देहरादून: केन्द्रीय रक्षा व पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट को बधाई देते पूर्व सीएम हरीश रावत ने भले कह दिया हो कि मोदी मंत्रिमंडल का फेरबदल उत्तराखंड के लिए खट्टा ही रहा। लेकिन ये सच हरदा भी जानते हैं कि बीजेपी 2022 के लिए अपने मिशन 60 प्लस को लेकर ही अचानक कुमाऊं पर मेहरबान हुई है। हरदा ये भी बखूबी जानते हैं कि धामी और भट्ट को आगे कर बीजेपी ने उनकी घर में घेराबंदी का दांव चला है। तभी तो पौड़ी गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत की अचानक छुट्टी कर कुमाऊं से युवा ठाकुर चेहरे के तौर पर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री और उसके तुरंत बाद रमेश पोखरियाल निशंक की कैबिनेट मंत्री पद से छुट्टी कर अजय भट्ट को केन्द्र में राज्यमंत्री बनाया गया है।
अब बीजेपी को चुनाव में इसका कितना फायदा मिलेगा ये तो 2022 में ही पता चलेगा लेकिन फिलहाल तो पहाड़ पॉलिटिक्स में चर्चा इसकी ज्यादा हो रही कि आखिर गढ़वाल क्षेत्र से अचानक कौनसी ख़ता हो गई जो मोदी-शाह ने नज़रें फेर ली हैं। पॉवर कॉरिडोर में यही गपशप हो कि गढ़वाल बहुगुणा-महाराज-हरक के जाने से कांग्रेस कमजोर है और कुमाऊं में हरदा लीड न लें सकें इसलिए रामनगर चिंतन शिविर से निकले सियासी अमृत को बीजेपी महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष ने मोदी-शाह तक पहुँचाया है जिसके बाद ताबड़तोड़ एक्शन हुआ है। चर्चा ये भी है गढ़वाल बीजेपी में टीएसआर एक-दो से लेकर महाराज-हरक और दूसरे नेताओं की सिर-फुटौव्वल से तौबा कर पार्टी नए रास्ते चल पड़ी है।
लेकिन कहीं ये बाइस बैटल में बीजेपी के लिए घाटे का सौदा न हो जाए! आखिर सियासी गलियारे में इस पर चर्चा तेज हो रही कि महाराष्ट्र राज्यपाल बनाकर भेजे भगत सिंह कोश्यारी भी कुमाऊं से आते हैं, अब केन्द्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी वहीं से हो गए हैं। ऐसे में लोग पूछ रहे कि गढ़वाल का पर्वतीय अंचल नेतृत्व की नजर में अचानक ओझल क्यों हो चला! तभी किसी ने पूछ लिया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि शिष्य सीएम हो गए अब गुरु को राजभवन से आराम देने की तैयारी न हो जाए!