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मोदी सरकार के 8 साल 8 फैसले: जमकर हुई तारीफ तो झेलनी पड़ी आलोचना

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ADDA ANALYSIS Modi govt completes 8 years on 26 May: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की सरकार ने आज आठ साल पूरे कर लिए हैं। यानी कि आज मोदी सरकार 2.0 की तीसरी सालगिरह है और चर्चा-आकलन हो रहा है कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ने क्या खोया और क्या हासिल किया? मोदी सरकार के आठ साल के कार्यकाल को समझने के लिए अगर इस दौर के आठ बड़े फैसलों की पड़ताल की जाए तो बीते वक्त का अक्स साफ दिखाई दे जाएगा।

प्रधानमंत्री कार्यालय से नरेन्द्र मोदी ने ऐसे कई फैसले लिए जिनका तात्कालिक असर हुआ तो दीर्घकालिक प्रभाव भी दिखा। कई फैसलों ने मोदी को 2014 की पॉपुलैरिटी से भी ऊपर के पायदान पर पहुंचा दिया तो कई फैसलों ने छिछालेदर भी कम नहीं कराई।

  1. जब मोदी नोटबंदी का ऐलान करने अचानक आठ बजे टीवी पर अवतरित हुए

आज मोदी सरकार के कार्यकाल के आठ साल पूरे हो गए और वह आठ नवंबर 2016 की रात्रि आठ बजे का वक्त था जब अचानक न्यूज चैनलों पर नजर आए प्रधानमंत्री ने अचानक देश में नोटबंदी लागू करने का ऐलान कर दिया। इस फैसले को प्रधानमंत्री मोदी का मास्टरस्ट्रोक भी कहा गया क्योंकि नोटबंदी को देश में कालेधन की कमर तोड़ने वाला फैसला करार दिया गया। एक झटके में पांच सौ और हजार रुपए के नोटों को रद्दी का ढेर करार दे दिया गया। लेकिन लोगों को लंबी क़तारों में जुझना पड़ा और जब आरबीआई ने कहा कि देश की अनुमानित पूरी करेंसी बैंकिंग सिस्टम का हिस्सा हो चुकी तो लोगों ने मोदी सरकार के फैसले की आलोचना भी की।

  1. जब मोदी ने दिया GST लागू कर एक देश एक टैक्स का नारा

वर्ष 2017 में मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू कर दूसरा बड़ा गेमचेंजर कदम उठाया। गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स यानी जीएसटी लागू कर तमाम तरह के दूसरे टैक्स खत्म कर दिए गए और अब देश में एक टैक्स सिस्टम अमल में आ गया। हालाँकि जीएसटी को लेकर गैर भाजपाई सरकारों ने पूरी तैयारी न होने का इल्ज़ाम लगाया तो कुछेक आर्थिक जानकारों ने इससे भारतीय इकोनॉमी को नुकसान पहुँचने की बात भी कही। आज जीएसटी से केन्द्र की रिकॉर्ड कमाई हो रही लेकिन उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य (राजनीतिक मजबूरी के चलते भले खुलकर न सही) नुकसान से कराहते भी दिख रहे हैं। लेकिन कर सुधार की लिहाज से GST को लेकर मोदी सरकार की तारीफ भी कम नहीं हुई है।

3. जब मोदी सरकार ने बालाकोट एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तान को घर में घुसकर चेताया

2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जैश ए मोहम्मद ने CRPF जवानों के क़ाफ़िले पर हमला कर 42 जवानों के शहीद किया तो अगले ही दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए। इस एक्शन के जरिए प्रधानमंत्री मोदी ने न्यू इंडिया का मैसेज दिया और लोकसभा चुनाव 2019 के बाद और मजबूत होकर सत्ता में वापसी की

4. जब मोदी ने तीन तलाक कानून से मुस्लिम महिलाओं के ज़ख़्मों पर मरहम का दावा किया

मोदी सरकार ने एक अगस्त 2019 को संसद में तीन तलाक विधेयक पारित कर तुष्टिकरण की राजनीति का अंत कर मुस्लिम महिलाओं के साथ न्याय का दम भरा।भले मुस्लिम वर्ग के कुछ तबक़ों में इसका विरोध हुआ लेकिन महिलाओं ने इस कानून को अपना समर्थन दिखाया।

