- State Ranking Index for NFSA में ओडिशा, यूपी, आंध्रा अव्वल
- हिमालयी राज्यों में त्रिपुरा प्रथम, हिमाचल दूसरे और सिक्किम पांचवें पायदान पर,उत्तराखंड पिछड़कर पांचवें स्थान पर
- कॉम्प्रिहेंसिव कंट्री लेवल इंडेक्स में उत्तराखंड 24वें स्थान पर जबकि यूपी दूसरे, हिमाचल 11वें, झारखंड 12वें, छत्तीसगढ़ 22वें पायदान पर
- सूबे की खाद्य आपूर्ति मंत्री रेखा आर्य के बैठक से गैरहाजिर रहने पर केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जताई नाराजगी
- कई और राज्यों के मंत्री भी रहे अनुपस्थित तो पीयूष गोयल ने कहा मंत्रियों की गैरहाजिरी दर्शाती राज्य कितना गंभीर
- क्या वाकई फूड सिक्योरिटी एक्ट लागू करने को लेकर उत्तराखंड नहीं गंभीर?
पीयूष गोयल की मीटिंग को खाद्य आपूर्ति मंत्री रेखा आर्य का ठेंगा?
दिल्ली/देहरादून: नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट को लागू करने को लेकर पहली बार केंद्रीय खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यों की रैंकिंग रिलीज की है। इस रैंकिंग में उजागर हुआ है कि कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत टारगेटेड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के कवरेज, लाभार्थी संतुष्टि, डिजिटाइजेशन, और ओवरऑल सिस्टम की दक्षता में फिसड्डी साबित हुए हैं। गोवा इस पैमाने पर सबसे खराब परफॉर्मेंस करने वाला राज्य बना है जबकि लद्दाख नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के इंप्लीमेंटेशन में सबसे नाकारा साबित हुआ है।
प्रधानमंत्री मोदी हर भारतीय को भोजन देने के मकसद से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को हर राज्य में ठीक से लागू कराने को लेकर पसीना बहा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल भी बेहद संजीदा हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि उत्तराखंड सरकार को न प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट की फिक्र है और ना ही राज्य में जरूरतमंद लोगों तक सही तरीके से खाद्य सामग्री पहुंचाने की चिंता है।
हम ये कोई बेवजह का आरोप नहीं लगा रहे बल्कि यह हकीकत खुद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मीडिया के सामने उजागर की है।
हुआ यूं कि केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को देश में फूड सिक्योरिटी एक्ट लागू करने को लेकर तमाम राज्यों का पहला सूचकांक जारी किया। इस इंडेक्स में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अगुवाई वाले ओडिशा राज्य ने पहला स्थान हासिल किया। जबकि गोवा सबसे फिसड्डी साबित हुआ है।
छोटे और हिमालयी राज्यों की बात करें तो त्रिपुरा ने टॉप किया और दूसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश और सिक्किम तीसरे स्थान पर रहा। लेकिन उत्तराखंड को इस रेस में हिमाचल से पिछड़ कर पांचवें पायदान पर संतोष करना पड़ा है। कहने को राज्य सरकार स्पेशल कटेगरी के इन राज्यों में पांचवें पायदान पर होना भी अपनी उपलब्धि घोषित कर सकती है लेकिन हकीकत यह है कि उत्तराखंड जहां पर्वतीय पड़ोसी हिमाचल से काफी पिछड़ गया, वहीं ऑल इंडिया कॉम्प्रिहेंसिव लेवल रैंकिंग में पड़ोसी यूपी जहां दूसरे, हिमाचल 11वें, साथ अस्तित्व में आया झारखंड 12वें और छत्तीसगढ़ 22वें जबकि उत्तराखंड 24वें पायदान पर रहा।
उससे भी ज्यादा तकलीफदेह यह रहा कि उत्तराखंड अच्छा परफॉर्म करने से तो चूका ही राज्य का नाम उन राज्यों में भी शुमार हो गया जहां के खाद्य आपूर्ति मंत्री इस आयोजन से गैर हाजिर रहे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बाकायदा उन राज्यों को लेकर शिकायत भी दर्ज कराई जहां से खाद्य मंत्री इस मीटिंग में भौतिक या वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ने तक की जहमत नहीं उठा पाए। पीयूष गोयल ने ऐसे अनुपस्थित रहे राज्यों को खूब खरी खोटी सुनाई। बैठक में मौजूद ऐसे राज्यों के अधिकारियों को साफ तौर पर कहा गया कि आप जाकर अपनी सरकार को बताएं कि उनके मंत्री गैर हाजिर रहे और केंद्र ने इसे दर्ज कर लिया है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने साफ शब्दों में यह कहा, “All the ministers could not join us (despite allowing video conferencing), and are there are some states who totally unpresented. I would like the media to note this.”
ज्ञात हो कि उत्तराखंड, झारखंड, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, असम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री अनुपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा,”If this is the interest towards food and nutrition security, I think it reflects very poorly.”
गोयल ने अपने मंत्रालय से इस तथ्य को दर्ज करने को कहा। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा,”For all you know, I may not have time when you may have a problem and seek to meet me. We have the same approach that you are showing us. It is very unfortunate situation.”
उत्तराखंड की खाद्य और उपभोक्ता मामलों की मंत्री रेखा आर्य हैं और यह उनकी ही ताकत है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बार बार केंद्रीय योजनाओं और बैठकों को लेकर संजीदगी दिखाने और डबल इंजन का अधिक से अधिक लाभ उठाने का संदेश देने के बावजूद उन्होंने किसी अन्यत्र कार्य को वरीयता दी।
दरअसल विरोधी दलों की राज्य सरकारों का केंद्र के कार्यक्रमों और बैठकों को लेकर विरोध स्वरूप अनुपस्थित रहना समझ में आता है लेकिन उत्तराखंड जैसे डबल इंजन सरकार के मंत्री का अनुपस्थित रहना खटक गया है। भले बीजेपी शासित राज्यों की परफॉर्मेंस बेहतर आंकी जा रही हो लेकिन उत्तराखंड जैसे कई बीजेपी रूल्ड स्टेट्स के मंत्रियों की अन्यत्र व्यस्तता केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को शायद सबसे अधिक खटक गई!