नमो नाप रहे नब्ज: उत्तराखंड भाजपा का 60 प्लस सीट का दावा पर कौन कितने पानी में नमो एप से पता लगा रहे खुद प्रधानमंत्री मोदी, कई विधायक संकट में कटेंगे टिकट!

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देहरादून: चुनावी साल में मार्च से जुलाई तक तीन मुख्यमंत्री बदलकर बीजेपी नेतृत्व ने साफ संकेत दे दिए हैं कि 2022 की बिसात पर प्रदेश में पार्टी के हालात ठीक नहीं हैं। वैसे भी उत्तराखंड के चार विधानसभा चुनाव का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि हर बार जनता आधे से ज्यादा मंत्रियों-विधायकों को बदल डालती है। बीजेपी हाईकमान की भी यहीं चिन्ता ठहरी। वैसे भी इस बार डबल इंजन की सरकार से उम्मीदें आसमान पर रही और तीन सीएम बदलाव इनके पूरा न होने की तस्दीक़ करता है। लिहाजा अब खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विधानसभा चुनाव से पहले धामी सरकार और विधायकों की परफ़ॉर्मेंस और पॉजीशन की पड़ताल कर रहे हैं। नमो एप पर ओके सर्वे किया जा रहा है जिसका मक़सद भाजपा को लेकर जनता की नब्ज
टटोलना है।
दरअसल नपो एप पर यह सर्वे चुनावी राज्यों उत्तराखंड, यूपी, पंजाब, गोवा और मणिपुर में किया जा रहा है, पंजाब को छोड़कर बाकी चार राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और टिकट बँटने-कटने में यह फीडबैक अहम रोल निभा सकता है। सर्वे में जनता से उम्मीदवारों के चयन को लेकर अलग-अलग मसलों पर राय मांगी गई है। 13 पेज के ऑनलाइन सर्वे में पूछे गए प्रश्नों से पता चलता है कि भाजपा संगठन से अल पीएम मोदी अपने तरीके से चुनावी राज्यों की सरकारों और विधायकों के कामकाज और नए उम्मीदवारों को लेकर जनता की राय जानना चाहते है। उत्तराखंड की धामी सरकार और भाजपा के लिए पीएम के इस नमो एप सर्वे का ख़ासा महत्व है क्योंकि राज्य के 4.5 लाख मोबाइल्स में नमो एप मौजूद है। यानी नए बदलाव के बाद आई धामी सरकार और चुनाव की दहलीज़ पर खड़े भाजपा के 57 विधायकों की हकीकत का आईना यह सर्वे होगा।

इस सर्वे में बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे गए हैं जो किसी भी विधायक के टिकट कटने और नए चेहरे पर दांव लगाने का आधार हो सकते हैं। इस ऑनलाइन सर्वे में चुनावी राज्यों की जनता से प्रदेश सरकार के प्रदर्शन का नंबर के जरिए आंकलन करने को लेकर सवाल पूछा गया है। जबकि विपक्षी दलों के एकजुट होने पर चुनाव परिणाम पर कितना असर पड़ता दिख रहा है और अपने विधायक से जुड़े मुद्दों पर कई सवाल पूछे गए हैं। सर्वे में जनता से पूछा गया है कि जब पोलिंग स्टेशन जाएंगे तब वोटिंग किस मुद्दे पर करेंगे। इन मुद्दों में कोविड 19 मैनेजमेंट, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शिक्षा और कानून व्यवस्था में किस मुद्दे को तवज्जो देंगे यानी इनमें से किस मुद्दे पर वोट करेंगे। साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के देश में नेतृत्व, राज्यस्तरीय और स्थानीय मुद्दों का भी विकल्प दिया गया है।

नमो एप सर्वे में कोविड महामारी के टीकाकरण की स्थिति पर जनता से राय मांगी गई है। प्रश्नों के जरिये राज्य के तीन सबसे अधिक लोकप्रिय नेताओं के नाम भी मांगे गए हैं।
कुछ अहम दिलचस्प प्रश्न इस प्रकार के पूछे गए हैं:-

  • आपका विधायक कौन है, क्या उसे दोबारा चुनेंगे?
  • क्या उम्मीदवार की जाति, धर्म या उसके काम के रिकॉर्ड को वरीयता देंगे?
  • विधायक चुनने में जाति, धर्म या विकास क्या आधार होना चाहिए?
  • क्या व्यक्ति ने भाजपा के लिए कार्यकर्ता के रूप में काम किया है व पार्टी को दान या चंदा दिया है?
  • राज्य और चुनाव क्षेत्र के तीन सबसे लोकप्रिय बीजेपी नेताओं के नाम पूछे गए। ये मुख्यमंत्री और विधायक के चेहरे की परख करने में मदद करेगा।
  • क्या विधायक सुलभ हैं, उनके कार्यों से संतुष्ट हैं?
  • विधानसभा क्षेत्र में सार्वजनिक सेवाओं सड़क, बिजली, पेयजल कानून व्यवस्था, शिक्षा की स्थिति से कितने संतुष्ट हैं?
  • क्या आपको लगता है कि विपक्षी एकता का आपके चुनाव क्षेत्र पर असर पड़ेगा?
  • केंद्र राज्य में एक ही सरकार विकास में मददगार, से सहमत हैं?
  • चार साल में राज्य सरकार की कार्यसंस्कृति में क्या सुधार हुआ?
  • राज्य सरकार की किस योजना या पहल से आपको सबसे ज्यादा लाभ हुआ?
  • स्वच्छ भारत, कानून व्यवस्था, शहरी विकास, अर्थव्यवस्था, ग्रामीण बिजली, किसान, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार के अवसर, सड़क पर भी राय मांगी गई है।

जाहिर है चुनावी राज्यों का यह नमो एप सर्वे भाजपा की चुनावी तैयारियों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक पहुँचने वाला सीधा फीडबैक होगा। खास बात यह है कि नमो एप पर सिर्फ भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि वैसे लोग भी मौजूद हैं जो प्रधानमंत्री मोदी को पसंद करते हैं लेकिन राज्य सरकार को लेकर उनका फीडबैक निष्पक्ष होगा। ऐसे में धामी के चेहरे और भाजपा विधायकों की हकीकत बयां करने वाला होगा नमो अपन सर्वे।


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