Uttarakhand News: अंग्रेजी विषय उत्तराखंड के नर्सिंग अभ्यर्थियों के करियर के रास्ते की बड़ी बाधा बनता दिख रहा है। अगर ऐसा नहीं होता तो भला यह कैसे संभव था कि उत्तराखंड में राज्यस्तरीय नर्सिंग परीक्षा में लगभग पांच हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी और कुल जमा दो सौ अभ्यर्थी ही पास हो पाए! दरअसल ऐसा हुआ है अखिल भारतीय नर्सिंग काउंसिल द्वारा अंग्रेजी को अनिवार्य विषय बनाए जाने के कारण। अंग्रेजी की अनिवार्यता उत्तराखंड के नर्सिंग अभ्यर्थियों के लिए इस तरह से रुकावट बनी कि पांच हजार में मात्र दो सौ अभ्यर्थी यह परीक्षा उत्तीर्ण कर सके। उनमें से भी महज 99 को ही सरकारी कॉलेज आवंटित हो सके।
जबकि उत्तराखंड के सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में साढ़े तीन सौ (352) से अधिक सीटें हैं। यानी राज्य के सरकारी नर्सिंग कॉलेजों के सामने ट्रेनिंग के लिए तय सीटों के मुकाबले भी पर्याप्त संख्या जुटाने का भी संकट खड़ा हो गया है। नर्सिंग में करियर की आस पाले युवाओं के लिए तो यह तगड़ा झटका है ही। अब इस ओर सरकार का ध्यान खींचा है राज्य आंदोलनकारी और भाकपा(माले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने।
मैखुरी ने इस नए प्रावधान से प्रदेश के युवाओं को हो रहे भारी नुकसान की तरफ राज्य सरकार का ध्यान दिलाने के लिए सीएम पुष्कर सिंह धामी और चिकित्सा मंत्री डॉ धन सिंह रावत का ध्यान खींचा है। सवाल है कि क्या हजारों युवाओं के भविष्य से जुड़े इस प्रश्न का समाधान मुख्यमंत्री और चिकित्सा शिक्षा मंत्री जल्द से जल्द खोजने का प्रयास कर पाएंगे?
राज्य आंदोलनकारी एवं भाकपा (माले)) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने सीएम और चिकित्सा शिक्षा मंत्री को यह पत्र लिखा है-
प्रति,
श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तराखंड शासन, देहरादून.श्रीमान चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय,
उत्तराखंड शासन, देहरादून.महोदय,
इस वर्ष उत्तराखंड में राज्यस्तरीय नर्सिंग परीक्षा में लगभग पांच हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी लेकिन अखिल भारतीय नर्सिंग काउंसिल द्वारा अंग्रेजी को अनिवार्य विषय बनाए जाने के कारण इस परीक्षा में कुल दो सौ अभ्यर्थी ही उत्तीर्ण हो सके। इनमें से भी केवल 99 को ही सरकारी कॉलेज आवंटित हो सके।
महोदय, उत्तराखंड में हल्द्वानी, पौड़ी, चमोली, देहरादून, टिहरी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ में स्थित राजकीय नर्सिंग कॉलेजों में कुल 352 सीटें हैं। इस तरह देखें तो इस बार नर्सिंग परीक्षा में सरकारी कॉलेजों की कुल सीटों से भी कम अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए और ऐसा हुआ सिर्फ अंग्रेजी विषय की अनिवार्यता के चलते।
महोदय, यह एक गंभीर स्थिति है। जबकि सिर्फ अंग्रेजी की अनिवार्यता के चलते राज्य में सरकारी नर्सिंग कॉलेजों की अधिकांश सीटें रिक्त रह गयी हैं। यह इन कॉलेजों के लिए गंभीर स्थिति है, राज्य में योग्य नर्सिंग प्रशिक्षुओं की उपलब्धता के लिए भी गंभीर स्थिति है और नर्सिंग को करियर बनाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए तो यह पीड़ादायक है ही।
अतः महोदय से निवेदन है कि इस प्रकरण में तत्काल हस्तक्षेप करते हुए यह सुनिश्चित करने की कृपा करें कि सिर्फ अंग्रेजी की बाध्यता के चलते कोई अभ्यर्थी नर्सिंग कोर्स करने से वंचित न हो और सरकारी कॉलेजों की सीटें भी रिक्त न रहें।
प्रदेश के सरकारी नर्सिंग कॉलेज में निर्धारित सीटें
हल्द्वानी : 55
पौड़ी : 66
देहरादून : 66
टिहरी : 44
चमोली : 44
पिथौरागढ : 33
अल्मोड़ा : 44सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश मैखुरी,
गढ़वाल सचिव,
भाकपा(माले)