23 करोड़ 65 लाख रुपए लागत की नहर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था लोकार्पण
हरिद्वार (रतनमणी डोभाल): नाबार्ड के अंतर्गत जगजीतपुर एसटीपी से ग्राम रानी माजरा तक 10 किलोमीटर नहर निर्माण योजना 2017 में शुरू हुई थी और 2020 बनी थी। बनी क्या थी बनते ही चालू होने से पहले ही ‘उच्च गुणवत्ता’ के चलते दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिस काम को स्वीकृत तीन करोड़ में होना था। वह आठ करोड़ में हुआ। जिसकी सक्षम अधिकारी से अनुमति भी नहीं ली गई। एक साल से नहर मरी पड़ी है और अंतिम संस्कार करने की तैयारी चल रही है। सिंचाई विभाग ने इस अधूरी तथा टूटी नहर का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 20 सितंबर 2020 को ऑनलाइन लोकार्पण कराया था जिसकी ग्रामीणों ने प्रधानमंत्री से शिकायत भी की थी।
मरी पड़ी नहर के साथ जो फोटो है उसमें एक तो नहर के वारिश अपने सिंचाई मंत्री हैं। उनके जिला प्रभारी मंत्री व सिंचाई मंत्रित्व काल में ही नहर का निर्माण किया गया है। उनके साथ जो चमकीले सजे धजे व्यक्ति हैं, वह गाजीपुर उत्तर प्रदेश निवासी संतोष कुमार यादव हैं और सद्भावना इंफ्रा कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. के कर्ताधर्ता हैं। आपकी पत्नी गीता यादव के नाम तत्कालीन सिंचाई कार्य मंडल हरिद्वार के अधीक्षण अभियंता आरके तिवारी ने किलोमीटर 4.700 से किलोमीटर 5.700 का अनुबंध किया। कार्य शुरू करने की तारीख 31 जनवरी 2019 तथा समाप्त करने की तारीख 29 जून 2019 है।
सद्भावना इंफ्रा कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. गाजीपुर उत्तर प्रदेश की गीता यादव की ठेका लेने की पात्रता यह थी कि उसका पति संतोष कुमार यादव सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का चहेता, बगल गीर है जैसा फोटो में दिख रहा है। अधिकारियों ने चहेतों को उपकृत करने के लिए प्रोक्योरमेंट रुल 2017 की धज्जियां उड़ाते हुए बिना विभागीय सक्षम उच्च अधिकारी की अनुमति लिए ही एक काम के 200 अनुबंध कर करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना सरकार को लगाया। सद्भावना इंफ्रा की तो एकल निविदा ही स्वीकार कर दी गई।
मुख्य अभियंता दिनेश चंद्रा, अधीक्षण अभियंता आरके तिवारी, जो इससे पहले इसी खंड में अधिशासी अभियंता थे, को 1 दिसंबर 2018 को गोपनीय पत्र भेजते हैं। इसमें लिखते हैं कि दिनांक 29. 11. 2018 को आप एवं आपके साथ श्री डीसी उनियाल सहायक अभियंता सिंचाई खंड हरिद्वार के साथ अधोहस्ताक्षरी द्वारा नाबार्ड से वित्त पोषित जगजीतपुर एसटीपी से प्रारंभ होकर 10 किमी तक लंबाई के निर्माणाधीन नहर के कि मी 4:00 के समीप स्थल निरीक्षण किया गया। मुख्य अभियंता उनका स्पष्टीकरण तलब करते हैं और लिखते हैं कि यह योजना गैर तकनीकी तथा गैर लाभकारी है इसलिए इस कार्य को बंद कर दिया जाए। इस गोपनीय पत्र के बाद मुख्य अभियंता भी सेट हो गए और फिर मुड़कर नहीं देखा।
इसके बावजूद स्वीकृत डिजाइन के विपरीत ईंटों की दीवार पर पाइपलाइन का काम जारी रखा गया। नतीजा हुआ कि नहर पूरी बन भी नहीं पाई थी कि इससे पहले ही गिर गई। योजना कंक्रीट के पाए के ऊपर पाइप की स्वीकृत थी। लेकिन एक किलोमीटर लंबाई में घंटों की दीवार का निर्माण कर उसके ऊपर पाइप रख दिए गए। जो काम तीन करोड़ में होना था, उस पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने आठ करोड़ रुपए खर्च कर सीधे नकद 5 करोड़ रुपए ठिकाने लगाए।
ग्राम रानी माजरा के प्रधान तथा अन्य लोगों ने अक्टूबर 2020 में नहर का निर्माण पूरा नहीं होने तथा जो निर्माण हुआ है उसके नहर चालू होने से पहले ही धराशाई होने की शिकायत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, सिंचाई मंत्री तथा विधायक यतीश्वरानंद, जो वर्तमान में कैबिनेट मंत्री हैं तक पहुंच गई थी।
जांच पर जांच
शासन ने अब एक बार फिर इस नहर निर्माण योजना की जांच के लिए मुख्य अभियंता स्तर -2, अधीक्षण अभियंता आईडब्लयूसी टिहरी तथा वित्त नियंत्रक की जांच समिति गठित की है। जांच के नाम पर लीपापोती किए जाने का रास्ता निकाला जा रहा है क्योंकि मुख्य अभियंता दिनेश चंद्रा एवं अधीक्षण अभियंता तथा अधिशासी अभियंता के समय यह सब काम हुआ है। निश्चित है निष्पक्ष जांच होने पर आंच उन्हीं पर आनी है इसलिए 24 करोड़ रुपए के घोटाले का अंतिम संस्कार करने के लिए चंदन की लकड़ी खरीदने की तैयारी चल रही है। चुनाव सिर पर है और महाराज इस घोटाले के बोझ के साथ मैदान में उतरना नहीं चाहेंगे।
साभार एफबी (लेखक हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार हैं और भ्रष्टाचार पर लगातार लेखन कर रहे हैं)