देहरादून( पवन लालचंद): हमको यही मालूम था कि एक आइना है नैनीताल हाईकोर्ट के पास जिसे चार सालों में गाहे-बगाहे टीएसआर साहब को दिखाया जाता रहा और तीरथ दा देख रहे। शायद हमारा ये सोचना गलत रहा क्योंकि आइने तो अब सत्ताधारी दल में हर कोई लिए फ़िर रहा! कुछ इसी अंदाज में तीरथ सरकार में काबिना मंत्री गणेश जोशी ने पूर्व मुख्यमंत्री टीएसआर को सच सुना दिया कि साहब हमारी पूर्ववर्ती सरकार सोई हुई थी, लापरवाह बनी रही थी, कुछ किया नहीं साल भर कोरोना से जंग में, इसलिये अब हमें चौबीसों घंटे दौड़ना पड़ रहा।
वैसे जोशीजी, चौबीसों घंटे की दौड़ हो रही तो फ़िर दो दिन पहले हाईकोर्ट को क्यों कहना पड़ा कि एक अदृष्य दुश्मन से जंग है और सरकार शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर देकर सोई हुई है। जाहिर है यूँ कोई सरकार एक दिन में भला शुतुरमुर्ग बन नहीं जाती, उसके लिए उसे चार साल की मेहनत लगती होगी? अगर मेहनत न लगी होती पिछले चार साल की तो भला अपने टीएसआर साहब को अचानक घर से टूटा तीन टांग का फ्रिज लेकर कोरोनेशन कोविड हॉस्पिटल तक न दौड़ना पड़ता! आखिर मंत्री गणेश जोशी को आज दूसरी लहर और कल आने वाली तीसरी लहर की चुनौती के लिए फ़िक्रमंद होना चाहिए। वरना परसों चुनाव बाद कोई नए आ गए तो फिर चार साल के लिए न कोसेंगे बल्कि तीरथ दा-जोशी जी वाले सालभर को भी गिनकर हिसाब बताएँगें।
खैर, जोशीजी तो जोश में बोल गए कि टीएसआर-वन सरकार कतई नकारा और लापरवाह रही कोविड को लेकर लेकिन अब घर के भीतर ज़ुबानी जंग के चलते फैले सियासी रायते को समेटने में पसीने छूट रहे प्रदेश अध्यक्ष कौशिक और दूसरे दिग्गजों के। लेकिन विपक्ष को तो बैठे बिठाए मुद्दा थमा ही गए जोशीजी। वैसे कम अपने टीएसआर-वन भी कहां! कोरोना जांच के लिए सालभर में भले हरिद्वार जिले में एक सरकारी टेस्टिंग लैब न बनवा पाए हों( ये हाईकोर्ट बता रहा) और चाहे सूबे को सीटी स्कैनर तक पर्याप्त न देकर गए हों लेकिन कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को अनुभवहीन कहकर अपनी पार्टी और मुख्यमंत्री तीरथ की च्वाइस को आइना जरूर दिखा रहे हैं। बेचारे जोशीजी दिन-रात मारे मारे फिर रहे देहरादून के प्रभारी मंत्री बनकर खुद को कोरोना के हॉट स्पॉट शहर की चुनौती से निपट रहे योद्धा के तौर पर पेश कर रहे और अपने टीएसआर हैं कि उन्हें अभी काफी कुछ सीखने के लिए कोचिंग क्लास ज्वाइन करने तीन नसीहत थमा रहे.
अब ये आइना ही तो है वरना क्या तीन चौथाई बहुमत और 57 विधायक पाकर भी एक डबल इंजन सरकार अनुभव वाले नौ-दसेक मंत्री ‘माननीय’ तक नहीं खो पाती। शायद यही वजह रही हो कि पूरे चार साल दो खाली कुर्सियों, बाद में तीन खाली कुर्सियों के लायक मंत्री ‘माननीय’ ‘बातें कम काम ज्यादा’ करके भी अपने त्रिवेंद्र रावत नहीं खोज सके!
वैसे कोरोना में आईना लेकर हर दूसरा भाजपाई घूम रहा! चंद रोज पहले एक और काबिना मंत्री हरक सिंह रावत आईसीयू बेड को लेकर नई सरकार को आईना दिखा चुके हैं।
वैसे सियासत को आईना दिखाने की बारी तो जनता की आने को है लेकिन कोरोना से बिगड़े हालात में घर के भीतर हालात बिगड़ रहे लिहाजा सियासतदां एक-दूसरे को आइना बेच रहे।