दिल्ली: दुनिया अभी कोरोना के तेजी से फैल रहे नए वैरिएंट ओमीक्रॉन से ख़ौफ़ज़दा है। भारत में भी इस वैरिएंट के 1948 संक्रमित मिल चुके हैं। कोरोना के बढ़ते नए मामलों और ख़तरनाक होते ओमीक्रॉन के चलते दिल्ली में वीकैंड कर्फ़्यू लगा दिया गया है और वर्क फ़्रॉम होम की तैयारी है। ओमीक्रॉन के खतरे के बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस वैरिएंट का पता लगाने वाली नई किट ओमीश्योर को मंजूरी दे दी है। ओमीश्योर किट को टाटा मेडिकल द्वारा बनाया गया है। इस किट को 30 दिन के लिए ही मंजूरी दी है। ज्ञात हो कि अभी देश में ओमीक्रॉन का पता लगाने के लिए अमेरिकी फ़ार्मा कंपनी थर्मो फ़िशर की किट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ऐसे में जब भारत और दुनियाभर में ओमीक्रॉन की चुनौती से निपटने की कवायद जारी है, तब फ्रांस में कोविड का एक और नया वैरिएंट IHU मिलने से हड़कंप मच गया है। फ्रांस के वैज्ञानिकों ने नए वैरिएंट ‘IHU’ का पता लगाया है, जिसे ओमीक्रॉन से भी ज्यादा तेजी से फैलता है। वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया जा रहा है कि B.1.640.2 यानी IHU वैरिएंट वैक्सीन लगवा चुके और पहले संक्रमित हुए लोगों को भी
संक्रमित कर सकता है।
रिसर्चर ने दावा किया है कि IHU वैरिएंट के 46 म्यूटेशन हो सकते हैं, जो ओमीक्रॉन के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं। इस नए वैरिएंट के कम से कम 12 केस मार्सिलिस में पाए गए हैं। सभी संक्रमित लोग अफ्रीकी देश कैमरून की यात्रा से लौटे थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन-WHO जांच में पता चला है कि फ्रांस के अलावा किसी और देश में यह वैरिएंट अब तक नहीं मिला है। हालांकि, महामारी विज्ञानी एरिक फेगल डिंग ने ट्विटर पर कहा कि कोरोना के नए वैरिएंट्स सामने जरूर आ रहे हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि ये पुराने वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा खतरनाक हैं।
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के बाद अब ओमीक्रॉन को सबसे ख़तरनाक माना जा रहा है क्योंकि इस वैरिएंट में मल्टीप्लाई होने की क्षमता है जिसके चलते यह औरों से ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है।
दक्षिण अफ्रीका में मिला था ओमीक्रॉन अब दुनिया के लिए सबसे बड़ी आफत
24 नवंबर को ओमीक्रॉन वैरिएंट का सबसे पहला केस दक्षिण अफ्रीका में मिला था। तब से लेकर अब तक ओमीक्रॉन वैरिएंट 100 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। भारत की बात करें तो यहाँ अब तक 23 केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों में ओमीक्रॉन फैल चुका है। देश भर में ओमीक्रॉन वैरिएंट के अब तक 1948 मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि ओमीक्रॉन को लेकर राहत की बात यह कही जा रही है कि यह डेल्टा जैसे अन्य तमाम वैरिएंट्स के मुकाबले कमजोर है। लेकिन तेजी से देश के बड़े नगरों में पाँव पसार रहा ओमीक्रॉन बड़े खतरे की ओके इशारा करता है।