बाबा के बड़बोले बयान और मूकदर्शक सरकार! डॉक्टरों ने मंगलवार को मनाया ब्लैक डे, कैसे खत्म होगा आयुर्वेद बनाम एलोपैथी विवाद?

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देहरादून: ऐलोपैथी को लेकर एक के बाद एक बाबा रामदेव के बड़बोले बयानों से ख़फ़ा सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों ने मंगलवार को ब्लैक डे मनाया। डॉक्टरों ने काली पट्टी बाँधकर दिनभर ड्यूटी की और योगगुरु रामदेव से सार्वजनिक तौर पर माफी माँगने अन्यथा सरकार से बाबा की गिरफ़्तारी की मांग की है।गुजरात के डॉक्टरों ने रामदेव के खिलाफ एफआईआर के लिए अहमदाबाद पुलिस से संपर्क साधा है तो पश्चिम बंगाल की आईएमए इकाई ने कोलकाता में रामदेव के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
द रेज़ीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ एम्स दिल्ली के डॉक्टर्स ने भी काली पट्टी बाँधकर बाबा रामदेव के बयान पर विरोध दर्ज कराया है। उत्तराखंड में सरकारी और निजी डॉक्टरों ने भी काली पट्टी बांधकर रामदेव के बयान का विरोध किया है। नाराज डॉक्टरों की मांग है कि महामारी एक्ट के प्रावधानों के तहत बाबा पर एक्शन हो।
दरअसल बाबा रामदेव ने पिछले दिनों एलोपैथी को स्टूपिड और दिवालिया साइंस बताकर विवाद खड़ा कर दिया। आईएमए ने बाबा रामदेव से बयान वापस लेने और माफी माँगने को कहा तो रामदेव ने कोरोना काल में एलोपैथी दवाओं के असर रहने और दोनों डोज लेने के बावजूद डॉक्टरों और मरीजों की मौत का बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन की दखल के बाद बाबा रामदेव ने खेद प्रकट किया लेकिन बेतुके 25 सवाल दागकर एलोपैथी की प्रामाणिकता पर प्रश्नचिह्न लगाने की कोशिश की। उसके बाद आईएमए ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर रामदेव पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की। जबकि आईएमए की उत्तराखंड इकाई ने माफी माँगने अन्यथा एक हजार करोड़ का मानहानि का नोटिस दिया है।
आईएमए और डॉक्टरों की एक शिकायत बाबा रामदेव के बयान दर बयान आने और डॉक्टरों के कड़े रुख के बावजूद सरकार के मूकदर्शक बने रहने को लेकर भी है।


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