- 9 दिन बाद भी सीएम चेहरे पर क्यों नहीं लग पाई है मुहर?
- शपथग्रहण होगा मेगा इवेंट पर तारीख अभी तय नहीं?
- क्या अब 21 को विधायक दल बैठक और 23 मार्च को होगा शपथग्रहण?
देहरादून/दिल्ली: 10 मार्च के नतीजों के बाद भाजपा की प्रचंड जीत के बावजूद नौ दिन बीत गए लेकिन नए मुख्यमंत्री को लेकर बने सस्पेंस से पर्दा नहीं उठ पाया है। जबकि यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथग्रहण की तारीख 25 मार्च तय हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का खटीमा से चुनाव हार जाना! पार्टी की जीत के बावजूद धामी की हार ने भाजपा आलाकमान के हाथ मानों बाँध दिए हों! हार के बाद भी अगर धामी को मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो भाजपा में यह नई परिपाटी होगी। यही वजह है कि पार्टी अब तक उत्तराखंड पर फैसला नहीं ले पाई है। लेकिन अब सीएम पर सस्पेंस खत्म होने का समय करीब आ गया है।
शनिवार शाम यानी आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष आदि नेताओं के साथ गहन विचार मंथन करेंगे। माना जा रहा है कि इस अहम बैठक में ‘उत्तराखंड का मुख्यमंत्री कौन होगा?’ पहेली को हल कर लिया जाएगा। चेहरे पर मुहर लगने के बाद ही केन्द्रीय पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी के देहरादून दौरे की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। आज भी मीडिया से मुख़ातिब हुए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक ने यह ज़रूर कहा कि उनको उम्मीद है कि शपथग्रहण मेगा इवेंट में प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे दिग्गज पहुँचेंगे लेकिन वे शपथग्रहण कब होगा इसकी तारीख नहीं बता पाए।
हालाँकि भाजपा ने अपने तमाम विधायकों को रविवार तक देहरादून पहुँचने का संदेश दे दिया है। भाजपा सूत्रों ने आपके THE NEWS ADDA पर दावा किया है कि 21 मार्च को विधायक दल बैठक हो सकती है जिसमें औपचारिक तौर पर नेता सदन यानी नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान होगा। बैठक में केन्द्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और मीनाक्षी लेखी इसका ऐलान करेंगे। सूत्रों की मानें तो 23 मार्च को नए मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रिमंडल का शपथग्रहण समारोह होगा। हालाँकि विधायक दल नेता चयन के बाद शपथ का समय नए मुख्यमंत्री पर भी निर्भर करता है। लेकिन यह तय है कि 23 मार्च तक नई सरकार का गठन होना संवैधानिक दृष्टि से आवश्कक है।
चीफ मिनिस्टर रेस के चेहरे ?
बात अगर सीएम रेस के चेहरों की करें जिनमें से किसी एक नाम पर आज भाजपा नेतृत्व मुहर लगाएगा तो रेस में सबसे पहला नाम कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का लिया जा सकता है। धामी तमाम समीकरणों में फिट बैठते हैं और अपने छह सात महीनों के कार्यकाल में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में मददगार भी साबित हुए हैं। लेकिन धामी की राह उनकी हार रोक रही है।
ठाकुर चेहरों में दो नाम और रेस में हैं जिनमें पहला सतपाल महाराज और दूसरा डॉ धन सिंह रावत का है। महाराज धामी को कड़ी चुनौती दे रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर संघ प्रमुख मोहन भागवत से नज़दीकियां मददगार साबित हो सकती हैं। लेकिन महाराज के साथ चुनौती यह है कि वे नॉन भाजपा – संघ काडर हैं लिहाजा क्या हिमंत बिस्वा सरमा सरीखे कामयाब साबित होंगे यह देखना है।
डॉ धन सिंह रावत 2017 में भी सीएम रेस में थे और 2022 में भी फ्रंट रनर हैं। संघ और भाजपाई बैकग्राउंड से लेकर दिल्ली दरबार में पहचान भी है। लेकिन कांटे के मुकाबले में चंद वोटों से जीते धनदा पर पांच साल मंत्री रहते तमाम तरह के आरोप भी लगते रहे। देखना होगा ठाकुर चेहरे को ही चांस मिला तो क्या धनदा धामी और महाराज पर भारी पड़ेंगे कि नहीं!
नए सीएम चेहरे के चयन में देरी की वजह सिर्फ यह नहीं कि मुख्यमंत्री रहते पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गये। एक बड़ी वजह यह भी बताई जा रही कि इस बार हल्ला ब्राह्मण चेहरे को लेकर जिस तरह से मचा है और जल्द पड़ोसी राज्य हिमाचल में चुनाव भी हैं जिसके मद्देनज़र नया दांव खेला जा सकता है। यूपी और हिमाचल में ठाकुर चेहरे तो क्या इस बार उत्तराखंड में ब्राह्मण चेहरे को मौका मिल सकता है?
अगर ब्राह्मण चेहरे को चांस दिया जाता है तो सांसदों में अनिल बलूनी और अजय भट्ट के नाम दौड़ ही रहे हैं। जबकि विधायकों में सुबोध उनियाल, ऋतु खंडूरी, विनोद चमोली और गणेश जोशी जैसे नाम चर्चा में हैं। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी चीफ मिनिस्टर रेस के फ्रंट रनर हैं लेकिन आड़े यही आ सकता है कि वे मैदानी क्षेत्र से आते हैं और भाजपा को इस बार बड़ा बहुमत पहाड़ से मिला है न कि हरिद्वार-ऊधमसिंहनगर जिलों से।
महिला कोटे से अगर मौका मिलता है तो ऋतु खंडूरी की दावेदारी मजबूत लगती है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी परिवारवादी राजनीति के बहुत हिमायती नजर नहीं आते हैं। सुबोध उनियाल की कैबिनेट मंत्री के नाते परफ़ॉर्मेंस उम्दा रही लिहाजा उनकी भी दावेदारी है लेकिन चुनौती यही कि उनियाल नॉन भाजपा-संघ काडर हैं।
जाहिर है नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगने में होती गई देरी ने कयासबाजी को बढ़ा दिया है। लेकिन आज शाम हो रही बैठक के बाद ‘उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?’ पर बना सस्पेंस खत्म हो सकता है और विधायक दल की बैठक और शपथग्रहण की औपचारिक तारीख और समय का ऐलान हो सकेगा!