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रामदेव के पतंजलि संस्थान की उतराखंड के आयुर्वेद व यूनानी विभाग को चेतावनी: मानकों के अनुसार बन रही दवाएं, विभाग गलती मान षड्यंत्र का करे पर्दाफाश वरना करेंगे कानूनी कार्रवाई

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Patanjali and Baba Ramdev under atttack after Ayurveda and Yunani Authority bars five medicines of Divya Pharmecy, now Patanjali counters: उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेद और यूनानी विभाग द्वारा बाबा रामदेव से जुड़ी दिव्य फार्मेसी की पांच दवाओं के उत्पादन पर रोक तथा मूल फॉर्मुलेशन शीट तलब कर लेने के बाद पतंजलि प्रबंधन बौखला गया है। आग बबूला होकर पतंजलि और दिव्य फार्मेसी ने आयुर्वेद और यूनानी विभाग को ही चेतावनी दे डाली है।

अब तमाम आरोपों और उत्तराखंड के आयुर्वेद व यूनानी विभाग द्वारा रामदेव से जुड़ी दिव्य फार्मेसी द्वारा बनाई गई पांच दवाओं पर रोक के आदेश के बाद पतंजलि की तरफ से जवाब आया है। यह जवाब कम और सीधे सीधे विभाग को ही चेतावनी देना अधिक लग रहा है। मीडिया में जारी प्रेस बयान के अनुसार दावा किया गया है किपतंजलि द्वारा जितने भी उत्पाद व औषधियाँ बनाई जाती हैं, निर्धारित मानकों के अनुरूप सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं।

प्रेस बयान के अनुसार दावा किया गया है कि पतंजलि की औषध निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से प्रिक्लिनिकल व क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है, उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा। जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया। चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार किसी ने किया है तो वह है पतंजलि संस्थान।
मीडिया के तहत जो जानकारी मिली है इससे यह स्पष्ट होता है कि इसमें आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफियाओं की संलिप्तता दिखती है। हम किसी भी तरह इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने देंगे।

इस षड्यंत्र में सम्मिलित आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा उत्तराखण्ड द्वारा विभागीय दायित्व को दरकिनार करके षड्यंत्रपूर्वक जिस पत्र को लिखकर 09.11.2022 को मीडिया में प्रायोजित ढंग से प्रसारित किया, उसको अभी तक पतंजलि संस्थान को किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं कराया गया है।
विभागीय स्तर पर सम्पर्क करने पर भी अभी तक कोई पत्र या सूचना उपलब्ध नहीं की गई है। मीडिया के द्वारा जिस ‘भ्रामक विज्ञापन’ की बात की जा रही है, उक्त संदर्भ में पतंजलि द्वारा लाइसेन्स अधिकारी, देहरादून, उत्तराखण्ड को पूर्व में ही दिनांक 30.09.2022 को उत्तर दिया जा चुका है। परन्तु अब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए मनमाने ढंग से एकतर्फा कार्यवाही करने की सूचना मीडिया से प्राप्त हुई है।

इस संदर्भ में या तो विभाग अपनी गलती को सुधार कर जो व्यक्ति इस षड्यंत्र में सम्मिलित है, उस पर उचित कार्यवाही करे अन्यथा पतंजलि संस्थान को इससे जो संस्थागत हानि हुई है उसकी भरपाई सहित इस षड्यंत्र के जिम्मेदार व्यक्तियों को आपराधिक कृत्य के लिए दण्डित करने हेतु संस्था कानूनी कार्यवाही करेगी।

साफ है पतंजलि संस्थान की तरफ से जारी यह प्रेस बयान तमाम आरोपों और उत्तराखंड सरकार के संबंधित विभाग द्वारा किए गए एक्शन पर स्पष्टीकरण कम और सीधे सीधे चेतावनी अधिक जान पड़ रहा है। ज्ञात हो कि केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने शिकायत कर रामदेव की दिव्य फार्मेसी पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमिडीज (आब्जेक्शनेबल एडवरटाइजमेंट) एक्ट, ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट और ड्रग्स एंड कास्मेटिक रूल्स के उल्लंघन जैसे संगीन आरोप लगाए थे। उसी के बाद कार्यवाही करते हुए आयुर्वेद विभाग के ड्रग कंट्रोलर डॉ जीएससी जंगपांगी द्वारा दिव्य फार्मेसी को नोटिस देकर हफ्ते पर में जवाब देने को कहा है।

विभाग द्वारा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की जिन दवाओं के उत्पादन पर रोक लगाई गई है, उनमें दिव्य मधुग्रिट टैबलेट, दिव्य आइग्रिट गोल्ड, दिव्य थायरोग्रिट टैबलेट, दिव्य बीपी ग्रिट और दिव्य लिपिडाम टैबलेट शामिल हैं। डा. जंगपांगी के अनुसार इन सभी पांचों दवाओं के फार्मूलेशन दोबारा चेक कराए जाएंगे और उसी के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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