देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को वोटिंग हो चुकी है लेकिन नतीजों को लेकर 10 मार्च तक इंतज़ार करना है। लिहाज़ा भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों तरफ से जीत के दावे और ‘आल इज़ वेल’ का मैसेज दिया जा रहा है। ज़ाहिर है काउंटिंग से पहले दोनों तरफ से नैरेटिव बनाने की रणनीति बनाई जा रही है।
पहले बात सतारूढ़ भाजपा की। वोटिंग के बाद से भाजपा कैम्प में ज्यादा हड़बड़ी नज़र आ रही है। अब तक भाजपा के आधा दर्जन विधायक-प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में भितरघात की शिकायत दर्ज करा चुके हैं। लक्सर विधायक संजय गुप्ता तो सीधे अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को ही ग़द्दार घोषित कर चुके हैं। भाजपा के विधायकों-प्रत्यशियों द्वारा संगठन पर भितरघात के खुले आरोपों से पार्टी थिंकटैंक को चिंता होने लगी कि कहीं इसका डैमेज यूपी चुनाव में ही न हो जाए! लिहाज़ा पार्टी ने नैरेटिव बिल्ड करना शुरू किया है कि भले कुछ विधायक भितरघात से घायल हो गए हों लेकिन असल में पार्टी उत्तराखंड जीत रही है।
इसी नैरेटिव को मजबूती देने की रणनीति के तहत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके डिफेंस कॉलोनी आवास पहुंच कर मुलाकात करते हैं। दोनों दिग्गजों की मुलाक़ात इस लिहाज से भी ज्यादा अहम लगती है क्योंकि लगातार चर्चा चल रही कि अगर चुनाव में भाजपा को नुकसान होता है तो इसकी बड़ी वजह होगी सत्ताधारी पार्टी के भीतर मची अंदरूनी कलह! कहा जा रहा है कि आज चुनाव में सीएम धामी से लेकर प्रदेश अध्यक्ष कौशिक तक कठिन लड़ाई में अपनी-अपनी सीटों में फंसे हैं। त्रिवेंद्र को साइडलाइन करने की बातें भी खूब हो रही हैं, ऐसे में सीएम धामी का पूर्व सीएम TSR से मिलने पहुँचना कई नए बनते-बिगड़ने समीकरणों का संकेत देती है।
उधर जब धामी-त्रिवेन्द्र की मुलाकात हो रही थी तब कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन में हरीश रावत प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल के साथ नींबू-माल्टा पार्टी कर एकजुटता का सियासी स्वाद बांट रहे थे। ज़ाहिर है ऐसे समय जब हरदा सीएम की कुर्सी पर दावेदारी का साफ संदेश दे चुके हैं और प्रीतम सिंह आलाकमान द्वारा फैसला लेने की ढपली बजा मैसेज दे चुके तब कांग्रेस भवन में नींबू-माल्टा पार्टी के बहाने हरदा-प्रीतम-गणेश की त्रिमूर्ति का संगम एकजुटता का संदेह देने की ही कसरत है।
ज़ाहिर है कि नतीजों से पहले भाजपा और कांग्रेस नेता मनोवैज्ञानिक तौर पर अपने विरोधियों पर बढ़त बनाने की रणनीति पर हैं और मुलाकातों के जरिए दिलों में जमी बर्फ़ भी पिघलाने की कोशिश हो रही। इस बहाने नतीजों के बाद की तस्वीर भी टटोली जा रही हो इससे नकारा नहीं जा सकता है।