
Maharashtra Governor Bhagat Singh Koshyari and new controversy: यूं तो महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी आरएसएस से लेकर बीजेपी के पहुंचे हुए नेता रहे लेकिन महामहिम बोलें और बवाल ने मचे ऐसा कैसे हो सकता है। गुजरात और महाराष्ट्र को लेकर दिए विवादित बयान की आंच जैसे तैसे ठंडी ही पड़ी थी कि अब लीजिए ‘कोश्यारी- द कंट्रवर्सी किंग’ ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है।
महाराष्ट्र का राज्यपाल होकर भी भगतदा अक्सर ऐसे बयान दे रहे जिससे उद्धव ठाकरे से लेकर कांग्रेस और एनसीपी जैसे विरोधियों को तो हमलावर होने का मौका मिल रहा, बीजेपी और शिवसेना के शिंदे गुट के लिए उनके बयानों पर “न उगलते बन रहा न निगलते”! अब महाराष्ट्र के महामहिम ने बोल दिया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने जमाने के हीरो यानी आदर्श हुए अब नए जमाने के आदर्श नितिन गडकरी हो गए हैं।
मंच था डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह का। जहां राज्यपाल कोश्यारी ने यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति के नाते NCP नेता शरद पवार और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को डि लिट की उपाधि से नवाजा था। इस दौरान जब राज्यपाल कोश्यारी बोलने लगे तो नितिन गडकरी की तुलना सीधे छत्रपति शिवाजी महाराज और बाबासाहेब आंबेडकर से कर डाली।
भगत दा ने बोला,”जब हम स्कूल में पढ़ते थे। तो हमारे शिक्षक हमसे पूछते थे कि आपका पसंदीदा नेता या हीरो कौन है? (Who is your favourite hero or icon) कुछ सुभाष चंद्र बोस को तो कुछ नेहरू जी या गांधी जी का नाम बताते थे। मुझे लगता है कि अब आपसे कोई पूछे कि आपका आइकन कौन हैं? तो इसके लिए आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है। आपको यह महाराष्ट्र में ही मिल सकते हैं। शिवाजी महाराज पुराने युग की बात है। मैं आज के समय की बात कर रहा हूं। आप इन्हें यहीं ढूंढ सकते हैं डॉ आंबेडकर से लेकर डॉक्टर नितिन गडकरी तक में।”
जाहिर है भगतदा के इस बयान पर नए सिरे से महाराष्ट्र पॉलिटिक्स का पारा चढ़ना लाजिमी था। देखना होगा बीजेपी और शिंदे गुट वाली शिवसेना इस बयान को कैसे पचा पाती है।
दरअसल, शिवाजी महाराज न केवल मराठा अस्मिता के प्रतीक हैं बल्कि वे इस देश के महान नायकों में से अग्रणी हैं लेकिन शायद भगतदा नए दौर के नायक खोजते खोजते इस तथ्य को जाने अनजाने में इग्नोर कर गए। या फिर अब उनके आलोचक जो कहते हैं वह सही ही है कि कॉन्ट्रोवर्सी पैदा किए बिना राज्यपाल कोश्यारी को चैन नहीं आता है। वैसे भी उत्तराखंड के सियासी गलियारों में तो बीच बीच में चर्चा खूब उठती ही रहती है कि “खिचड़ी वाले बाबा” का मन अभी भी महा राजभवन में कहां लगता हैं, बल्कि मन तो पहाड़ पॉलिटिक्स में ही कहीं अटका है! खैर!