- विपक्ष के मुकाबले मोदी मजबूत पर आंध्र-ओडीशा से साथ न मिला तो होगा संकट
- यूपीए की नजर राज्यसभा की 16 सीटों के लिए 10 जून को हो रही वोटिंग पर
- विपक्ष के दांव से चुनाव 2024 की चाल का चल जायेगा पता
दिल्ली: Election Commission of India Announced dates for President Election 2022: देश के 15वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जल्द खत्म हो रहा है और 24 जुलाई से पहले 16वें राष्ट्रपति का चुनाव होना है। गुरुवार को चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर राष्ट्रपति चुनाव की तारीख़ों का ऐलान कर दिया।
राष्ट्रपति चुनाव 2022 का ये रहेगा कार्यक्रम
- राष्ट्रपति चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने किया तारीख़ों का ऐलान
- चुनाव आयोग 15जून को राष्ट्रपति चुनाव के लिए जारी की अधिसूचना।
- नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून: EC
- 30 जून को नामांकन पत्रों की होगी जांच: EC
- 2 जुलाई तक नामांकन वापसी होगी: EC
- 18 जुलाई को देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति के लिए वोटिंग
- 21 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए होगी मतगणना
- राजनीतिक दल नहीं जारी कर पाएंगे व्हिप : EC
- वोटरों को एक, दो, तीन लिखकर अपनी पसंद बतानी होगी: EC
- पहली पसंद नहीं बताने पर वोट हो जाएगा रद्द
- 2017 में 17 जुलाई को हुई थी वोटिंग, 20 को काउंटिंग
- 24 जुलाई को खत्म हो रहा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल
MPs 776: vote value 5,43,200
MLAs: 4033: vote value 5,43,231
Total: total electors 4809: vote value 10,86,431
लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं के चुने हुए सदस्य डालते हैं राष्ट्रपति चुनाव में वोट। इन्हीं को मिलाकर निर्वाचक मंडल बनता है। लोकसभा और राज्यसभा के 12 मनोनीत सांसदों को छोड़कर 776 सांसद और विधानसभाओं के 4033 विधायकों के वोट से राष्ट्रपति चुना जाएगा। इस निर्वाचक मंडल का कुल मूल्य 10,86,431 है। विधायकों के वोट का मूल्य राज्य की जनसंख्या और विधानसभा क्षेत्र की संख्या पर निर्भर करता है। वोट का वेटेज निकालने के लिए राज्य की जनसंख्या के चुने गए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है और इसके बाद जो नंबर आता है, उसे 1000 से भाग दिया जाता है। इस तरह राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य या वेटेज निकल आता है। अगर भाग देने के बाद प्राप्त संख्या 500 से ज्यादा है तो इसमें एक जोड़ दिया जाता है।
जबकि विधानसभाओं के चुने हुए सदस्यों के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है और फिर लोकसभा और राज्यसभा के चुने सदस्यों की कुल संख्या से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो नंबर मिलता है, वह एक सांसद के वोट रै वेटेज होता है। अगर भाग देने पर शेष 0.5 से अधिक बचता हो तो वेटेज में एक जोड़ दिया जाता है।
ध्यान रहे राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ सबसे ज्यादा वोट पाने से जीत हासिल नहीं होती बल्कि जिस उम्मीदवार को सांसदों और विधायकों के वोटों का कुल वेटेज की आधा से ज्यादा हिस्सा मिलता है, वही राष्ट्रपति बनता है। राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के 12 मनोनीत सांसदों की तरह राज्यों के विधान परिषदों के सदस्य भी वोट नहीं डाल सकते हैं।
देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद का चुनाव 2017 में हुआ था। सवाल है इस बार एनडीए किसे अपना अगले राष्ट्रपति के लिए चुनाव में उम्मीदवार बनाता है? जाहिर है अब राष्ट्रपति चुनाव 2022 की तारीख़ों का ऐलान हो चुका है। लिहाजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एनडीए की ओर से उम्मीदवार को लेकर पिछली बार की तरह सबको चौंकाते हैं या फिर दिल्ली में सक्रिय किसी राजनेता पर दांव लगाते हैं देखना दिलचस्प होगा। साथ ही यूपीए और दूसरे विपक्षी दलों की तरह से किसे उम्मीदवार बनाया जाता है, यह भी 2024 की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम होगा। बहरहाल एनडीए और विपक्षी दलों की तरफ से जब उम्मीदवारों के चेहरे आएंगे तब उसी हिसाब से राजनीतिक समीकरणों को समझा जाएगा, फिलहाल अगर बहुमत के नज़रिए से देखें तो एनडीए बहुमत के आसपास ही है।
एनडीए वर्सेस विपक्षी दल
2017 में हुए पिछले राष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को 65.35 फीसदी वोट मिले थे। जाहिर है प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह उसी जीत को 2022 में भी दोहराने की तैयारी में हैं। हालाँकि इस बार दो राज्यों से मुख्यमंत्रियों के समर्थन के बिना बहुमत के पास खड़े एनडीए के लिए यह कर पाना सँभव न होगा। अगर राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए को आंध्रप्रदेश और ओडीशा से YSR Congress और BJD से समर्थन मिल जाता है तो अपने उम्मीदवार को जीत दिलाने में उसे कोई दिक्कत नहीं होने वाली है। इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बीजेडी चीफ और ओडीशा सीएम नवीन पटनायक और वाईएसआर कांग्रेस नेता और आँध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी से मुलाकात कर चुके हैं। कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं ने उम्मीदवार सामने आने के बाद समर्थन को लेकर अपना फैसला सुनाने की बात कही है।
जबकि अगर विपक्षी धड़े और खास तौर पर यूपीए की बात करें तो उसकी नज़रें 10 जून को होने वाले 16 सीटों के राज्यसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं। दरअसल राज्यसभा का 57 सीटों में से 41 पर निर्विरोध निर्वाचन हो चुका है और सिर्फ 16 सीटों पर पेंच फंसा है। ये सीटें महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और हरियाणा से आती हैं।
बहरहाल दिलचस्प होगा यह देखना की सत्ता पक्ष और विपक्ष अगले राष्ट्रपति के लिये किन-किन चेहरों पर दांव लगाते हैं। आखिर एनडीए की मजबूती और विपक्षी एकजुटता का पता इस चुनाव में बखूबी चल जाएगा।