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इधर प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की, उधर धाम के तीर्थ-पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग को लेकर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को लिखा खून से पत्र

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केदारनाथ: देवस्थानम बोर्ड भंग कराने की माँग पर केदारनाथ में चल रहा तीर्थपुरोहितों धरना-प्रदर्शन अब क्रमिक अनशन में तब्दील हो गया है। मंगलवार को आक्रोशित तीर्थपुरोहितों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खून से लिखा पत्र भेजा। पत्र में पुरोहितों ने कहा कि जल्द से जल्द देवस्थानम बोर्ड भंग किया जाए और केदारनाथ में पौराणिक काल से चली आ रही परम्पराओं के साथ चल कहा छेडछाड़ भी रोका जाए। इससे पहले तीर्थ पुरोहितों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम भी रक्त रंजित पत्र जारी किया गया था।
यह संयोग ही है कि मंगलवार को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाडियो कॉंफ़्रेंसिंग के ज़रिए केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाने और वासुकीताल क्षेत्र के साथ साथ आसपास के क्षेत्रों को भी नए लोकेशन के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री ने स्थानीय जनभावनाओं के अनुरूप ईशानेश्वर मंदिर के पुन:निर्माण, आस्था चौक पर ‘ॐ’ कार की प्रतिमा स्थापित करने, शंकराचार्य समाधि एवं शिव उद्यान के डिज़ाइन में जन भावनाओं के अनुरूप संशोधन के निर्देश दिए हैं।
सवाल है कि जब प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों में बार-बार जनभावनाओं को तवज्जो देने की वकालत कर रहे हैं तब क्या देवस्थानम बोर्ड को लेकर हर गुजरते दिन भीषण होते संघर्ष और आंदोलन को लेकर धामी सरकार को चिन्तित नहीं होना चाहिए? कल्पना करिए एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी केदारनाथ पुनर्निर्माण के ज़रिए नई पटकथा लिखना चाह रहे तब धामी सरकार देवस्थानम बोर्ड से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले तबके यानी पंडा-पुरोहितों हकहकूकधारियों को आंदोलन की इस स्थिति तक कैसे जाने दे सकती है कि खून से चिट्ठी लिखने की नौबत आ रही!

दरअसल, हर रोज की तरह नारेबाजी करते हुए तीर्थपुरोहितों ने मंगलवार से क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है। तीर्थपुरोहित साकेत बगवाड़ी ने राष्ट्रपति और नितिन बगवाड़ी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खून से पत्र लिखकर भेजा है। केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला की मौजूदगी में खून से लिखा पत्र राष्ट्रपति और सीएम को भेजा गया। पत्र में तीर्थपुरोहितों ने लिखा कि पौराणिक काल से केदारनाथ में तीर्थपुरोहितों के हक-हकूक से जुड़े कई अधिकार हैं।

पंडा पुरोहित समाज का आरोप है कि यहां की परम्परा के साथ लगातार छेड़छाड़ की जा रही है जिसे किसी भी दशा में बर्दास्त नहीं किया जाएगा। आंदोलित तीर्थ पुरोहितों ने देवस्थानम बोर्ड को जल्द से जल्द भंग करने की मांग की है और ऐसा न करने पर आंदोलन को और भी उग्र करने की चेतावनी दे दी है। इस मौके पर केदारसभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला, आचार्य संतोष त्रिवेदी, कुबेरनाथ पोस्ती, नितिन बगवाड़ी, प्रदीप शर्मा, सावन बगवाड़ी, प्रकाश चन्द्र तिनसौला, रमाकांत शर्मा सहित कई तीर्थपुरोहित मौजूद थे।

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