देहरादून: नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने अघोषित बिजली कटौती को लेकर राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार पर निशाना साधा है। यशपाल आर्य ने कहा है कि राज्य भर में शहरों से लेकर ग्रामीण अंचलों तक हो रही अघोषित बिजली कटौती से आम उपभोक्ता परेशान हैं। आर्य ने राज्य सरकार को आईना दिखाते हुए आरोप लगाया कि कुछ महीनों पहले हुए विधानसभा चुनाव में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का वादा करने वाली भाजपा के सरकार में आने के बाद गर्मियां तो दूर अब बरसात में भी ग्रामीण क्षेत्रों में मुश्किल से आठ से नौ घंटे बिजली आपूर्ति मिल पा रही है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि गर्मियों में जल विद्युत परियोजनाओं में पानी की कमी के कारण कम विद्युत उत्पादन होने का रोना रोने वाली भाजपा सरकार अब भरपूर बरसात में भी राज्य को बिजली की समस्या से निजात नहीं दिला पा रही है। उन्होंने बताया, ‘‘राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं को चलाने के लिए कभी पानी की कमी नही रही है, कमी अगर कहीं है तो वह सरकार की नीतियों और कार्यप्रणाली में है।’’
यशपाल आर्य ने बताया कि आजकल राज्यभर में सुबह 6 बजे से ही बिजली की आंख मिचौली शुरू हो जाती है, जो दिन भर जारी रहती है। दिन में लाइट की कटौती से जहां व्यापारी और नागरिक परेशान हैं वहीं शाम होते ही गांवों व शहरों में ऐसा अंधेरा छा जाता है जैसे कि युद्ध के समय का ब्लैक आउट हो। आर्य ने कहा कि बिजली कटौती के चलते घरों और दुकानों के कूलर, पंखे, फ्रिज, एसी महज शो पीस बने हुए हैं।
उनका आरोप है कि बिजली अगर आती भी है तो लो वोल्टेज या एक फेस बंद होने के कारण उसे न आया ही समझना चाहिए। ऐसे में सुबह से बिजली गुल होने के कारण आम जन को पानी भी नहीं मिल पा रहा है। बिजली न रहने से वेल्डिंग, आरा मशीन, फर्नीचर आदि के व्यवसाय पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हर दिन हजारों रुपये का डीजल खर्चकर दुकानदार अपने व्यवसाय को जिंदा रख रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि आम गरीब लोग दिन में तो किसी तरह काम निपटा ले रहे हैं, लेकिन रात को लाइट न होने के चलते पंखे नहीं चल रहे हैं और मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
यशपाल आर्य ने बताया कि उन्हें शिकायतें मिल रही हैं कि राज्य के बिजली बोर्ड के अधिकारी और कर्मचारी जनप्रतिनिधियों की बिजली की कमी से संबंधित शिकायतों को सुनने के लिए फोन तक नही उठाते हैं। इससे सिद्ध होता है कि उत्तराखण्ड में इस समय कल्याणकारी राज के बजाय शोषक राज चल रहा है जिसमें व्यवस्था और अधिकारियों पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है।
आर्य ने आरोप लगाया कि सरकार ऊर्जा से संबंधित तीनों निगमों – यू0पी0सी0एल0, यू0जे0वी0एन और पिटकुल को धीरे-धीरे बरबाद करके बेच देना चाहती हैंl। इसलिए इन निगमों को अस्थाई व्यवस्था के तहत चलाया जा रहा है। निगमों में निदेशकों के अधिकांश पद खाली हैँ। यू0पी0सी0एल0 में निदेशक ऑपरेशन का पद खाली है। ऐसे में राज्य में बिजली की सही व्यवस्था होने की कल्पना भी नही की जा सकती है। उन्होंने कहा कि न केवल ऊंचे स्तर पर बल्कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले जूनियर इंजीनियरों के अधिकांश पद खाली हैं । निचले तकनीकी कर्मचारियों को ठेके पर लेने से व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गयी है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य को सामान्य दिनों में लगभग 55 मिलियन यूनिट विद्युत की जरूरत होती है। वर्तमान में कुल जरूरतों की 65 प्रतिशत बिजली ही उत्तराखंड स्वयं के उत्पादन से और केन्दीय कोटा से सुनिश्चितत करता है लेकिन जरूरत के लिहाज से 35 प्रतिशत यानी लगभग 10 मिलियन यूनिट विद्युत की हमेशा कमी रहती है।
नेता प्रतिपक्ष का आरोप है कि सरकार ने व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण पिछले कुछ सालों में समय पर 99 मेगावाट की सिंगोली -भटवाड़ी परियोजना का पी0पी0ए0 और उधमसिंहनगर के 450 मेगावाट और 250 मेगावाट के दो गैस आधारित संयंत्रों से उचित बिजली खरीद समझौते नहीं किये वरना आज राज्य को न तो बिजली की कटौती का सामना करना पड़ता और न ही महंगी बिजली खरीदनी पड़ती।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अब इस अघोषित बिजली की कटौती से राज्य की जनता को उबारने हेतु कांग्रेस माँग करती है, ‘‘उत्तराखंड को केंद्र सरकार सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराये और सेंटर पूल से मिलने वाले बिजली कोटे में बढ़ोतरी भी करे। ’’