  1. जब मोदी ने धारा 370 खत्म कर जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बांट दिया

चुनाव दर चुनाव जनसंघ से लेकर भाजपा अनुच्छेद 370 जिसे प्रचलित तौर पर जम्मू कश्मीर से धारा 370 कहा जाता है, हटाने का वादा दोहराती रही। यह अलग बात है कि गैर भाजपाई राजनीतिक ताक़तों ने इसे कभी भावनात्मक चुनावी मुद्दे, जिसके जरिए भाजपा देशभर में बहुसंख्यक वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश करती रही, से अधिक अहमियत नहीं दी थी। शायद यह विपक्षी राजनीतिक ताक़तों की बड़ी भूल साबित हुई और पांच अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने देश की आजादी के बाद से मिले विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करते हुए जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटा दी और राज्य को दो केन्द्र शासित लद्दाख और जम्मू कश्मीर में विभाजित कर दिया। इस मुद्दे पर चुनावी वादे के प्रति अपने पॉलिटिकल कमिटमेंट को साबित कर प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत बड़ा संदेश दिया और इसने मोदी के मुरीदोें की तादाद कई गुना बढ़ा दी। हालाँकि इसके बाद से भारत के संबंधी न पाकिस्तान के साथ सहज रहे और न ही चीन के साथ।

  1. जब मोदी ने CAA NRC कानून बनाया और शाहीन बाग विरोध का केन्द्र बन गया

मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों में धार्मिक कारणों से प्रताड़ना झेल रहे गैर मुस्लिमों जिसमें हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी आदि धर्मावलंबी शामिल हैं, को नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन कानून पारित किया। लेकिन इस कानून का मुस्लिमों ने विरोध किया और दिल्ली का शाहीन बाग देशभर के विरोध-प्रदर्शनों का केन्द्र बिन्दू बन गया। इस कानून के बेजा इस्तेमाल के मामले भाजपा शासित असम, जहां से सबसे पहले इसकी माँग उठी थी, से विरोध के स्वर सुनाई देने लगे तो सरकार के कदम ठिठक गए।

  1. जब मोदी ने तीन कृषि कानून बनाकर किसानों को दिल्ली चढ़ाई का न्यौता दे डाला

2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का वादा प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव और तमाम विधानसभा चुनावों में जोर शोर से उठाया। लेकिन जब कृषि क्षेत्र में सुधारों का दावा करते हुए तीन कृषि क़ानूनों पर संसद से भागमभाग अंदाज में मुहर लगाई तो किसानों ने इसे दिल्ली कूच के संदेश के तौर पर लिया। पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन ने हरियाणा, पश्चिमी यूपी से लेकर कई राज्यों में किसानों को आंदोलित कर दिया। किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं को तीन तरफ से घेर लिया और साल भर से भी लंबे आंदोलन के बाद आखिरकार यूपी चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी को किसानों के आगे झुकना पड़ा। मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए और इस तरह किसानों ने प्रचंड बहुमत के बावजूद केन्द्र सरकार को झुकाकर किसान राजनीति की ताकत का नए सिरे से देश को अहसास करा दिया।

  1. जब मोदी ने सबके लिए फ्री Covid 19 टीकाकरण अभियान का ऐलान किया

दो साल पहले आई कोरोना महामारी ने बड़े बड़े देशों की न केवल कमर तोड़ डाली बल्कि मौतों के आंकड़े भी गिनती भी कम पड़ गई। भारत में कोरोना महामारी की पहली लहर तो झेल गया लेकिन दूसरी लहर ने कहर बरपाया तो लाशों के अंबार लगने लगे और तमाम राज्यों ने टीके के लिए मोदी सरकार की नीतियों को कोसना शुरू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट की फटकार अलग से लग रही थी। लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया कि केन्द्र सरकार सबके लिए मुफ़्त टीके का प्रबन्ध करेगी। उसी का नतीजा है कि आज भारत तीसरी लहर झेल गया और चौथी लहर की आशंकाओं के बावजूद देश में हालात तेजी से सामान्य होने की तरफ हैं।

जाहिर है मोदी सरकार ने आठ साल में और भी कई बड़े फैसले लिए लेकिन इन आठ फैसलों में प्रधानमंत्री के कामकाज का अंदाज ए बयां भी नजर आता है और अक़्स भी झलकता है।

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The News Adda

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