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पर्वतीय जिलों में घटते वोटर हांफता मतदान, उत्तरकाशी जिला बन रहा नज़ीर पर बिना रुके पलायन कैसे निकलेगा समाधान? एक रिपोर्ट

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  • एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को लेकर जारी की छठी रिपोर्ट
  • सिटीजन इंगेजमेंट, वोटर अवेयरनेस, पलायन, महिला सशक्तिकरण और डेमोग्राफिक चेंज पर है एसडीसी का चुनावी फोकस

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे जब 10 मार्च को आएंगे तो अगले पांच साल की सरकार का संदेश मिलेगा लेकिन नतीजों से पहले मतदान ने राज्य के सरकारी तंत्र और जन-मन के लिए कुछ संकेत पेश कर दिए हैं। इस चुनाव में भी पिछले चुनावों की तर्ज पर हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर जिले वोटिंग प्रतिशत को लेकर बाकी जिलों से अव्वल रहे। लेकिन पर्वतीय जिले उत्तरकाशी ने पिछले तीन चुनावों की तरह वोटिंग में इस बार भी बाकी पर्वतीय जिलों को पछाड़ते हुए मैदानी जिलों से टक्कर ली है। उत्तरकाशी उत्तराखंड का वह जिला है जहां अल्मोड़ा, पौड़ी के मुकाबले पलायन बहुत कम हुआ है। यही वजह है कि वोटिंग प्रतिशत लगातार चुनाव दर चुनाव बेहतर बना रहा है।

हाल ही में संपन्न हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में एक बार फिर पर्वतीय क्षेत्रों के ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग प्रतिशत मैदानी क्षेत्रों से कम दर्ज किया गया। राज्य के नौ पर्वतीय जिलों के 34 में से 26 विधानसभा क्षेत्रों में इस बार भी वोटिंग प्रतिशत राज्य के औसत 65.37% से कम रहा। एसडीसी फाउंडेशन के विधानसभा चुनाव को लेकर जारी की गई छठी रिपोर्ट ” उत्तराखंड इलेक्टोरल डाटा एनालिसिस – 2022 विधान सभा इलेक्शन्स” में यह बात सामने आई है। यह रिपोर्ट 16 फरवरी को जारी राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मतदान की फाइनल रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है।

एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल के अनुसार उनकी संस्था ने उत्तराखंड के विधान सभा चुनावों को सिटीजन इंगेजमेंट, वोटर अवेयरनेस, पलायन, महिला सशक्तिकरण और डेमोग्राफिक चेंज के आइने से समझने का प्रयास किया है। रिपोर्ट के अनुसार इस बार उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में 65.37 प्रतिशत पोलिंग हुई है। यह लगभग 2017 में हुई पोलिंग के बराबर ही है। खास बात यह है कि राज्य के औसत मतदान प्रतिशत की तुलना में राज्य के 76 प्रतिशत पहाड़ी विधानसभा क्षेत्रों में कम पोलिंग हुई है।

अनूप नौटियाल के अनुसार उत्तरकाशी जिले में इस बार भी मतदान प्रतिशत अन्यं पर्वतीय जिलों की तुलना में बेहतर दर्ज किया गया। इस बार हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा 74.77 प्रतिशत, ऊधमसिंहनगर में 72.27 और उत्तरकाशी में 68.48 प्रतिशत मतदान हुआ। 2017 में ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा मतदान हुआ था। हरिद्वार दूसरे नंबर पर रहा था और पहले की तरह इस बार भी उत्तरकाशी जिला तीसरे स्थान पर रहा है।

सबसे कम मतदान वाले जिले इस बार भी अल्मोड़ा, पौड़ी और टिहरी रहे। अल्मोड़ा में 53.71% पौड़ी में 54.87% और टिहरी जिले में 56.34 प्रतिशत मतदान हुआ।

अनूप नौटियाल के अनुसार सबसे ज्यादा और सबसे कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो इस बार भी ट्रेंड 2017 की तरह ही रहा है। हरिद्वार ग्रामीण में सबसे ज्यादा 81.94%, भगवानपुर में 79.92% और लक्सर में 79.51 % मतदान हुआ।

दूसरी तरफ सबसे कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों में चौबट्टाखाल में 45.33 प्रतिशत, सल्ट में 45.92 प्रतिशत और लैंसडॉन में 48.12 प्रतिशत रहा ।

अनूप नौटियाल ने एक बार फिर दोहराया कि पर्वतीय क्षेत्रों में एक तरफ जहां मतदाताओं की संख्या कम है, वहीं दूसरी तरफ यहां मतदान करने भी कम लोग पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि इस स्थिति में सुधार लाने की जरूरत है।

अनूप नौटियाल ने एक बार फिर दोहराया कि पर्वतीय क्षेत्रों में एक तरफ जहां मतदाताओं की संख्या कम है, वहीं दूसरी तरफ यहां मतदान करने भी कम लोग पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि इस स्थिति में सुधार लाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा की चुनाव आयोग को निरंतरता के साथ लगातार साल भर लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। उनका यह भी कहना है कि राज्य के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में अप्रत्याशित रूप से बढ़ रही मतदाता संख्या की तरफ भी ध्यान देने की सख्त जरूरत है। रिपोर्ट को बनाने में विदुष पांडेय, प्रवीण उप्रेती का योगदान रहा।

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