देहरादून: युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को एक और मास्टरस्ट्रोक खेलते हुए चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का ऐलान कर त्रिवेंद्र राज का एक और फैसला पलट दिया है। सीएम धामी ने ठीक चुनाव से पहले हाई पॉवर कमेटी और फिर उसकी रिपोर्ट पर मंत्रीमंडलीय उप-समिति में गहन मंथन होने के बाद आई सिफ़ारिश पर बड़ा फैसला लेते हुए देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग करने का एलान कर दिया है। ज्ञात हो कि दो साल पहले 27 नवंबर को त्रिवेंद्र राज में चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधानसभा से पारित विधेयक के रास्तेअस्तित्व में आया था। लेकिन चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और हक-हकूकधारी शुरू से बोर्ड का विरोध कर रहे थे और चुनाव करीब देख कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी बोर्ड को बड़ा मुद्दा बनाकर भाजपा को संकट में डाल दिया था। धामी सरकार पर भी साफ दबाव दिख रहा था लेकिन सीएम धामी ने आठ नवंबर को THE NEWS ADDA से दोपहर भोज पर चर्चा में बोर्ड पर सहज अंदाज़ में यह कहकर कि बाबा बदरी-केदार ने बोर्ड बनवाया है और अब अगर उनका आदेश होगा तो बोर्ड भंग भी हो सकता है, इशारा कर दिया था कि युवा मुख्यमंत्री बड़े तबके को नाराज नहीं रखना चाहते हैं।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वर्ष 2019 में कई श्राइन बोर्ड की तर्ज पर चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाने का फैसला लिया था। लेकिन तीर्थ पुरोहितों ने विरोध किया तो उसे दरकिनार कक टीएसआर सरकार ने विधानसभा सदन से विधेयक पारित कराकर अधिनियम बना दिया। इसके बाद चारों धामों के तीर्थ पुरोहित व हकहकूकधारी आंदोलन पर उतर आए लेकिन त्रिवेंद्र रावत अपने फैसले पर अडिग रहे जबकि कई मंत्री और भाजपा नेता हालात समझकर भंग करने की वकालत करते रहे।
बोर्ड में चारधाम सहित 51 मंदिरों को किया गया था शामिल
टीएसआर सरकार का तर्क था कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री धाम सहित 51 मंदिर बोर्ड के अधीन आने से यात्री सुविधाओं के लिए ढाँचागत विकास मजबूत होगा। लेकिन टीएसआर की नौ मार्च को छुट्टी होने के बाद मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत ने भी भावनाओं के अनुरूप देवस्थानम बोर्ड पर कोई निर्णय लेने की बात कही थी, लेकिन उनके कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड पर सरकार आगे नहीं बढ़ पाई। फिर नेतृत्व परिवर्तन के बाद चार जुलाई को मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए हाई पॉवर कमेटी बनाकर समाधान की गंभीर पहल की।
सीएम धामी ने भाजपा नेता व पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में हाई पॉवर कमेटी गठित की। कमेटी में चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों को भी शामिल किया गया। कमेटी की अंतिम रिपोर्ट का परीक्षण कर मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय उप समिति ने भी सोमवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी।
जाहिर है धामी ने बोर्ड भंग करने का बड़ा ऐलान कर न केवल भाजपा पर बनते दबाव को चुनावी दौर में कम कर दिया है बल्कि विपक्षी कांग्रेस और AAP के हाथों से एक बड़ा मुद्दा छीनने का दांव भी चल दिया है। सवाल है कि क्या टीएसआर राज में बोए गए बोर्ड के काँटे के उखाड़कर धामी ने वो डैमेज कंट्रोल कर लिया जिसकी चुनावी बेला में भाजपा को सख्त दरकार थी!
जानिए कब क्या हुआ
- 27 नवंबर 2019 को उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन विधेयक को मंजूरी।5 दिसंबर 2019 में सदन से देवस्थानम प्रबंधन विधेयक पारित हुआ।
- 14 जनवरी 2020 को देवस्थानम विधेयक को राजभवन ने मंजूरी दी।
- 24 फरवरी 2020 को देवस्थानम बोर्ड में मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया गया।
- 24 फरवरी 2020 से देवस्थानम बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों का धरना प्रदर्शन
- 21 जुलाई 2020 को हाईकोर्ट ने राज्य सभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका को खारिज करने फैसला सुनाया।
- 15 अगस्त 2021 को सीएम ने देवस्थानम बोर्ड पर गठित उच्च स्तरीय समिति का अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी को बनाने की घोषणा की।
- 30 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति में चारधामों से नौ सदस्य नामित किए।
- 25 अक्तूबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने सरकार को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी
- 27 नवंबर 2021 को तीर्थ पुरोहितों ने बोर्ड भंग करने के विरोध में देहरादून में आक्रोश रैली निकाली।
- 28 नवंबर 2021 को उच्च स्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अंतिम रिपोर्ट सौंपी।
- 29 अक्तूबर 2021 को मंत्रिमंडलीय उप समिति ने रिपोर्ट का परीक्षण कर मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी।