देहरादून: पहाड़ पॉलिटिक्स में 2014 के बाद से लगातार चुनाव दर चुनाव करारी शिकस्त खाती आ रही कांग्रेस 2022 में सत्ता पाने को लालायित है। उत्तराखंड को लेकर कांग्रेस आलाकमान कितना गंभीर है यह इसी तथ्य और चुनावी टीम उतारने से समझा जा सकता है कि हरदा को मन का पद व अध्यक्ष दिया, तो प्रीतम को भी मनाकर रखा और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर क्षेत्रीय-सामाजिक संतुलन साधने का कठिन प्रयास भी किया। इसका नतीजा यह रहा कि आज बीजेपी कॉरिडोर्स में प्रदेश अध्यक्ष बदलने का हल्ला तेज हो चुका क्योंकि पहाड़ पर बदले समीकरण में बीजेपी को पिछड़ने का डर सता रहा। बीजेपी इसकी काट में मंथन कर नया फ़ॉर्मूला तलाशने को पसीना बहा रही जबकि उसको इतनी मेहनत-मशक़्क़त की जरूरत नहीं! आखिर कांग्रेस नेता उसका यह काम आसान जो करते आए हैं।
ताजा मामला देखिए फिर आपको यकीन हो जाएगा कि आखिर ऐसा क्यों कहा जा रहा है। अब पहाड़ पॉलिटिक्स में हरदा वर्सेस प्रीतम जंग किसी से छिपी नहीं रही है। गणेश गोदियाल के चार्ज संभालने के बहाने हुए शक्ति-प्रदर्शन में भी इस अदावत को देखा गया। लेकिन अब तो हद हो गई! हालात यह हैं कि अब हरदा और प्रीतम के सिपहसालार भी खुलेआम राष्ट्रीय और प्रदेश नेताओं के सामने उलझने लगे।
हुआ यूँ कि कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया पैनेलिस्ट जरिता लैतफ्लांग को प्रभारी देवेन्द्र यादव ने 2022 के चुनाव के मद्देनज़र मीडिया गतिविधियों को लेकर पॉइंट पर्सन यानी कि मीडिया को-ऑर्डिनेटर बनाया है। गुरुवार को जरिता लैतफ्लांग ने प्रदेश मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि से लेकर तमाम नवनियुक्त प्रवक्ताओं की मीटिंग बुला ली। मक़सद कि 2022 के चुनाव के मद्देनज़र कैसे आक्रामक मीडिया रणनीति बनाई जाए ताकि सत्ताधारी बीजेपी से मुकाबले में जीत हासिल हो सके। लेकिन अब जरिता लैतफ्लांग के समझाने में ग़लती रही या हरदा वर्सेस प्रीतम कैंप की जंग के निचले स्तर पर उतरने का वक्त आ गया था।
बैठक खत्म होते-होते पार्टी मुख्यालय राजीव भवन में ही गढ़वाल मीडिया को-ऑर्डिनेटर और प्रवक्ता गरिमा दसौनी मेहरा और प्रवक्ता डॉ प्रतिमा सिंह आपस में उलझ गई। प्रवक्ता गरिमा ने गाली-गलौच शुरू कर वार किया तो उसी जवाबी अंदाज में गालियों के जरिये ही प्रवक्ता प्रतिमा ने पलटवार किया। एक दर्जन ले ज्यादा नेता और दूसरे प्रवक्ता तमाशा देखते रहे। खुद मीडिया को-ऑर्डिनेटर जरिता भी हैरत में पड़कर सोचती रही कि उनका इशारा विरोधी दलों से मीडिया-टीवी डिबेट्स में तथ्यों के साथ लोहा लेने से था लेकिन अर्थ गाली-गलौज में कैसे तब्दील हो गया।
अब कौन बताए गरिमा हरदा की करीबी हैं और प्रतिमा प्रीतम कैंप से आती हैं। हरदा कैंप मजबूत हुआ है लिहाजा गरिमा का दबंगई में आना स्वाभाविक है और प्रीतम कैंप सदमे में लिहाजा प्रतिमा का आपा खोना भी सहज समझा जा सकता है। वैसे जानते हरदा-प्रीतम भी सबकुछ हैं लेकिन क्या प्रभारी देवेन्द्र यादव भी कुछ समझ पा रहे होंगे!