देहरादून: तीरथ सरकार ने बड़ी तैयारियों के साथ केन्द्र सरकार को पर्वतीय राज्य के दुर्गम क्षेत्रों के मरीजों को तत्काल बड़े अस्पतालों तक लाने के लिए एयर एंबुलेंस का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया है। दरअसल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यानी NHM के तहत तीरथ सरकार ने केन्द्र की मोदी सरकार से एयर एंबुलेंस की मांग की थी जिसे केन्द्र ने नकार दिया है। अगर प्रदेश सरकार का प्रस्ताव मान लिया गया होता तो दूरस्थ क्षेत्रों से इमरजेंसी हालात में मरीजों को बड़े शहरों के स्वास्थ्य सुविधा संपन्न अस्पतालों तक पहुँचाने के लिए संजीवनी साबित होती। वो तस्वीरें लगातार सबने देखी हैं जब डंडियों के सहारे बीमार, बुजुर्ग या गर्भवती महिलाओं को बड़े अस्पतालों के लिए लेकर ग्रामीण निकलते हैं और कई बार आधे रास्ते मरीजों की सांसें टूट जाती हैं।
इस पर प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने कहा है कि केन्द्र ने एनएचएम के तहत एयर एंबुलेंस चलाने की इजाजत नहीं दी है। जबकि विपक्ष केन्द्र द्वारा प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद हमलावर हो गया है। कांग्रेस ने इसे डबल इंजन सरकार का फेल्योर करार दिया है।
अब सवाल उठता है कि आखिर केन्द्र ने तीरथ सरकार का एयर एंबुलेंस का प्रस्ताव ठुकराया क्यों? क्या केन्द्र में मजबूती से पैरवी नहीं की गई या फिर कोविड महामारी के चलते केन्द्र ने इंकार किया। क्योंकि पहाड़ के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है और आपदा और मेडिकल इमरजेंसी के समय कैसे मरीजों को 30-40 किलोमीटर तक अस्पतालों के लिए लेकर ग्रामीणों को पथरीली राहों पर दौड़ना पड़ता है।
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