न्यूज़ 360

ADDA IN-DEPTH धामी सरकार के पूरे प्रचार तंत्र पर अकेले हरदा भारी! न्यूज चैनलों के मंच से लेकर अखबार, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर हरीश रावत का हल्लाबोल, सत्तापक्ष बेदम, बाकी विपक्षी दल और नेता भी सन्नाटे में

Share now

देहरादून: भले सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को 22बैटल का चुनावी चेहरा घोषित न किया हो लेकिन सियासी पगडंडी के चतुर खिलाड़ी हरदा ने कांग्रेस कैंपेन कमेटी का कमांडर बनते ही पहाड़ के केन्द्र में खुद को पुन: स्थापित कर दिया है। अब चाहे सत्तापक्ष पर जनहित के मुद्दों पर हल्लाबोल करना हो या फिर सत्तापक्ष की तरफ से हमलों का सामना करना हो केन्द्र में हरीश रावत ही होते हैं। फिर चाहे ‘उज्याडू बल्द’ के बहाने कांग्रेसी गोत्र वाले क़रीब आधा दर्जन मंत्रियों पर हल्लाबोल हो या फिर हरक सिंह रावत से लेकर रेखा आर्य के निशाने पर रहते पलटवार झेलना हो। या
सांसद अनिल बलूनी के साथ तकरार और मुहब्बत वाले अंदाज में उलझना रहा हो।


चुनाव नज़दीक देखकर सजने लगे टीवी चैनलों और अखबारों के मंच हो या फिर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स, बीजेपी सरकार पर निशाना साधने का हरने मौका हरदा भुनाते दिख रहे हैं। पिछले एक महीने में करोड़ों रु विज्ञापन पर खर्च कर जो माहौल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नहीं बना पा रहे, हरीश रावत ने अपनी राजनीतिक चतुराई और चौतरफा सक्रियता दिखाकर अपने इर्द-गिर्द सारे आरोप-प्रत्यारोप और दांव-पेंच
की सियासत को समेट लिया है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के नाते चार साल से मेहनत कर रहे प्रीतम सिंह को अब नेता प्रतिपक्ष के तौर पर बदली भूमिका में अपने पहले विधानसभा सत्र में जोर-आजमाइश सदन के भीतर करनी है। लेकिन सदन के बाहर सड़क पर कांग्रेस के लिहाज से गणेश गोदियाल नहीं बल्कि हरीश रावत अपने तरीके से पत्ते बिछाने शुरू कर चुके हैं।

जिस उत्तराखंडियत को कांग्रेसी तरकश का सबसे धारदार तीर बनाने पर हरदा जुटे हैं वह कुछ और नहीं बल्कि अपनी पिछली सरकार के एजेंडे को चुनावी बिसात पर लाने की जंग है। यानी कोई चाहे न चाहे चेहरा भी हरदा और मुद्दे भी उन्हीं के थमाए होंगे कांग्रेस कैंप में हरेक के हाथों में! इतना ही नहीं सत्तारुढ़ दल को भी अपने एजेंडे पर खींचने की कोशिश कैंपेन कमेटी चीफ बनने के बागी से हरदा कर रहे हैं।
दरअसल हरीश रावत के सामने इस बार कई मोर्चों पर चुनौती पेश आने वाली हैं। कांग्रेस के भीतर ताकतवर प्रीतम कैंप के साथ संतुलन की लड़ाई तो लड़नी ही है, 2017 में जिस मोदी सूनामी में अपना सबकुछ लुटा चुके उसी तूफान के सामने से 2022 में अपनी सियासी कश्ती बचाकर ले जाने की चुनौती है। राज्य की राजनीति में नई ताकत बनने को बेचैन दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की AAP से संभावित सेंधमारी के सुराख़ भी पता करते रहना होगा।

यही वजह है कि चुनावी बिगुल से पहले ही अति सक्रियता दिखाकर हरदा विभिन्न मोर्चों से एक साथ हमलावर होकर खुद को पहाड़ पॉलिटिक्स के केन्द्र में ले आए हैं। अब बीजेपी थिंकटैंक भी जान चुका है कि उसकी जंग कांग्रेस से बाद में होगी पहले अग्रिम पंक्ति में खड़े हरदा के हमलावर तेवरों की काट खोजनी होगी।

Show More

The News Adda

The News अड्डा एक प्रयास है बिना किसी पूर्वाग्रह के बेबाक़ी से ख़बर को ख़बर की तरह कहने का आख़िर खबर जब किसी के लिये अचार और किसी के सामने लाचार बनती दिखे तब कोई तो अड्डा हो जहां से ख़बर का सही रास्ता भी दिखे और विमर्श का मज़बूत मंच भी मिले. आख़िर ख़बर ही जीवन है.

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!