कहा,

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“अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, जब से हमारी सरकार आई है 2017 से तब से अब तक 6000 लोगों का चयन करा चुका है जिनमें से चार हजार ने ज्वाइन कर लिया है और दो हजार प्रक्रिया में हैं। इसी तरह से ढाई हजार और लोगों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। वो भर्ती भी आयोग से अनुरोध करूंगा कि जल्दी से जल्दी पूरी करे। वैसे तो प्रक्रियाओं में समय लगता है लेकिन फिर भी जिस तरह से इन लोगों (अध्यक्ष एस राजू और सचिव संतोष बडोनी टीम) ने काम किया है बहुत अच्छा काम किया है। और तमाम हमारे नौजवान जी रोजगार के लिए इधर उधर जाते हैं उनको l एक केंद्र मिल जाता है कि वहां (UKSSSC) भर्ती हो जाते हैं। दूसरी चीज अगर हम अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और अन्य राज्यों से तुलना करें और विशेषकर अगर हम उत्तर प्रदेश से तुलना करें तो उत्तर प्रदेश की तुलना में उत्तराखंड का जो अधीनस्थ सेवा चयन आयोग है वह बहुत अच्छा कार्य कर रहा है। अभी नया आयोग है 2014 का बना है अभी छह साल का है लेकिन जिस ढंग से इन लोगों ने काम किया है बहुत अच्छा काम किया है।”

लीजिए ये हाल है पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का! 2020 में UKSSSC जैसा आयोग न देश में किसी राज्य में नजर आया और न जिससे उत्तराखंड अलग हुआ उस योगी राज वाले उत्तरप्रदेश में। लेकिन कुर्सी गई और आज जब पेपर लीक कांड के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के हाकमों से लेकर नकल माफिया के मूसा सरीखे मास्टरमाइंड सलाखों के पीछे डाल दिए। इसी आयोग के चेयरमैन रहे पूर्व पीसीसीएफ डॉ आरबीएस रावत (रिटायर्ड IFS) जैसे बिग शार्क जेल में ठेल दिए तब पूर्व मुख्यमंत्री TSR की कसमसाहट है कि आयोग भंग क्यों नहीं कर दिया जा रहा।

सवाल UKSSSC पर TSR के रंग बदलने का ही नहीं है। सवाल यह भी है कि जब इसी आयोग की फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हाकम और मुकेश सैनी गैंग ने ब्लूटूथ से सेंध लगाकर पेपर उड़ा लिया था तब जीरो टॉलरेंस की सरकार चला रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कितनों को अंदर किया और आयोग भंग करने से किसने रोक दिया था?

उल्टे आज पकड़ में आया हाकम तब बच निकला था और TSR राज में हासिल अपने रसूख के दम पर सरकारी हेलीकॉप्टर घर पर उतार दिखाया। अगर तब TSR अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षाओं पर मंडराते नकल सिंडीकेट की कमर तोड़ने का साहस जुटा लेते तो अब तक हुई हजारों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ शायद नहीं हुई होती।

उससे बड़ा सवाल यह भी कि आज जिस तरह से सीएम धामी ने आरबीएस रावत जैसे बड़े मगरमच्छ को नाप दिया है तब उसी VPDO भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले की विजिलेंस जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री TSR की टेबल पर अपर मुख्य सचिव डॉ रणवीर सिंह रख आए थे, जिसमें पुष्टि हो चुकी थी कि OMR sheet के साथ भयंकर छेड़छाड़ हुई है, तब जीरो टॉलरेंस का राग अलाप रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के हाथ किसने बांध दिए थे?

आरबीएस रावत तो तब से खुला घूमता रहा और घूमता ही नहीं रहा TSR 1 के बाद सीएम कुर्सी पर काबिज हुए TSR 2 ने तो प्रधान सलाहकार बनाकर आरबीएस रावत के मानो सारे दाग धुल दिए। कल्पना करिए TSR 1 के काबू में न आए और TSR 2 की किचन कैबिनेट में शामिल हो गए तथा संघ तक में घुसपैठ करने में सफल रहे उसी आरबीएस रावत को एक झटके में धामी ने अंदर डाल रक्षा मंत्री राजनाथ के कहे ‘पुष्कर फ्लावर नहीं फायर हैं’ जुमले को चरितार्थ कर डाला है।

TSR के आयोग भंग की रट से आहत हरदा भी अब इन पर हमलावर हो गए हैं और पूर्व मुख्यमंत्री ने एक जमाने के अपने ‘यारा’ को आइना दिखा दिया है।
हरदा ने जरा प्यार भरे अंदाज में TSR को बता दिया कि बड़ी देर कर दी हुजूर आते आते!

यारा बड़ी देर कर दी समझ आते-आते। 2017 में जब हमने जांच शुरू की थी, जब आपके मंत्री ने विधानसभा के पटल पर स्वीकार किया था कि गड़बड़ियां पाई गई है, जांच रिपोर्ट शासन को मिली है‌। यदि तब इतना गुस्सा दिखाया होता तो फिर धामी की धूम नहीं होती, रावतों की धूम होती।
धन्य है उत्तराखंड, दरवाजे की चौखट पर सर टकराए तो घर ही गिरा दो। विधानसभा में भर्तियों में धांधलियां हुई तो विधानसभा भवन ही गिरा दो। संस्थाएं खड़ी की हैं, यदि संस्थाओं का दुरुपयोग हुआ है तो उसको रोकिए, दृढ़ कदम उठाइए, संस्थाएं तोड़ने से काम नहीं चलेगा। यदि हमने मेडिकल और उच्च शिक्षा का वॉक इन भर्ती बोर्ड नहीं बनाए होते तो आज डॉक्टर्स और उच्च शिक्षा में टीचर्स की भयंकर कमी होती। यदि गुस्सा दिखाना ही है तो अपनी पार्टी के लोगों को दिखाइए न, ये जितने घोटालेबाज अब तक प्रकाश में आए हैं इनका कोई न कोई संबंध भाजपा से है और विधानसभा भर्ती, यदि घोटाला है तो उसकी शुरुआत से लेकर के…कहां तक कहूं, तो गुस्सा सही दिशा की तरफ निकलना चाहिए। उत्तराखंड का संकल्प होना चाहिए कि जिन लोगों ने भी इन संस्थाओं में गड़बड़ियां की हैं, हम उनको ऐसा दंड देंगे कि कोई दूसरी बार गड़बड़ी करना तो अलग रहा, कोई भूल करने की भी गलती न करे।#uttarakhand

Trivendra Singh Rawat

हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री
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