देहरादून: 22 बैटल में खुद को भाजपा पर इक्कीस साबित करने का ख़्वाब देख रही कांग्रेस अब तक 64 प्रत्याशी मैदान में उतार चुकी है। चौबट्टाखाल, नरेन्द्रनगर, टिहरी, हरिद्वार ग्रामीण, रुड़की और सल्ट यानी छह सीटों पर प्रत्याशियों को लेकर एकाध जगह एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है तो कहीं ‘एक परिवार एक टिकट’ फ़ॉर्मूला आड़े आ रहा तो कहीं भाजपा प्रत्याशी को लेकर ‘वेट एंड वॉच’ रणनीति अपनाई जा रही है।
कुछ सीटों पर संभावित प्रत्याशियों के चेहरे दिख रहे हैं लेकिन टिकट पर निर्णय नहीं हो पा रहा है। पूर्व सीएम हरीश रावत रामनगर का टिकट पा गए हैं लिहाजा रणजीत रावत को सल्ट सीट का ऑफर है लेकिन वे रामनगर छोड़ने को तैयार नहीं हो रहे। लिहाजा सल्ट सीट फंस गई है और रामनगर को लेकर भी सियासी संकट पैदा होता दिख रहा है।
नरेन्द्रनगर में हिमांशु बिजल्वाण का टिकट तय हो चुका था लेकिन अब भाजपा से निराश होकर कांग्रेस ज्वाइन करना चाह रहे ओम गोपाल रावत को पार्टी मौका दे सकती है।
टिहरी में किशोर उपाध्याय को लेकर पार्टी नेतृत्व विश्वास का अभाव महसूस कर रहा है। जिस तरह से किशोर ने भाजपा नेताओं से गुपचुप मुलाकात की और उसके बाद सिटिंग विधायक धन सिंह नेगी के बावजूद पार्टी ने टिकट होल्ड कर दिया उसके बाद कांग्रेस भी ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में आ गई।
रूड़की में पूर्व मेयर यशपाल राणा आगे चल रहे थे लेकिन उनको प्रीतम कैंप में गिना जा रहा लिहाजा अब वहां भी उलटफेर देखने को मिल सकता है।
हरिद्वार ग्रामीण से मजबूत दावेदारी तो हरदा की पुत्री अनुपमा रावत की ही है लेकिन ‘एक परिवार एक टिकट’ का फ़ार्मूला राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन गया है। इसी के चलते चुनाव लड़ने के अनिच्छुक हरदा को सुरक्षित सीट खोजनी पड़ी है। उससे नहीं लगता कि राहुल गांधी अपने फ़ॉर्मूले को लेकर हरदा परिवार के लिए ढिलाई बरतेंगे! यानी यहां नया चेहरा खोजा जा रहा।
अब जब ‘एक परिवार एक टिकट’ फ़ॉर्मूला हरदा के ही गले की फांस बन चुका तब नए नवेले कांग्रेस में घर वापसी करने वाले हरक सिंह रावत को कहां तवज्जो मिलेगी भला! हरक कांग्रेस में एक टिकट फ़ॉर्मूले के साथ ही आए हैं लिहाजा अब वे दूसरी सीट के लिए अड़ने की स्थिति में नहीं। लेकिन कांग्रेस का ही ओके धड़ा चाहता है कि हरक सिंह रावत को कद्दावर सतपाल महाराज के खिलाफ चुनाव लड़ाया जाए। हरक ने भी गढ़वाल की सीटों पर हार-जीत के अपने दखल का संकेत देकर चौबट्टाखाल से चुनावी ताल ठोकने की मंशा जता दी है। लेकिन आपके THE NEWS ADDA पर कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने खुलासा किया है कि हरक को चौबट्टाखाल से चुनावी ताल ठोकने का चांस नहीं मिलेगा क्योंकि फ़ॉर्मूला हरक की कांग्रेस में एंट्री से पहले ही बन चुका है और इससे न चाहकर भी हरदा भी बंधे हैं।
हालांकि हरक इशारा कर चुके थे कि वो चौबट्टाखाल में सतपाल महाराज से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनकी चाहत पर ब्रेक लगा दिए हैं। अब बहुत हल्की आस यही है कि अगर हरदा आखिरी दौर में चुपके से हरिद्वार ग्रामीण सीट अपनी बेटी अनुपमा रावत के लिए ले पाने में कामयाब रहते हैं तो हरक के लिए भी प्रीतम कैंप चौबट्टाखाल सीट पर नए सिरे से समीकरण बिठाने का दांव खेल सकता है।