देहरादून/ कोटद्वार: जून 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवानी पड़ी थी और हरीश रावत की सत्ता पर ताजपोशी हुई थी। अपनी सरकार में जहां हरदा ने उत्तराखंडियत को तवज्जो देते हुए गांव-गदेरे, मंडवे-झंगोरे सहित कई अभिनव पहलें की, तो वहीं, डेनिश के बहाने शराब नीति और खनन के खुले खेल के चलते जमकर बदनामी भी झेलनी पड़ी थी। खासकर विपक्ष में रहते तब भाजपा ने जमीनी स्तर पर हरीश रावत सरकार की शराब और खनन नीति को जमकर कोसा और जनता तक स्टिंग और दूसरे तमाम माध्यमों से ऐसे परोसा कि न केवल सूबे के अब तक हुए चार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सबसे बुरी शिकस्त खाकर 11 विधायकों पर सिमट गई बल्कि सीटिंग सीएम रहते खुद भी दो-दो सीटों से चुनाव हार गए थे। अब सूबे में भाजपा की धामी सरकार है, कांग्रेस विपक्ष में हैं और पंजे के लिए बाइस बैटल के कैंपेन कमांडर हरीश रावत हैं। लिहाजा हरदा अब भाजपा को सूद समेत खनन और शराब आदि नीतियों को लेकर हिसाब चुकता करना चाहते हैं। कोटद्वार में मंगलवार को धामी सरकार में चल रहे खनन के खुले खेल को एक्सपोज करने के लिए हरीश रावत ग्राउंड जीरो पर उतरे।
हरदा ने धामी पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोलते हुए उनको ‘खनन प्रिय मुख्यमंत्री’ का तमग़ा भी दे दिया है। हरीश रावत अपने कोटद्वार दौरे के दौरान चिल्लरखाल-लालढांग मोटरमार्ग के हालात जानने को ग्राउंड जीरो पर उतरे और दावा किया कि 90 फीसदी काम उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था और पिछले पौने पांच सालों में मोटरमार्ग को लेकर कोई काम नहीं हो पाया। यानी हरदा ने एक झटके में कोटद्वार के विधायक और कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के दावों की हवा निकालने की कोशिश की। इसके बाद रावत ने खनन के खेल को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर हमला बोला।
हरदा ने खोह, मालन और सुखरौ नदी में चल रहे खनन को लेकर धामी सरकार को निशाने पर लेते हुए खनन के खेल को लेकर कई सवाल उठाए। रावत ने आरोप लगाया कि सुखरौ नदी पर बन रहे पुल के पिलर के आसपास 50 मीटर से गहरे तक खनन हो रहा है। रावत ने कहा कि इस हालात में अगर नदी में जल स्तर बढ़ा तो पुल को खतरा हो सकता है। हरीश रावत ने अपने ग्राउंड जीरो पर जाकर खनन के हाल का वीडियो ट्विट कर लिखा है, ‘हमारे खनन प्रिय मुख्यमंत्री जी के राज में कोटद्वार की नदियों की ये हाल बना हुआ है।’
दरअसल, कांग्रेस राज में 2017 के चुनावी संग्राम में कूदते हरीश रावत को विपक्ष दल भाजपा की तरफ से सबसे ज्यादा हमले खनन और शराब नीति को लेकर ही झेलने पड़े थे। अब हरदा हमलावर होकर भाजपा को जवाब देते धामी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। हरिद्वार के बाद कोटद्वार में जिस तरह से हरदा ने खनन के खेल में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर तीखा हमला बोला है, वह रावत की इसी रणनीति का हिस्सा है। जहरीली शराब के बहाने कांग्रेस कैंपेन कमांडर लगातार भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं। अब मुख्यमंत्री धामी को ‘खनन प्रिय मुख्यमंत्री’ का तमग़ा देकर रावत ने हमला तीखा कर दिया है। सवाल है कि हरदा के हल्लाबोल और ‘खनन प्रिय मुख्यमंत्री’ के तमग़े को लेकर युवा सीएम धामी कैसे पलटवार करते हैं क्योंकि इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी खनन नीति को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं।