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Savita Kanswal के निधन से ग्राफिक एरा में शोक की लहर, माउंट एल्ब्रुस फतह करने जाना था इसी माह, कम उम्र में एवरेस्ट फतह कर उत्तराखंड और महिलाओं का बढ़ाया मान: डॉ घनशाला

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  • सविता कंसवाल ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की MBA की छात्रा थी
  • माउंट एल्ब्रुस के शिखर पर देश और ग्राफिक एरा का ध्वज फहराने की योजना बनाई थी
  • ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला उन्हें ध्वज देकर रवाना करने वाले थे
  • सविता ने कम उम्र में एवरेस्ट पर विजय पाकर उत्तराखंड और महिलाओं का सम्मान बढ़ाया: डा. घनशाला

देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर अपने हौसलों की उड़ान से पर्वत पर्वत नाप रही युवा पर्वतारोही सविता कंसवाल को इसी महीने माउंट एलब्रुस (Mount Elbrus, highest peak in Russia) फतह करने के मिशन पर निकलना था। लेकिन सविता को समय से पहले काल के क्रूर हाथों ने हमेशा के लिए हमसे छीन लिया है।

मंगलवार को उत्तरकाशी जिले की द्रौपदी का डांडा पर्वत चोटियों पर आए हिमस्खलन (Avalanche) में फंसे नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के ट्रैकर्स दल में बतौर प्रशिक्षक सविता कंसवाल भी शामिल थी। सविता कंसवाल के यूं चले जाने से ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी कैंपस में मातम पसर गया है।

दरअसल दो हफ्ते बाद सविता कंसवाल एक और बड़े पर्वतारोहण अभियान पर रवाना होने से पहले ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी आने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही द्रौपदी का डांडा में मौत बनकर आया एवलांच सविता कंसवाल के साथ साथ कई पर्वतारोहियों को लील गया।

उत्तरकाशी निवासी सविता कंसवाल ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी की MBA की छात्रा थी। कुछ ही माह पहले सविता ने ऑनलाइन एमबीए कोर्स में दाखिला लिया था। सविता कंसवाल और NIM से जुड़े पर्वतारोहियों के हिमस्खलन की चपेट में आकर आकस्मिक निधन से ग्राफिक एरा में शोक की लहर दौड़ गई है।

बुधवार शाम विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षकों और विभिन्न छात्रावासों में रहने वाले छात्र-छात्राओं ने शोक सभा कर सविता कंसवाल और दूसरे पर्वतारोहियों के निधन को देश की एक बड़ी क्षति बताया।

कुलपति डॉ संजय जसोला ने शोक सभा में बताया कि सविता कंसवाल ने एवरेस्ट पर विजय के बाद अफ्रीका के किलिमांजारो पर्वत शिखऱ पर ग्राफिक एरा का ध्वज फहराने की योजना बनाई थी। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से वह इस अभियान पर नहीं जा सकीं। इसके बाद उन्होंने माउंट एल्ब्रुस के शिखर पर देश और ग्राफिक एरा का ध्वज फहराने की योजना बनाई थी।

5642 मीटर ऊंचे माउंट एल्ब्रुस शिखर पर पर्वतारोहण का अभियान शुरू करने से पहले 22 अक्टूबर को सविता कंसवाल ग्राफिक एरा आने वाली थीं। इसी दिन ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला उन्हें ध्वज देकर रवाना करने वाले थे। लेकिन हिमस्खलन ने इससे पहले ही सविता को हमसे छीन लिया।

ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने हिमस्खलन के कारण सविता कंसवाल और अन्य पर्वतारोहियों के निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए गहरा शोक प्रकट किया है। डा. घनशाला ने कहा कि सविता ने कम उम्र में एवरेस्ट पर विजय पाकर उत्तराखंड और महिलाओं का सम्मान बढ़ाया है। पर्वतारोहण के क्षेत्र में उनसे देश को बहुत उम्मीदें थीं। सविता युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा स्रोत थीं, उनके निधन से ग्राफिक एरा परिवार को बहुत आघात पहुंचा है।

ज्ञात हो कि सविता कंसवाल पहली भारतीय महिला पर्वतारोही थी जिन्होंने महज दो हफ्तों (16 दिनों) के दरम्यान माउंट एवरेस्ट (Mount Everest 8848 मीटर) और माउंट मकालू ( Mount Makalu 8485 मीटर) फतह कर नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। ऐसे ही न जाने कितने रिकॉर्ड युवा पर्वतारोही सविता कंसवाल के नाम दर्ज थे और कितने रिकॉर्ड बनने और टूटने के इंतजार में…

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