देहरादून: एक तरफ डॉक्टर्स कोरोना महामारी से जंग लड़ रहे लेकिन इसी दौरान कोरोना मरीजों की मौत के आँकड़ों को म केवल छिपाया जा रहा है बल्कि आँकड़ों के साथ जमकर छेड़छाड़ भी हो रही है। इसमें प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह के अस्पताल संलिप्त हैं। इसका खुलासा एक बार फिर बुधवार 30 जून को हुआ जब कोविड कंट्रोल रूम तक 218 बैकलॉग डेथ के आंकड़े पहुँचे। इसका मतलब ये है कि जब राज्य में कोरोना से मरीज दम तोड़ रहे थे तब अस्पताल मौतों के आंकड़े छिपाने का खेल खेल रहे थे। 218 कोरोना मौतों में कुछ मामले जनवरी-फरवरी के हैं। अब सरकार ने मौत के आंकड़े अब तक छिपाए रखने वाले अस्पतालों और उन जिलों के चिकित्साधिकारियों( CMOs) को नोटिस देकर कारण पूछा है।
पिछले दिनों जब हरिद्वार में बाबा बर्फ़ानी और दूसरे अस्पतालों में मौत के आंकड़े छिपाने की खबरें उजागर होने लगी तब सरकार ने सख्त रुख दिखाते हुए कई तरह के निर्देश जारी किए थे। सरकार ने निर्देश दिए थे कि अगर कोरोना पॉजीटिव मरीजों की मौत को लेकर सूचना उसी दिन या अगले दिन दोपहर 12 बजे तक राज्य कंट्रोल रूम तक नहीं भेजी गई तो संबंधित अधिकारी और अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। बावजूद इसके न अधिकारी/CMO जागे न अस्पताल आंकड़े छिपाने से बाज़ आए लेकिन बुधवार को तो आए 218 बैकलॉग डेथ आंकड़े तो आपराधिक लापरवाही की इंतेहा है।
सवाल है कि क्या नोटिस से आगे ऐसे अस्पतालों और लापरवाह बने बैठे अधिकारियों पर FIR दर्ज होगी या फिर निर्देश दिखावे के लिए थे। आखिर इसी के साथ अब राज्य में कोरोना से 7316 मौतें हो गई हैं और मृत्युदर 2.15 फ़ीसदी हो गई है जो पंजाब के बाद देश में दूसरे नंबर पर है।
मौत के आंकड़े छिपाने में पिथौरागढ़ जिला अस्पताल ( 47 बैकलॉग डेथ) और अल्मोड़ा बेस अस्पताल( 36), कोटद्वार बेस अस्पताल (32), रुद्रप्रयाग में कोविड हेल्थ सेंटर कोटेश्वर (21) सबसे आगे रहे जबकि निजी अस्पतालों में हरिद्वार जिले से विनय विशाल हेल्थकेयर ने सबसे अधिक 25 मौतों के आंकड़े छिपाकर रखे।
एसडीसी फ़ाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल कहते हैं कि ये घोर लापरवाही है जिला प्रशासन, अस्पतालों और सरकार के स्तर पर। अब तक 1210 बैकलॉग डेथ सामने आ चुकी हैं जो एक आपराधिक लापरवाही का संकेतक प्रतीत होता है। ऐसी घोर लापरवाही बरतने वाले जो कोई भी अस्पताल या अथॉरिटी हो उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।