देहरादून: यूपी और उत्तराखंड के परिसंपत्ति विवाद के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस में ज़बरदस्त जुबानी जंग छिड़ गई है। एक तरफ, लखनऊ में यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने के बाद उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि 21 साल से लंबित परिसंपत्ति विवाद अब सुलझा लिया गया है। तो दूसरी तरफ, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने सीएम धामी के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि ट्रिपल इंजन के बावजूद परिसंपत्तियों का विवाद ‘जस का तस’ बना हुआ है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने आरोप लगाया है कि आज ट्रिपल इंजन है, दिल्ली में भी भाजपा, लखनऊ में भी भाजपा और देहरादून में भी भाजपा, मगर परिसंपत्तियों की विवाद ‘जस का तस’ है। जबकि रावत ने कहा कि उनके समय में सिंगल इंजन यानी तीनों जगह अलग-अलग सरकारें रही, बावजूद उसके कांग्रेस राज में नहरों का मामला निपटाया, कुछ जलाशयों का मामला निपटाया, रोडवेज की परिसंपत्तियों का मामला कुछ सीमा तक निपटाया और जमरानी पर उत्तरप्रदेश सरकार से पब्लिक कमिटमेंट कराया कि हम राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में एक एमओयू साइन करेंगे और उस एमओयू का आधार जो केवल दो शर्तें रखी गई कि जितना पानी किच्छा से नीचे यूपी के पास है, वो मात्रा बनी रहेगी।
रावत ने कहा कि दूसरा एमओयू कि बिजली में उनको कुछ शेयर दिया जाएगा और आज न जमरानी पर कुछ आगे बात बढ़ रही है, रोडवेज का मामला और उलझ गया है, नहरों और जलाशयों पर यूपी में जितना हस्तांतरण कर दिया था परिसंपत्तियों का, उससे आगे बात नहीं बढ़ी है तो तीनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद और यूपी में उत्तराखंडी सीएम होने के बाद भी परिसंपत्तियों का निपटारा नहीं हो पाया।
हरीश रावत ने सीएम धामी पर व्यंग्यबाण चलाते हुए कहा है कि राजनीतिक पॉइंट स्कोर करने के लिए यूपी और उत्तराखंड के सीएम मिल रहे हैं। रावत कहते हैं कि अच्छा है मुख्यमंत्रीजी आप मिलिए मगर कुछ लेकर के आइए, जो अन्याय है, उस अन्याय का क्या प्रतिकार है वो लेकर के आइए और उसको बताइए, खाली हाथ मत आइए।
यहां पढ़िए पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्या कहा हूबहू :
डबल इंजन, दिल्ली में भी भाजपा, लखनऊ में भी भाजपा और देहरादून में भाजपा, मगर परिसंपत्तियों का विवाद ‘जस का तस’। हमारे समय में सिंगल इंजन, तीनों जगह अलग-अलग सरकारें उसके बावजूद हमने नहरों का मामला निपटाया, कुछ जलाशयों का मामला निपटाया, रोडवेज की परिसंपत्तियों का मामला कुछ सीमा तक निपटाया और जमरानी पर उत्तर प्रदेश सरकार से पब्लिक कमिटमेंट कराया कि हम राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में एक एम.ओ.यू. साइन करेंगे और उस #MOU का आधार जो केवल 2 शर्तें रखी गई कि जितना पानी किच्छा से नीचे उतर प्रदेश के पास है, वो मात्रा बनी रहेगी। दूसरा MOU कि बिजली में उनको कुछ शेयर दिया जाएगा और आज न जमरानी पर कुछ आगे बात बढ़ रही है, रोडवेज का मामला और उलझ गया है, नहरों और जलाशयों पर उत्तर प्रदेश ने जितना हस्तांतरण कर दिया था परिसंपत्तियों का, उससे आगे बात नहीं बड़ी है तो तीनों जगह एक ही पार्टी की सरकार होने के बावजूद और उत्तर प्रदेश में उत्तराखंडी व्यक्ति के मुख्यमंत्री होने के बावजूद भी परिसंपत्तियों का निपटारा नहीं हो पाया। अब एक राजनैतिक चर्चा के लिए कि हम भी कुछ कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के माननीय #मुख्यमंत्री मिल रहे हैं। मैं तो यह कहना चाहूंगा, अच्छा है मुख्यमंत्री जी आप मिलिए मगर कुछ लेकर के आइए जो अन्याय है, उस अन्याय का क्या प्रतिकार है वो लेकर के आइए और उसको बताइए खाली हाथ मत आइए।