दिल्ली: कोरोना महामारी पर क़ाबू को लेकर भले बीजेपी नेता बड़े-बड़े दावे कर रहे हों और जमकर पीएम मोदी की तारीफ में कशीदे भी पढ़े जाते हों। लेकिन अंदरूनी हकीकत ये है कि संघ को महामारी में बीजेपी और केन्द्र सरकार की गिरती साख की चिन्ता सता रही है। सामने कुछ महीने बाद उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड और पंजाब का चुनाव है। यूपी-उत्तराखंड में बीजेपी की बड़े बहुमत की सरकारें क़ाबिज़ हैं। उत्तराखंड में आगामी चुनाव में घाटे का सौदा साबित न हों जाएँ त्रिवेंद्र सिंह रावत इसलिये उन्हें मार्च में चलता कर दिया गया था लेकिन यूपी में गंगा में बहती दिखी लाशों ने सीएम योगी आदित्यनाथ की साख पर बड़ा बट्टा लगाया है।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक रविवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ संघ की एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव और इस पर कोरोना के चलते पड़ने वाले प्रभाव पर मंथन हुआ। इस बैठक में संघ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, यूपी संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी शामिल थे।दरअसल संघ और बीजेपी नेताओं की चिन्ता कोरोना काल में ब्रांड मोदी होते सीधे हमले हैं। दवाओं, एंटी कोविड टीके और ऑक्सीजन आदि को लेकर मचे हाहाकार ने चिन्ता बढ़ाई है।
बीजेपी के पक्ष में फिर से फ़ीलगुड माहौल पैदा करने की कोशिशें पिछले कुछ दिनों से शुरू हो चुकी हैं। हाल में जेपी नड्डा ने बीजेपी के मुख्यमंत्रियों को बाक़ायदा चिट्ठी लिखकर कहा है कि मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर 30 मई को कोई जश्न प्रोग्राम नहीं होगा बल्कि कोरोना में अनाथ हुए बच्चों के लिए बीजेपी शासित राज्यों में योजनाएँ शुरू की जाएँगी। जाहिर है पश्चिम बंगाल में चुनावी हार के सदमे से उबर रहा बीजेपी थिंकटैंक और उसका वैचारिक मेंटॉर संघ चुनावी राज्य यूपी को लेकर अभी से संतर्क हो गया है। खासकर कोरोना हैंडल करने और गंगा किनारे लाशों की तैरती तस्वीरों ने योगी को लेकर उसके आत्मविश्वास को गहरी चोट पहुँचाई हैं।