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गुरुवार सुबह 8:30 बजे विधायक कैलाश गहतौड़ी स्पीकर ऋतु खंडूरी के आवास पहुंचकर सौंपेंगे अपना इस्तीफा, गुरु गोरक्षनाथ मंदिर आध्यात्मिक पीठ पहुंचकर उपचुनाव जीत की मन्नत माँगेंगे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

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देहरादून: 2022 की मोदी सूनामी में पार्टी जीत गई थी लेकिन खटीमा के चुनावी दंगल में खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चित हो गए। अब तय हो गया है कि विधानसभा की सदस्यता के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत सीट से उपचुनाव लड़ेंगे। चंपावत के मौजूदा भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी पार्टी नेतृत्व को चिट्ठी लिखकर इस्तीफे की इच्छा जता चुके हैं। अब आलाकमान से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद गुरुवार सुबह 8:30 बजे विधायक कैलाश गहतौड़ी स्पीकर ऋतु खंडूरी के आवास पहुंचकर औपचारिक तौर पर अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा सौंपेंगे। जाहिर है इसी के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा पहुँचने का रास्ता साफ होता दिख रहा है क्योंकि चंपावत सीट पर कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री की राह रोकना बेहद कठिन होगा। हालाँकि दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है लिहाजा सीएम धामी भी घर के ‘जयचंदों’ से पहले के मुकाबले ज्यादा सचेत रहने की कोशिश करेंगे।

अब जब चंपावत से ही उपचुनाव लड़कर विधानसभा पहुँचना है तब सीएम धामी विधायक गहतौड़ी के इस्तीफे के तुरंत बाद चंपावत के तल्लादेश क्षेत्र में स्थापित गुरु गोरखनाथ मंदिर आध्यात्मिक पीठ पहुंचकर चुनावी जीत की मन्नत माँगेंगे। कहा जाता है कि गोरक्षपीठ में सतयुग से अखंड धूनी अनवरत प्रज्ज्वलित हो रही है और यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। सवाल है कि आखिर जब कई और भाजपा या निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट क़ुर्बान करने को तैयार थे तब धामी ने चंपावत को ही क्यों चुना? वह भी तब जब राज्य में एक राजनीतिक रवायत रही है कि सदन की सदस्यता के लिए मुख्यमंत्री विरोधी दल के विधायक से सीट खाली कराते रहे हैं। पहले जनरल बीसी खंडूरी ने कांग्रेस विधायक टीपीएस रावत की सीट खाली कराकर ऐसा किया था। फिर इसका जवाब विजय बहुगुणा ने 2012 में भाजपा के सितारगंज विधायक किरन मंडल की सीट खाली कराकर दिया था।

सीएम धामी के लिए तो कांग्रेस के धारचूला विधायक हरीश धामी क्षेत्र के विकास की एवज में सीट क़ुर्बान करने का खुला ऑफर दे चुके थे। इतना ही नहीं चंपावत के आसपास की एक और सीट का ऑफर मुख्यमंत्री की टेबल पर था लेकिन धामी ने चंपावत को ही चुना। वजह साफ है धामी न डीडीहाट सीट लेकर बिशन सिंह चुफाल की नाराजगी का जोखिम उठाने को तैयार थे और न ही किसी कांग्रेसी की सीट से लड़ने का खतरा मोल लेने को राजी। दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है और धामी नहीं चाहते थे कि घर के भीतर के विघ्नसंतोषियों को जाल बिछाने का नया मौका दिया जाए।

चंपावत सीट के समीकरण धामी के लिहाज से बेहतर नजर आ रहे हैं। एक तो सीट पर अधिकांश पहाड़ी मिज़ाज का वोटर है, उसमें भी ठाकुर मतों की संख्या आधे से अधिक ही है। अच्छे खासे नंबर्स में फ़ौजी वोटर्स के परिवार भी हैं और कांग्रेस के पिछले चुनाव के कैंडिडेट रहे पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल उपचुनाव लड़ेंगे भी या नहीं इस पर संशय बरक़रार है। यानी धामी के लिए चंपावत का किला सबसे सुरक्षित है। देखना दिलचस्प होगा सीएम के लिए सीट क़ुर्बान करने वाले कैलाश गहतौड़ी क्या राजनीतिक इनाम पाते हैं।

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