देहरादून: हरिद्वार कुंभ में कोरोना जांच फर्जीवाड़े में स्वास्थ्य विभाग के दो अधिकारियों पर निलंबन की गाज गिरने के बाद अब एसआइटी ने आरोपियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। एसआइटी ने मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के मालिक शरत पंत और उसकी साझेदार पत्नी मल्लिका पंत और हरियाणा के हिसार स्थित नलवा लैबोरेटरी के संचालक डॉक्टर नवतेज नलवा की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से गैर जमानती वारंट हासिल कर लिए। आरोपियों की तलाश में एसआइटी की टीम दिल्ली और हरियाणा में दबिश दे रही है। जबकि उत्तराखंड प्रांतीय चिकित्सा संघ ने पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग कर धामी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। ऐसा इसलिए कि डॉक्टरों में यह संदेश गया है कि कुछ आलाधिकारियों को बचाने के लिए कुछेक को निशाना बनाया जा रहा। वैसे न्यायिक जांच की माँग पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी कर चुके हैं।
दरअसल फर्जी कोविड टेस्टिंग घोटाले की सीडीओ लेवल जांच रिपोर्ट के आधार पर गुरुवार को धामी सरकार ने हरिद्वार महाकुंभ मेलाधिकारी स्वास्थ्य डा. अर्जुन सेंगर और नोडल अधिकारी रहे डा. एनके त्यागी को सस्पेंड किया था।
अब एसआइटी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कानूनी शिकंजा जकड़ने लगी है। कुंभ में कोरोना टेस्टिंग का ठेका लेने वाली मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के साझीदार शरत पंत और उसकी पत्नी मल्लिका पंत और नलवा लैब के संचालक नवतेज नलवा गिरफ्तारी के लिए हरिद्वार की सीजेएम कोर्ट से गैर जमानती वारंट हासिल कर लिए हैं।
सवाल है कि क्या बीजेपी पॉवर कॉरिडोर्स में रसूख़ रखने वाले शरत पंत को काफी समय नहीं मिल गया? दूसरा क्या शरत पंत को सलाखों की पीछे आसानी से खींच पाएगी एसआईटी? आखिर शरत पंत की कंपनी को जिस तरीके से नियमों को ताक पर रखकर ठेका दिया गया वह भी बिना रसूख़ के इस्तेमाल के कहां संभव हो पाता? आखिर वो कोई तो सत्ता प्रतिष्ठान का मददगार रहा होगा जिसने शरत पंत के लिए सारा खेल रचा! ऐसे में क्या धामी सरकार अपनी ही पार्टी में रसूखदार हैसियत वाले शरत पंत का असल सच उजागर कर पाएगी? इंतजार करना होगा।