जो उत्तरप्रदेश में दाग़ी और अब मध्यप्रदेश में जिसके दामन पर दाग! शिवराज सरकार ने जिसे किया ब्लैकलिस्ट उसकी हिमायत में क्यों खड़ी हो रही धामी सरकार?
देहरादून/ भोपाल: युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 24 हज़ार सरकारी नौकरियाँ बाँटने का दम भर रहे लेकिन सवाल है कि क्या ये नौकरियाँ दाग़ी भर्ती एजेंसी के ज़रिए बाँटी जाएँगी? अगर हाँ तो फिर यह क्यों न माना जाए कि दो-दो राज्यों में ब्लैकलिस्टिड NSEIT एजेंसी के ज़रिए युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर भ्रष्टाचार को खुला निमंत्रण देकर नौकरियाँ बँटेगी? प्रदेश के युवा इस मुद्दे पर किसी भर्ती एजेंसी से निजी खुननस या राजनीतिक मंसूबों के चलते धामी सरकार से तत्काल इस दाग़ी एजेंसी को ब्लैकलिस्ट कर बाहर का रास्ता दिखाने की माँग कर रहे बल्कि सॉलिड सबूतों के आधार पर युवा मुख्तयमंत्री से एक्शन की गुहार लगा रहे।
सबूत नंबर 1
NSEIT 2017 में ही यूपी में इसलिए ब्लैकलिस्टिड कर दी गई थी क्योंकि SI भर्ती परीक्षा में धाँधली के गंभीर आरोप लगे थे। जब ऐसी भर्ती एजेंसी जो पड़ोसी राज्य में भ्रष्टाचार के आरोपों में प्रतिबंधित कर दी जाती है तब उसे उत्तराखंड में अनुबंधित क्यों कर दिया जाता है? जबकि राज्य में हज़ारों ख़ाली पड़े सरकारी पदों को भरा जाना है। सवाल उठना वाजिब है कि क्या नौकरियों में भ्रष्टाचार के ज़रिए बंदरबाँट की जानी है? या युवाओं की हिमायती बनने का दावा करती धामी सरकार सिर्फ़ युवाओं के हितों के नाम पर दिखावा मात्र कर रही?
सबूत नंबर 2
जिस NSEIT का कच्चा चिट्ठा प्रदेश के युवा और The News Adda पिछले कई दिनों से खोल रहे उसके पीछे ठोस सबूत हैं जो मजबूर कर रहे इस एजेंसी की कार्यप्रणाली पर संदेह करने को। NSEIT द्वारा मध्यप्रदेश में आयोजित कराई गई तीन परीक्षा- वरिष्ठ-ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, नर्सिंग स्टाफ़ और ग्रुप-दो में सहायक संपरीक्षक व कनिष्ठ सहायक परीक्षा रद्द कर दी गई है। छह महीने चली जाँच के बाद मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने ये तीन परीक्षा रद्द करते हुए NSEIT एजेंसी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। इसी के साथ मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मामले की जाँच साइबर सेल सौंप ही है और सख़्त फ़ैसला लिया है कि Nationl Stock Exchange for Information & Technology limited- NSEIT एजेंसी से भविष्य में होने् वाली किसी परीक्षा में मदद नहीं ली जाएगी। जबकि वहाँ कांग्रेस इस एजेंसी के ज़रिए हुई परीक्षाओं को व्यापमं पार्ट-2 घोटाला क़रार देकर CBI से जाँच कराने की माँग कर रही है। जबकि व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं ने कहा है कि तमाम अन्य परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने से पहले उनका सत्यापन और जाँच कराएगा।
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NSEIT की धाँधली उजागर होने के बाद जिन तीन परीक्षाओं को रद्द किया गया है उनमें 1587 पदों के लिए एक लाख 19 हज़ार 977 युवाओं ने परीक्षा देकर सुनहरे भविष्य का ख़्वाब देखा था लेकिन अब सबकी मेहनत बेकार गई है।
गंभीर सवाल है कि जब NSEIT पर पहले से संगीन आरोप लगते रहे हैं और अब मध्यप्रदेश सरकार ने छह माह की जाँच के बाद इस दाग़ी एजेंसी को ब्लैक लिस्ट कर दिया है तब उत्तराखंड में इसके आका कौन बने बैठे हैं? जबकि पिछले दिनों वन दरोग़ा भर्ती परीक्षा से पूर्व ही एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें लेन-देन से पास कराने की बातें उजागर हुई थी। सवाल है कि क्या उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग-UKSSSC द्वारा दाग़ी एजेंसी को अनुबंधित करने और फिर उसके बचाव में उतरने की भनक युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तभी होगी जब युवाओं के भविष्य से उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की तर्ज़ पर खिलवाड़ हो चुका होगा?