President Election 2022, NDA Candidate Draupadi Murmu in Uttarakhand: सोमवार को NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू अपने चुनाव प्रचार अभियान के तहत उत्तराखंड दौरे पर आईं। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के उत्तराखंड आगमन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचकर उनका स्वागत किया।
द्रौपदी मुर्मू ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ देहरादून कलेक्ट्रेट स्थित शहीद स्थल जाकर शहीद राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। एनडीए उम्मीदवार मुर्मू ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में उत्तराखण्ड के सांसदों और विधायकों के साथ बैठक भी की।
इस दौरान एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, सह प्रभारी रेखा वर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक सहित पार्टी के सांसद एवं विधायक उपस्थित रहे। दो निर्दलीय विधायकों ने भी द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दे दिया है।
दरअसल, हरिद्वार जिले की खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार और उत्तरकाशी जिले की यमुनोत्री सीट से निर्दलीय विधायक संजय डोभाल ने एनडीए उम्मीदवार मुर्मू को समर्थन दे दिया है।
ज्ञात हो कि देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल इसी माह पूरा हो रहा है और 18 जुलाई को अगले राष्ट्रपति के लिए चुनाव होना है। जबकि 21 जुलाई को मतगणना होगी। एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से मुकाबला करने के लिए विपक्षी धड़े के उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा मैदान में हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के अलावा राज्य की विधानसभाओं के सदस्य भी वोटिंग करते हैं। जिस तरह से ओडीशा सीएम नवीन पटनायक, आँध्र सीएम जगनमोहन रेड्डी और अब चन्द्रबाबू नायडू से लेकर शिवसेना में टूट हुई है उसके बाद एनडीए उम्मीदवार की बड़ी जीत तय है। यशवंत सिन्हा विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर सम्मान बचाने और हार का अंतर पाटने की लड़ाई लड़ते दिख रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह ने खास रणनीति के तहत 2024 के लोकसभा चुनाव की लड़ाई से पहले द्रौपदी मुर्मू के रूप में आदिवासी और महिला चेहरा उतारकर बड़ी बढ़त के साथ विपक्षी खेमे में दरार डालने की चाल चली है। इसमें कामयाबी भी मिलती दिख रही है क्योंकि पटनायक और जगनमोहन के समर्थन के बिना एनडीए उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित नहीं हो सकती थी और पहली बार राष्ट्रपति की रेस में आदिवासी महिला को उतारकर मोदी-शाह ने एक झटके में न केवल जीत सुनिश्चित कर ली है बल्कि 2024 की चुनौती से पहले विपक्ष पर मनोवैज्ञानिक बढ़त भी पा ली है।