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रोजगार पर रण, हरदा का हल्लाबोल: धामी के मंत्री पुराने आंकड़े चुराकर अपनी पीठ ठोक रहे, मुख्यमंत्री बिना बॉल, बिना मैट, बिना विकेट हवा में बल्ला भांज रहे

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देहरादून: देवभूमि दंगल में सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस में रोजगार पर सियासी रण छिड़ा हुआ है। हल्द्वानी में हुई कांग्रेस विजय संकल्प शंखनाद रैली में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने भाजपा सरकार से पांच साल की नौकरियों का हिसाब माँगा था। रावत ने कहा था कि अगर सरकार 3200 सरकारी नौकरियों का हिसाब भी गिना दे तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे। उसके बाद पहले शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और फिर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने नौकरियों का ब्योरा पेश कर हरदा को राजनीति से रिटायर होने का अपना वचन याद दिला दिया। इसके बाद हरदा ने कुछ दिन की चुप्पी साधकर अब जवाबी हमला बोल दिया है।

रावत ने कहा है कि कांग्रेस बेरोज़गारी और महंगाई पर पदयात्रा निकाल रही है और वे जो चुनौतियां प्रस्तुत कर रहे हैं उसके बाद कभी-कभी सरकार की आँख खुल जाती है लेकिन वह फिर सो जाती है। हरदा ने कहा कि भाजपा के मुख्यमंत्रियों ने कभी 7 लाख, कभी साढ़े 7 लाख नौकरी देने का दावा तक कर डाला और आज सीएम धामी के मंत्री पुराने आंकड़े चुराकर अपनी पीठ ठोक रहे। हरदा यहीं नहीं रुके और कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी रोजगार-रोजगार मैच में बिना बॉल, बिना मैट और बिना विकेट के भी हवा में ही बल्ला घुमाये जा रहे हैं। रावत ने सीएम पर हमला तेज करते कहा कि मुख्यमंत्री धामी बखूबी जानते हैं कि अब रिक्त पड़े सरकारी पदों पर नियुक्ति लगभग असंभव है। हरदा ने कहा कि भाजपा का कार्यकाल रोजगार और नौकरियों के सृजन को लेकर पूरी तरह से निराशाजनक रहा है और अब राज्य को एक रोजगार सृजक सरकार चाहिए और वह सरकार कांग्रेस ही दे सकती है।

हरीश रावत ने दावा किया कि हाल में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने जिन तीन विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती प्रारंभ की है इन पदों के अधियाचन की प्रक्रिया भी कांग्रेस राज में शुरू हुई थी। रावत ने कहा कि उनकी सरकार 18 हज़ार पदों पर अधियाचन की प्रक्रिया शुरू करके गई थी लेकिन 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री ने इनमें से 8 हजार पदों को मृत घोषित कर बेरोज़गारों के साथ सरासर अन्याय किया और 5 हजार पदों पर बहुत आगे बढ़ चुकी भर्ती प्रक्रिया रोक दी गई। रावत ने कहा कि बावजूद इसके अब धामी सरकार के मंत्री उनके कार्यकाल के अध्याचित पदों का सहारा लेकर नौकरियों पर जान बचा रहे।

यहाँ पढ़िए हरीश रावत ने हूबहू जो कहा:

बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई के खिलाफ पदयात्रा कर घर लौटने पर एक अच्छा समाचार पढ़ने को मिला, अधिनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा तीन विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती प्रारंभ करने को लेकर!
इन विभागों में भी रिक्त पदों पर भर्ती की अधियाचन प्रक्रिया कांग्रेस के कार्यकाल में प्रारंभ हुई थी। हमारी सरकार 18000 पदों पर अधियाचन की प्रक्रिया प्रारंभ करके गई थी। इस अधियाचन प्रक्रिया में वर्ष 2018 तक रिक्त होने वाले पदों की संख्या भी सम्मिलित थी, इन अधियाचित पदों में से लगभग 8000 पदों को तत्कालिक वित्त मंत्री द्वारा मृत पद घोषित कर दिया गया जो सरासर बेरोजगार के साथ अन्याय था। लगभग 5000 पद जिनमें प्रक्रिया बहुत आगे बढ़ गई थी, उस प्रक्रिया को किसी न किसी बहाने रद्द कर दिया गया या रोक दिया गया। कुछ विभागों में तो नियुक्ति पत्र जारी होने के बाद आधे चयनित लोगों की नियुक्तियों को रोक दिया गया अर्थात किसी न किसी बहाने सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया को बाधित किया। यह सारे तथ्य समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुके हैं नर्सिंग, NHM, Pharmasist, वन दरोगा आदि ऐसे कई कैडरों में नियुक्ति प्रक्रिया को लटका दिया गया। आज इसलिए सरकार को मेरी चुनौती का उत्तर देने के लिए मेरे कार्यकाल के अध्याचित पदों का सहारा लेना पड़ रहा है। सरकारी नौकरियों और रोजगार सृजन में भाजपा सरकार का रिकार्ड पूर्णत: निराशाजनक रहा है। मुझे एक बाद का संतोष है कि इस निराशाजनक स्थिति में भी मैं विरोध पक्ष के रूप में अपने कर्तव्य का पालन कर सका हूँ। आज राज्य में रोजगार एक प्रमुख मुद्दा है, उसका श्रेय कांग्रेस को दिया जाना चाहिए। मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई चुनौतीयों के बाद समय-समय पर सरकार कभी-कभी जागती हुई लगी है, फिर सो गई है। जन दबाव में इनके मुख्यमंत्रियों ने कभी 7 लाख, कभी साढे़ 7 लाख नौकरी देने का दावा तक कर डाला। आज इनके मंत्रीगण पुराने आंकडे़ चुराकर अपनी पीठ ठोक रहे हैं। यदि इस सब बहस में मुझे बेरोजगारी के पश्न को केंद्रस्त मुद्दा बनाने का श्रेय जाता है तो माननीय मुख्यमंत्री को भी इस बात का श्रेय दिया जाना चाहिए कि वो रोजगार-रोजगार के मैच में बिना बाॅल, बिना मेट और बिना विकेट के भी हवा में बल्ला घुमाये जा रहे हैं। उन्हें मालूम है कि अब इन पदों पर नियुक्ति लगभग असंभव है। उत्तराखंड को स्पष्ट तौर पर एक रोजगार सृजक सरकार की आवश्यकता है, ये सरकार केवल कांग्रेस ही दे सकते हैं।
“जय उत्तराखंड”

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