- लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी को मर्ज कर बन रहा नया चैनल : संसद टीवी
- दावा: रटे-रटाये ढर्रे से हटकर बीबीसी और इंटरनेशनल चैनलों की टक्कर में खड़ा दिखेगा संसद टीवी
दिल्ली: लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी के रूप में निष्प्रभावी और ख़र्चीले टीवी प्लेटफ़ॉर्म से पीछा छुड़ाकर दोनों को मिलाकर नया चैनल संसद टीवी बनाया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगले एक से दो माह में संसद टीवी की परिकल्पना को धरातल पर उतार दिया जाएगा। लेकिन संसद टीवी दूरदर्शन और न्यूज के तमाम चैनलों से न केवल जुदा होगा बल्कि इसमें दर्शक और खबर के बीच की परत मिटा दी जाएगी। जी हाँ दावा किया जा रहा है कि संसद टीवी में खबर और दर्शक या यूं कहिए कि सरकार और आम जनता के बीच मध्यस्थ पत्रकार की खाही पाट दी जाएगी।
अब खबर विदेश नीति से जुड़ी होगी तो विदेश मंत्री एस जयशंकर आपको संसद टीवी में एंकर की भूमिका में नजर आएंगे और ‘डिप्लोमैटिक डिस्पैाच’ के ज़रिए वैश्विक मंच की कूटनीतिक तस्वीर जनता को दिखाएंगे। बताया जा रहा है कि ऐसे 50 कार्यक्रम बनाने का खाका संसद टीवी टीम खींच चुकी है। अब अगर मुद्दा देश की सुरक्षा से जुड़ा रहेगा तो जानकारी देने के लिए संसद टीवी पर एंकर बनकर उतरेंगे देश के चीफ ऑफ डिफ़ेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत। रक्षा एक्सपर्ट के तौर पर राज्ससभा सांसद राजीव चंद्रशेखर, जो रक्षा मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं, ‘द डिफ़ेंडर’ प्रस्तोता के अवतार में नजर आएंगे। मारूफ रजा भी आंतरिक सुरक्षा जैसे मसलों पर शो करते नजर आएंगे।
आर्थिक मोर्चे पर जनता को जागरूक करने के लिए सीधे प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल देश और प्रदेशों की इकोनॉमिक्स को डिकोड करते नजर आएंगे। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ‘ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ के ज़रिए बदलाव की कहानी बयां करेंगे और बीजेपी सांसद वरुण गांधी से लेकर तेजस्वी सूर्या ‘चेंज मेकर्स’ पेश करते नजर आ सकते हैं। पूर्व सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर हेल्थ शो लेकर आएंगे और कर्ण सिंह धर्म दर्शन पर ज्ञान बाँटेंगे।
सुरभि फ़ेम रेणुका शहाणे, अनुपम खेर, आशुतोष राणा और मनोज बाजपेई जैसे अभिनेता भी एंकरिंग करते नजर आएंगे। बहरहाल सवाल एक ही है कि जैसे कई बार दूरदर्शन का कायाकल्प करने के बड़े बड़े दावे कर रिटायर्ड आईएएस सेट किए गए, क्या संसद टीवी उससे बच पाएगा? क्योंकि लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी भी एक समय इसी दावे के साथ लाँच किए गए थे कि आम जनता के बीच संसदीय इतिहास और कार्य प्रणाली की बेहतर समझ पैदा करने का काम करेंगे। लेकिन हुआ ठीक उलटा था और सफ़ेद हाथी ही रहे ये दोनों चैनल, जहां सरकारी एजेंडा ही परोसा जाता था। अब संसद टीवी में मंत्री-सांसद कैसे निष्पक्ष और गहन चर्चा-विमर्श लेकर आते हैं देखना होगा।