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RBS Rawat पर धामी के एक्शन को 24 घंटे बीते नहीं हरदा का आ गया माफीनामा, जानिए क्यों आन पड़ी ये नौबत

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UKSSSC VPDO Scam and arresting of RBS Rawat, Harish Rawat apologize: अभी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ऐलान- बाबा केदार की सौगंध भर्ती घोटालों के आखिरी आरोपी की अरेस्टिंग तक कार्रवाई नहीं रुकेगी और UKSSSC के पूर्व अध्यक्ष रिटायर्ड पीसीसीएफ डॉ आरबीएस रावत की गिरफ्तारी को चौबीस घंटे भी बीते नहीं कि हरदा ने माफी मांग ली है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखंड की जनता से माफी मांगते हुए कहा है कि वे माफी मांगते हैं UKSSSC के अध्यक्ष आरबीएस रावत सहित अन्य तमाम अफसरों के चयन में उनसे हुई चूक को लेकर। रावत ने भगवान और उत्तराखंड से माफी मांगी है और कहा है कि उनसे जुड़े रहे तमाम लोग जांच में सहयोग करे ताकि उत्तराखंड के साथ न्याय हो सके।

दरअसल उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का गठन हरदा राज में ही हुआ था और मुख्यमंत्री रहते हरीश रावत ही डॉ आरबीएस रावत जैसे हीरे को खोजकर लाए थे जिन पर कई तरह के आरोप पहले से लगते रहे थे लेकिन उनको UKSSSC का पहला अध्यक्ष बना दिया गया। आरबीएस रावत की अगुआई में आयोग ने ले देकर दूसरी तीसरी भर्ती परीक्षा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी यानी VPDO के 196 पदों पर कराई।


लेकिन अध्यक्ष के तौर पर आरबीएस रावत ने सरकारी नौकरी का सपना देख रहे बेरोजगारी युवाओं के भविष्य से ऐसा खिलवाड़ कराया कि ओएमआर शीट दो हफ्ते तक किसी गुप्त स्थान पर रखने के संगीन आरोप से लेकर पेपर लीक और अयोग्य उम्मीदवारों को पास कराने जैसे आरोपों की बौछार ने नए नवेले आयोग की साख रसातल में पहुंचा दी।

हल्ला और हाय तौबा मचा तो हाई कोर्ट के आदेश पर परीक्षा दोबारा करानी पड़ी थी। लेकिन आरबीएस रावत की सरपरस्ती में न केवल ओएमआर शीट में फ्लूइड और ब्लेड से छेड़छाड़ की गई बल्कि अध्यक्ष रहते वे ही दागी RMS Techno Solutions कंपनी की एंट्री आयोग में करा गए जिसने एक के बाद एक कई भर्ती परीक्षाओं में नकल माफिया के साथ गठजोड़ कर बेरोजगार युवाओं के सरकारी नौकरी के सपने का सौदा किया। हाल के UKSSSC द्वारा कराए गए स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कांड में भी RMS Techno Solutions की भूमिका संदिग्ध पाई गई जिसके बाद इसके मालिक से लेकर कर्मचारी तक जेल पहुंच चुके हैं। अब आरबीएस रावत भी उन्हीं के साथ जेल यात्रा पर पहुंच गए हैं।

दरअसल आरोप है कि अध्यक्ष आरबीएस रावत ने सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरियाल के साथ साजिश रच ओएमआर शीट से छेड़छाड़ कराई तभी तो जहां ओएमआर शीट की स्कैनिंग की गई थी वहां वहां न तो कोई कमरा था और न ही कोई गोपनीयता बरती गई। फिर सीसीटीवी फुटेज कहां से मिलता। इसी हाल को देखकर तब यह चर्चा आम होने लगी थी कि एक अधिकारी झोले में ओएमआर शीट लेकर घूमता था। लेकिन तब हरदा आरबीएस रावत एंड कंपनी के इन कारनामों के किस्से जाने क्यों सुन नहीं पाए या अनसुना करते गए। वरना आरबीएस रावत के VPDO भर्ती परीक्षा में किए गए कांड पर चौतरफा हल्ले के बाद आयोग के अध्यक्ष पद से मई में दिए इस्तीफे को 23 सितंबर से काफी पहले मंजूर कर लिया गया होता। खैर, अब हरदा में न केवल आरबीएस रावत के चयन पर अफसोस जताया है बल्कि उसके बाद दूसरे अध्यक्ष बनाए गए एस राजू के चयन को लेकर भी माफीनामा जारी किया है।

यहां हुबहू पढ़िए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आखिर कहा क्या:

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के जन्म से लेकर अब तक पतन की कहानी से मैं बहुत क्षुब्ध हूँ। बड़े अरमानों से हमने इस संस्था को और मेडिकल व शिक्षा के भर्ती चयन बोर्डों को तथा प्राविधिक शिक्षा बोर्ड को परीक्षा करवाने की अनुमति देने के निर्णयों को लिया था। मन में एक सोच थी कि सारी नियुक्तियों को प्रक्रिया सम्मत बनाया जा सके। समय पर व विधि सम्मत तरीके से नियुक्तियां हो सकें। राज्य जिसे हमने तदर्थ/आउट सोर्स की नियुक्तियों का स्वर्ग बना दिया था। एक अनिश्चितता नौजवानों के भविष्य में स्थाई भाव बन गई थी उसको समाप्त करने के लिये इन संस्थाओं को खड़ा किया गया। मेरी भावना थी कि नौजवानों के मन में विश्वास की भावना पैदा हो सके कि हम परिश्रम करेंगे तो हमें समय पर विधि सम्मत तरीके से नियुक्तियां मिल जाएंगी। मैंने बड़े तौल करके इनके प्रथम अध्यक्ष और आयोग के सदस्यों को नियुक्त किया, मेडिकल भर्ती बोर्ड और उसके चेयरमैन को नियुक्त किया। यहां तक कि लगभग non-functional बन चुके लोक सेवा आयोग को भी फंक्शनल बनाया, परीक्षाएं करवाई। आयोग में गड़बड़ी की शिकायत आने पर अध्यक्ष से इस्तीफा मांगा और नये अध्यक्ष की नियुक्ति व्यापक परामर्श करके की। इन दोनों अध्यक्षों के कैरियर ग्राफ को देखेंगे तो आपको भी लगेगा कि ये नियुक्ति करते वक्त हमने कोई गलती नहीं की। लेकिन व्यक्ति कहां और किस क्षण बड़ी गलती कर जाए या अकर्मण्य सिद्ध हो जाए, कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। भगवान मुझे क्षमा करें, उत्तराखंड मुझे क्षमा करें। शायद इन संस्थाओं में नियुक्त व्यक्तियों के चयन में मुझसे गंभीर चुकें हो गई हैं!
मैंने उस कालखंड में अपने साथ काम करने वाले लोगों से कहा है कि हर जांच में पूरा सहयोग करें। उत्तराखंड के साथ न्याय होना चाहिए। जहां कई वर्षों से पुलिस के लोगों की पदोन्नति नहीं हुई थी, पुलिस सिस्टम में एक फर्स्ट्रेशन था। मैंने उस फर्स्ट्रेशन को समाप्त करने के लिए भी पुलिस को लेकर कई निर्णय लिए हैं। आज वह निर्णय स्क्रूटनी के दौर में हैं। मैंने उस कालखंड में मेरे साथ काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति से कहा है कि यदि किसी तरीके की जांच के लिए उनके सहयोग की आवश्यकता है तो वह सहयोग करें और इन जांचों में सहयोग करना हम सबका कर्तव्य है।

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