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हमलावर हरदा ने चलाई दोधारी तलवार: खनन प्रेमी के बाद अब बताया बजरी-बोल्डर लुटवा, धामी के मंत्री हरक के कबूलनामे के सहारे मुख्यमंत्री पर हल्लाबोल, उदार प्रतिपक्ष की संज्ञा दे प्रीतम को भी दिखाया आईना

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देहरादून: खुद को बाइस बैटल में सबसे बड़े लड़ैया साबित करने को अब हरीश रावत खुलकर लड़ाई के मोर्चे पर आ डटे हैं। हरदा की रैलियों में भीड़ जुट रही है और उनके निशाने पर बाहर के प्रतिद्वंद्वियों से लेकर घर के ‘मीठे मित्र’ सब बराबर आ चुके हैं। एक तरफ, जहां हरदा अब खुलकर उत्तराखंडी जनता का अपने समर्थन में जुटने का आह्वान कर रहे हैं ताकि चाहे-अनचाहे धक्का मारने वालों और फिसलन से बच सके, तो दूसरी तरफ हर दिन एक नए मुद्दे के साथ युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और भाजपा सरकार पर हमला बोल रहे हैं। हरदा के हमलावर तेवरों के ताजा मददगार कोई और नहीं बल्कि खुद मुख्यमंत्री धामी के कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत बने हैं।

माजरा ये है कि एक तरफ जमीनी पकड़ और सूबे-सत्ता की मजबूत पकड़ रखने वाले वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत को दो दिन पहले अचानक खबर मिली की उनके अधिकार क्षेत्र वाले फ़ॉरेस्ट में जमकर नदियों का सीना चीरा जा रहा है मतलब खुलकर अवैध खनन हो रहा है। फिर क्या था वन मंत्री ने संबंधित डीएफ़ओ पर एक्शन लिया और लगे हाथ धामी सरकार की किरकिरी कराने को मीडिया में भड़ास निकाली की खूब अवैध खनन हो रहा था। अब उनको ये कौन याद दिलाए कि एक पखवाड़े पहले खुद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नदियों के मुहाने खड़े होकर कोटद्वार और आसपास खनन के खुले खेल की पोल खोलकर आए थे, तब वन मंत्री डॉ हरक कहां सोए हुए थे!

खैर अब हरीश रावत ने हरक के अवैध खनन के सार्वजनिक कबूलनामे को ढाल बनाकर सीएम धामी पर बड़ा हमला बोल दिया है। हरीश रावत ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री न सिर्फ खनन प्रेमी हैं बल्कि अब तो उनको बजरी-बोल्डर लुटवा कहना पड़ेगा। हरदा ने कहा कि वन मंत्री हरक ने उनके आरोप की पुष्टि कर दी है। रावत ने कहा कि शुक्रो और मालन, कोटद्वार के आसपास हुए भयंकर अवैध खनन को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी समझने लायक है। लेकिन अवैध खनन सिर्फ शुक्रो और मालन की कहानी नहीं बल्कि रवासन से लेकर सौंग तक, सौंग से लेकर आसन और यमुना, गंगा, रामगंगा, टोंस, सरयू आदि नदियों को खनन से उधेड़ डाला गया है।

हरदा ने कहा कि धामी राज में इतना अवैध खनन हुआ कि खुद नदियां चीख़-चीख़कर कह रही हैं, ‘हे खनन प्रेमी मुख्यमंत्री अब बस करो, बहुत हो गया और डॉ हरक सिंह रावत की अवैध खनन की स्वीकारोक्ति के बाद यदि विपक्ष मुख्यमंत्री की इस्तीफा नहीं मांग कही तो ये प्रतिपक्ष की उदारता है।

हरदा ने मंत्री हरक के अवैध खनन स्वीकारने के बयान पर जहां पहले सीएम धामी और सरकार को निशाने पर लिया वहीं अंत में प्रतिपक्ष को उदार ठहराकर अपने साथी प्रीतम सिंह को भी आईना दिखाने वाला तीर चल दिया है। दरअसल हरदा लगातार सीएम धामी को खनन प्रिय मुख्यमंत्री का तमग़ा देकर हमला बोल रहे लेकिन नेता प्रतिपक्ष की तरफ से इस मुद्दे पर तीखा हमला न होता देख हरदा ने इशारों इशारों में प्रीतम को भी निशाने पर ले लिया है। हरदा ने कहा कि जब खुद धामी के कैबिनेट सहयोगी मंत्री हरक अवैध खनन को लेकर मीडिया में विलाप कर रहे तब भी अगर विपक्ष मुख्यमंत्री का इस्तीफा नहीं मांग रहा तो यह प्रतिपक्ष की उदारता है।

पढ़िए हूबहू हरदा ने कैसे धामी सरकार पर हरक के बहाने बोला हमला

मा. मुख्यमंत्री उत्तराखंड को खनन प्रेमी यूं ही नहीं कहा बल्कि अब तो बजरी-बोल्डर लुटवा कहना पड़ेगा और मेरे आरोप की पुष्टि उनके वन मंत्री जी ने कर दी है। शुक्रो और मालन, कोटद्वार के आस-पास हुए भयंकर अवैध खनन को लेकर के उनकी सार्वजानिक टिपण्णी समझने लायक है। यह अकेले मालन और शुक्रो की कहानी नहीं है। रवासन से लेकर सौंग तक, सौंग से लेकर आसन और यमुना, गंगा, रामगंगा, टोंस, सरयू किस-किस नदी का नाम लूं, सबको उधेड़ डाला गया है। इतना खोद दिया गया है कि नदियाँ भी अब चीख-चीखकर के कह रही हैं, हे खनन_प्रेमी मुख्यमंत्री अब बस करो, बहुत हो गया और Dr Harak Singh Rawat जी की अवैध खनन की स्वीकारोक्ति के बाद यदि विपक्ष मुख्यमंत्री का इस्तीफा नहीं मांग रहा है, तो ये प्रतिपक्ष की उदारता है।

हरदा ने अपनों और परायों पर राजनीति में उनको धक्का देने का आरोप लगाते हुए कुछ इस अंदाज में जनता का समर्थन भी माँगा।

राजनीति मैं आह भी भरता हूँ तो लोग खफा हो जाते हैं। यदि उत्तराखंड के भाई-बहन मुझसे प्यार जता देते हैं तो लोग उलझन में पड़ जाते हैं। मैंने पहले भी कहा है कि हम लाख कहें, लोकतंत्र की दुल्हन तो वही होगी जो जनता रुपी पिया के मन भायेगी। मैं तो केवल इतना भर कहना चाहता हूँ कि उत्तराखंड यदि मैं, आपके घर को आपके मान-सम्मान के अनुरूप ठीक से संभाल सकता हूँ तो मेरे समर्थन में जुटिये। राजनीति की डगर सरल नहीं होती है, बड़ी फिसलन भरी होती है। कई लोग चाहे-अनचाहे भी धक्का दे देते हैं, ये धक्का देने वालों से भी बचाइये। यदि मैं आपके उपयोग का हूँ तो मेरा हाथ पकड़कर मुझे फिसलन और धक्का देने वाले, दोनों से बचाइये।

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