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भीषण गर्मी और कोयला किल्लत से देश में खड़ा हुआ पॉवर संकट: 16 राज्यों में 10 घंटे तक बत्ती गुल, पैसेंजर ट्रेनों के फेरे घटाए, दिल्ली में मेट्रो-अस्पतालों की पॉवर सप्लाई पर असर, उत्तराखंड में भी कटौती

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दिल्ली: देश में कोयले की भारी कमी ने बड़ा बिजली संकट खड़ा कर दिया है। आसमान से ज़बरदस्त गरमी बरस रही है और डेढ़ दर्जन राज्य भारी बिजली कटौती झेल रहे हैं। आलम यह है कि देश के एक चौथाई पॉवर प्लांट बंद हैं और इसका असर यह है कि 16 राज्यों में 10-11 घंटे तक बिजली कटौती करनी पड़ रही है। ऊपर से मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे आसमान से भारी आग बरसेगी तो बिजली कटौती से आम जन जीवन कितना प्रभावित होगा, कल्पना करने से ही पसीने छूट रहे हैं।

केन्द्र सरकार के आँकड़ों के अनुसार देशभर में 10 हजार मेगावॉट यानी 15 करोड़ यूनिट की कटौती हो रही है लेकिन पॉवर सेक्टर के जानकार वास्तविक बिजली की कमी को इन आँकड़ों से कहीं अधिक मानते हैं।

अभूतपूर्व कोयला किल्लत को देखते हुए रेल मंत्रालय ने पॉवर प्लांटों तक कोयले की त्वरित सप्लाई के लिए 24 मई तक कई पैसेंजर ट्रेनें रद्द कर दी हैं। मकसद है कि पैसेंजर ट्रेनों के ट्रैक पर न होने से कोयला ले जा रही मालगाड़ियां समय पर निर्धारित स्टेशनों पर पहुंच सकेंगी। अस्थाई तौर पर पैसेंजर ट्रेनें रोकने के बाद अब रेलवे अपने बेड़े में एक लाख और वैगन जोड़ रहा है। अब रेलवे के चलते बिजली संकट से कितनी राहत मिलती है, यह आने वाले दिनों में दिखेगा। बिजली कटौती के चलते कई राज्यों का बुरा हाल है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में संकट भयावह होता दिख रहा है। दादरी नेशनल कैपिटल पॉवर स्टेशन और फिरोज गांधी ऊंचाहार थर्मल पॉवर स्टेशन से बिजली आपूर्ति में कमी के कारण दिल्ली में कुछ घंटों के लिए बत्ती गुल हो सकती है क्योंकि इन प्लांटों के लिए एक-दो दिन का कोयला स्टॉक ही बचा है। दिल्ली गवर्नमेंट ने गुरुवार को ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया था कि अगले 24 घंटे में दिल्ली में पॉवर सप्लाई में कमी का असर दिल्ली मेट्रो और अस्पतालों जैसे आवश्यक सेवा वाले संस्थानों पर पड़ सकता है। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने केन्द्र की मोदी सरकार से और ज्यादा कोयला उपलब्ध कराने की मांग की है।

वैसे पॉवर क्राइसिस का सामना अकेले दिल्ली नहीं बल्कि यूपी, उत्तराखंड, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में भारी कटौती की जा रही है। यूपी में डिमांड के मुकाबले 9 फीसदी और उत्तराखंड में 7.6. फीसदी बिजली की कमी महसूस की जा रही है। उत्तराखंड में बिजली की डिमांड रोजाना 47 मिलियन यूनिट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई लेकिन सप्लाई 44 मिलियन यूनिट्स से ऊपर नहीं हो पा रही है। लिहाजा रोजाना औद्योगिक और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती की जा रही है। जबकि शहरी क्षेत्रों में भी पॉवर कट हो रहा है।

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